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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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एक ‘श्रद्धा’ जो प्‍यार, परिवार और पुलिस की भेंट चढ़ गई !

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नवीन रांगियाल

एक 25 साल की लड़की जिसका नाम ‘श्रद्धा’ था, उसके 35 टुकड़े कर दिए जाते हैं। यूं तो उसकी हत्‍या के लिए जिम्‍मेदार तो एक ही आदमी आफताब है, अगर न्‍याय होता है तो सजा भी सिर्फ आफताब को ही मिलेगी, लेकिन गौर से देखा जाए तो उसकी हत्‍या में परिवार और पुलिस की भी उतनी ही भागीदारी नजर आएगी।

बताया जा रहा है कि श्रद्धा ने पुलिस में शिकायत की थी कि आफताब उसके साथ मारपीट करता है, जान से मारने की धमकी देता है और यह भी कहता है कि उसके टुकड़े कर फेंक देगा।

इस धमकी की शिकायत के बावजूद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। दूसरी तरफ श्रद्धा का परिवार उसके पिता और भाई भी इस पूरे मामले में उतने ही आरोपी हैं। एक 25 साल की लडकी अपना घर छोड देती है और लिव इन में रहती है। इसके बाद वो अपने बॉयफ्रेंड की करतूतों की शिकायत भी पिता से करती है, लेकिन पिता और भाई दोनों कुछ नहीं करते हैं। अपनी बेटी और बहन को आफताब के शिकंजे से बाहर निकालने के लिए उन्‍होंने ऐसे कोई प्रयास नहीं किए, जिससे कम से कम उसकी जान बच जाए। यह जानते हुए कि आफताब मुस्‍लिम है, और देशभर में लव जिहाद को लेकर हंगामा मचा हुआ है।

इस घटना को लव जिहाद न भी माना जाए तो भी यह तो साफ नजर आता है कि उसके साथ मारपीट होती है, अत्‍याचार होता है और जान से मारने की धमकी मिलती है। यह सब जानकर भी परिवार की तरफ से कोई उल्‍लेखनीय कदम नहीं उठाए गए। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने के अलावा परिवार के स्‍तर पर भी प्रयास किए जा सकते थे, लेकिन दुर्भाग्‍य से नहीं किए गए।

पुलिस ने भी शिकायत के बावजूद और यह जानकर की यह हिंदू मुस्‍लिम संबंध का मामला है, कुछ नहीं किया।

इन दोनों तर्कों के अलावा जो सबसे बड़ी गलती है वो खुद श्रद्धा की है। उसका नाम ही श्रद्धा था शायद इसलिए वो अपने प्‍यार में भरोसा करती रही। मार खाती रही, पिटती रही, अत्‍याचार सहती रही, लेकिन फिर से आफताब के पास लौटी। श्रद्धा एक पढ़ी लिखी लड़की थी, उसने जर्नलिज्‍म में मास्‍टर डिग्री ली थी, वो स्‍मार्ट थी, आधुनिक थी और अपने मर्जी से जिंदगी जीने वाली लड़की थी, बावजूद इसके उसने आफताब से आजाद होकर जीने की कोशिश नहीं की। प्‍यार में होने की उसकी मजबूरी साफ नजर आती है, या फिर शायद उसे अपने प्‍यार में इतनी ‘श्रद्धा’ थी कि वो अपने इस अंजाम का अंदाजा भी नहीं था।

इन आयामों को देखा परखा जाए तो कुछ हद तक समझ में आता है कि श्रद्धा की इस बर्बर मौत के पीछे उसका परिवार, प्‍यार में उसकी मजबूरी और खुद वो भी जिम्‍मेदार थी। आफताब तो उसकी विभत्‍स मौत का सबसे बड़ा कारण और दोषी है ही।

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