नई दिल्ली। भारत पर एक और प्राकृतिक आपदा आने वाली है। हिमनद झीलों के कारण आने वाली बाढ़ से भारत में 30 लाख लोगों को खतरा है, जो दुनिया में इससे प्रभावित हो सकने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या है। एक नए रिचर्स में यह दावा किया गया है। हाल ही में जोशीमठ में मकानों में दरारें आई थीं।
ब्रिटेन के न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व वाली एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने यह अध्ययन किया है। हिमनद झील पिघलने से आने वाली बाढ़ के सर्वाधिक खतरे का सामना करने वाले इलाकों का प्रथम वैश्विक आकलन नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में मंगलवार को प्रकाशित किया गया।
शोधार्थियों ने इस खतरे को कम करने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इससे प्रभावित होने वाली आधी से ज्यादा आबादी सिर्फ चार देशों- भारत, पाकिस्तान, पेरू और चीन में है।
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान में इससे सबसे ज्यादा लोगों के प्रभावित होने का खतरा है। उनके मुताबिक, यह संख्या भारत में 30 लाख और पाकिस्तान में 20 लाख है, जो विश्व की कुल जनसंख्या का एक तिहाई है जबकि आइसलैंड में सबसे कम (260) है। जलवायु के गर्म होने से, हिमनद पिघलने लगते हैं, जिससे झील का निर्माण होता है।
यह झील अचानक प्रवाहित होने लगती हैं और इनका बहाव तेज़ होता है तथा ये बहुत दूर तक फैल सकती हैं। कुछ मामलों में इसका पानी अपने मूल स्थान से 120 किलोमीटर दूर तक भी जा सकता है।
इसके चलते आने वाली बाढ़ काफी विनाशकारी होती हैं और संपत्ति, अवसंरचना और कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा सकती हैं तथा इनकी वजह से बड़ी संख्या में जन हानि भी हो सकती है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में संभवत: ऐसा ही घटित होने पर अचानक बाढ़ आ गई थी, जिसमें 80 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य लापता हो गए थे।
जलवायु परिवर्तन के कारण 1990 के बाद हिमनद झीलों की संख्या काफी बढ़ी है। साथ ही, इनके जलग्रहण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आबादी भी बढ़ी है।
शोधार्थियों ने दुनियाभर में 1089 हिमनद झील बेसिन और उनके 50 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों की संख्या पर गौर किया। भाषा Edited By : Sudhir Sharma