20 साल, बेमिसाल, वेबदुनिया का सुनहरा सफर

Webdunia
सोमवार, 23 सितम्बर 2019 (10:02 IST)
- टीम वेबदुनिया

20 साल, आज यानी 23 सितंबर, 2019 को वेबदुनिया 20 वर्ष की हो गई है। वेबदुनिया, आपकी वेबदुनिया... हमसे पहले यह हमारे पाठकों की है, आपका इतना प्यार, इतना विश्वास और इतना सम्मान न मिला होता तो यह मुकाम मुश्किल था।

वो कहते हैं न कि 'ये  तुम्हारा ही नूर है जो पड़ रहा है मेरे चेहरे पर वरना कौन देखता अंधेरों में मुझे...'। यह सच है कि वेबदुनिया में जितनी चमक, महक और दमक निरंतर बढ़ रही है वह आप जैसे सुधी, जागरूक, सतर्क और चैतन्य पाठकों की वजह से ही है। यह आपका ही भरोसा है कि वेबदुनिया की टीम इतनी एकजुटता और तत्परता से रात-दिन कार्यरत है। 
 
आपकी उच्चस्तरीय कसौटी है जिस पर हम निरंतर खरे उतरने का प्रयास करते हैं। लगातार बढ़ते हमारे यूजर्स हमें हौसला देते हैं, प्रेरणा, ऊर्जा और उत्साह का संचार करते हैं कि हम अपनी कार्यनिष्ठा और पत्रकारीय मूल्यों में किसी भी स्तर पर कमी न आने दें। 
 
'20 साल, बेमिसाल' का पड़ाव तय हुआ है उन सभी रचनात्मक अभिरुचि के धनी टीम सदस्यों की अथक मेहनत और सजगता की वजह से, जो निरंतर नवीनतम रुझानों को देखते हुए पाठकों की अपेक्षा, रुचि और जरूरत का मूल्यांकन करते हैं। 
 
सरल, सहज, सटीक, स्पष्ट, विश्वसनीय, सर्वश्रेष्ठ और प्रामाणिक सामग्री देने का हमारा संकल्प है, जिसे हमने हर परिस्थितियों में निभाया है और आगे भी निभाते रहेंगे। 
 
आप सभी जानते हैं कि वेबदुनिया को दुनिया का पहला हिन्दी पोर्टल होने का गौरव हासिल है, लेकिन वेबदुनिया की टीम जानती है कि इसका जन्म छोटे से 1 कमरे से शुरू हुआ था। यह वेब पोर्टल अब विराट, विश्वसनीय और विलक्षण वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है। 
 
यह उस समय की बात है जब इंटरनेट के क्षेत्र में भाषाई पोर्टल्स के लिए संभावनाएं न के बराबर थीं, उस समय 23 सितंबर 1999 को यह नन्हा बीज रोपा गया। वास्तव में इसको लेकर सपने, कल्पना और विचार तो आकार ले ही रहे थे। वर्ष 1998 से ही माटी गढ़ी जाने लगी थी। टीम के संयुक्त विचार और दक्षता के फलस्वरूप सबसे पहले बहुभाषी ई-मेल सेवा ई-पत्र पर काम हुआ। 
 
भारत में इंटरनेट की शुरुआत 80 के दशक से ही हुई, लेकिन विधिवत रूप से 15 अगस्त 1995 में भारत संचार निगम लिमिटेड ने गेटवे सर्विस लांच कर इसकी शुरुआत की। तब सिर्फ अंग्रेजी की वेबसाइटें होती थीं और सारा काम अंग्रेजी में ही होता था।

भारत में इंटरनेट की शुरुआत के महज 3 साल बाद हिन्दी का पहला पोर्टल वेबदुनिया डॉट कॉम लांच हुआ। इसे हिन्दी भाषा के लिए नई क्रांति की शुरुआत माना गया।

वेबदुनिया की जिस समय शुरुआत हुई, उसके संघर्ष की पटकथा भी उसी समय तैयार हो गई थी, क्योंकि जिस देश में ज्यादातर भाषाई समाचार-पत्रों की स्थिति बहुत अच्छी न हो ऐसे में वेब पोर्टल की शुरुआत निश्चित ही एक साहसिक कदम था।
 
आज ये यात्रा पूरे आत्मविश्वास के साथ जारी है। आज देश ही नहीं, पूरी दुनिया में वेबदुनिया की पहचान है। विदेशों में बसे हिन्दीभाषी भारतीयों की तो खास पसंद बन गया है यह पोर्टल। 
 
इंटरनेट के प्रारंभिक काल में इंटरनेट के संदर्भ में कई भ्रांतियां थीं। इसे पूरी तरह से अंग्रेजी भाषा का माध्यम माना जाता था। वास्तव में हिन्दी में पोर्टल की शुरुआत यह सोचकर की गई कि इंटरनेट जनसंचार का अत्यंत सुगम माध्यम बनता जा रहा है और देश में इसकी पहुंच जन-जन तक बनाने के लिए हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का सहयोग महत्वपूर्ण साबित होगा।
 
अब वेबदुनिया पोर्टल हिन्दी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती एवं अंग्रेजी में भी संचालित हो रहा है। ये पोर्टल्स भारत में ही नहीं, विदेशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। वेबदुनिया ने पहली बहुभाषी ब्लॉगिंग साइट माय वेबदुनिया, गेम्स, क्लासीफाइड से लेकर इंटरनेट पर अन्य कई प्रयोग किए। इसके अलावा फोनेटिक की-बोर्ड बनाने का श्रेय भी वेबदुनिया को ही जाता है।

20 सालों का ये साथ दिन-प्रतिदिन निरंतर मजबूत रहे, प्रगाढ़ बने, यही शुभकामना है। सफर चाहे चुनौतियों से भरा रहे, वेबदुनिया टीम अपने पाठकों के स्नेह की डोर थामे बढ़ती रहेगी।

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