सेना पिछले कई सालों से आतंकवाद, आंतरिक सुरक्षा और बचाव जैसे थका देने वाले कामों में लगी हुई हैं। जहां कश्मीर में आतंकवादियों का मुकाबला करते समय भारतीय सेना को स्थानीय लोगों की सुरक्षा का भी ख्याल रखना पड़ता है वहीं किसी आपदा की स्थिति में अपने पर बम-पत्थर बरसाने वालों को बचाना भी पड़ता है।
कश्मीर में अलगाववादी और पाकिस्तान के समर्थन से तनाव की स्थिति रही है, घाटी में पत्थरबाजों का एक्शन हो या फिर अलगाववादियों का लगातार पाकिस्तान की मदद से हिंसा भड़काना, लगातार ऐसी घटनाएं बढ़ती ही जा रही है।
इस सब से सेना के मनोबल को बढ़ाने के लिए सेना प्रमुख सामने आए हैं, उन्होंने अपने सैनिकों, अधिकारियों का खुलकर समर्थन करते हुए घाटी में पत्थर बरसाने वालों को सीधी चुनौती दी है, उन्होंने कहा कि वे लोग हम पर पत्थर बरसाने के बजाय गोलियां चलाये, ताकि जो मैं करना चाहूं वो कर सकूं, इस बयान के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं। कोई सेना के राजनीतिकरण की बात कर रहा है तो किसी को मानवाधिकार की चिंता हो रही है।
सेना प्रमुख बिपिन रावत ने अपने बयान में सिलसिलेवार अपनी सेना को कश्मीर में आने वाली कठिनाईयों और तथाकथित 'फ्रीहैंड' वाली बातों को ध्यान में रखते हुए जो कहा उसे हर भारतीय नागरिक को जानने की जरूरत है, क्योंकि घर बैठे सिर्फ अखबारों, टीवी और इंटरनेट से घाटी का सच कभी सामने नहीं आ सकता, आइए जानते हैं कश्मीर का सच, जनरल विपिन रावत के हवाले से...
1) लोग जब हम पर पथराव कर रहे हों और पेट्रोल बम फेंक रहे हों, मैं अपने जवानों से केवल इंतजार करने और मरने के लिए नहीं कह सकता।
2) सेना प्रमुख ने कश्मीरी युवक को जीप पर बांध मानव ढाल की उपयोग करने की घटना का बचाव किया, उन्होंने कहा कि कश्मीर में प्रॉक्सी वॉर से निपटने के लिए सैनिकों को नये तरीके अपनाने पड़ते है।
3) जनरल रावत ने कहा कि लोग हम पर पथराव कर रहे हैं, पेट्रोल बम फेंक रहे हैं। ऐसे में जब मेरे कर्मी मुझसे पूछते है कि हम क्या करें तो क्या मुझे यह कहना चाहिए कि बस इंतजार करिए और जान दे दीजिए? मैं राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक अच्छा ताबूत लेकर आऊंगा और सम्मान के साथ शव को आपके घर भेजूंगा। प्रमुख के तौर पर क्या मुझे यह कहना चाहिए? मुझे वहां तैनात सैनिकों को मनोबल बनाए रखना है।
4) जनरल रावत ने कहा कि वास्तव में मैं चाहता हूं कि ये लोग हम पर पथराव करने की बजाय हथियार चलाएं, तब मैं खुश होता। तब मैं वह करता जो मैं करना चाहता हूं।
5) जम्मू कश्मीर में लंबे समय तक काम कर चुके जनरल रावत ने कहा कि किसी भी देश में लोगों में सेना का भय खत्म होने पर देश का विनाश हो जाता है। उन्होंने कहा कि विरोधियों को आपसे डरना चाहिए और आपके लोगों में भी आपका भय होना चाहिए। हमारी मित्रतापूर्ण व्यवहार रखने वाली सेना हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बहाल करने से जुड़ा सवाल आने पर लोगों में हमारा भय होना चाहिए।
6) उन्होंने कहा कि घाटी में किसी भी स्थिति से निपटते समय अधिकतम संयम का परिचय दिया जाता है। जनरल रावत ने कहा कि सेना प्रमुख के रूप में सेना का मनोबल मेरे लिये सबसे जरूरी है, वह मेरा काम है।
7) सेना प्रमुख ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के चार जिले ही अशांत हैं और यह कहना गलत है कि पूरे कश्मीर में स्थिति नियंत्रण से बाहर चली गयी है। कश्मीर मुद्दे के समाधान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसके ठोस समाधान की जरूरत है। हर किसी को शामिल होने की जरूरत है। सेना की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि हिंसा ना हो और इसमें हिस्सा नहीं लेने वाले आम लोगों की रक्षा की जाए।
8) कश्मीरी लोगों से संपर्क के लिए राजनीतिक पहल के बारे में पूछे जाने पर जनरल रावत ने कहा कि यह सरकार को तय करना है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी ऐसी पहल की जा चुकी है।
9) पाकिस्तान के संदर्भ में सेना प्रमुख ने कहा कि वह पाकिस्तान के साथ सीमित युद्ध का पूर्वानुमान नहीं प्रकट रहे हैं।
10) जनरल रावत बोले कि कश्मीर मुद्दे के ठोस हल की जरूरत है और हर किसी को इसमें शामिल होना होगा।