नृत्य में जीवन का हर रंग : ममता शंकर

Webdunia
- संजय सिन्हा
 
जानीमानी फिल्म अभिनेत्री एवं कोरियोग्राफर ममता शंकर हमेशा नया करने की धुन में लगी रहती हैं। नृत्य-कला इन्हें विरासत में मिली है। ममता देश के मूर्धन्य शास्त्रीय नृत्य-कलाकार उदय शंकर एवं अमला शंकर की पुत्री हैं। मां-पिता की उंगली पकड़कर इन्होंने नृत्य की बारीकियां सीखीं और बाद में फिल्म अभिनेत्री के रूप में भी ममता ने अपनी एक अलग पहचान बनाई। 
1976 में रिलीज हुई मृणाल सेन की फिल्म 'मृगया' में ममता ने भाव-प्रवण अभिनय किया। यही वजह है कि इस फिल्म को नेशनल फिल्म फेयर अवॉर्ड से विभूषित किया गया। दर्जनों फिल्मों में अभिनय करने वाली ममता शंकर इन दिनों कोलकाता में डांस ट्रेनिंग सेंटर चला रही हैं, जहां सैकड़ों बच्चे शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण ले रहे हैं। 
 
प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना एवं फिल्म अभिनेत्री ममता शंकर से संजय सिन्हा ने कोलकाता स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की और लंबी बातचीत की। 
 
पेश हैं बातचीत का मुख्य अंश-
* स्वनामधन्य कलाकार परिवार से संबंध है आपका, कला आपको विरासत में मिली। कैसा अनुभव करती हैं आप?
-मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करती हूं। पंडित रविशंकर, उदय शंकर, अमला शंकर और आनंद शंकर जैसे गुणी और सुविख्यात कलाकारों के बीच खुद को पाकर मैं धन्य होती रही। जन्म लेते ही कानों में संगीत का स्वर गूंजता रहा। घुंघरू की आवाज सुनाई पड़ती रही इसलिए कला मेरे अंग-अंग में है।
 
* आपने भी नृत्य से ही अपने करियर की शुरुआत की थी। अचानक फिल्मों की तरफ कैसे मुड़ गईं?
- वैसे भी नृत्य और अभिनय के बीच प्रगाढ़ रिश्ता है। भाव-प्रवण अभिनय के बिना नृत्य की प्रस्तुति बेमानी है। मैंने तो शास्त्रीय नृत्य से ही अपने करियर का शुभारंभ किया, मगर कुछ फिल्मकारों ने अभिनय का ऑफर दिया तो मैं इंकार नहीं कर सकी।
 
* शास्त्रीय नृत्य को आप किस रूप में देखती हैं?
- शास्त्रीय नृत्य में जीवन का हर पहलू समाहित है। इसे वही महसूस कर सकता है, जो पूरी तरह से इसके प्रति समर्पित है। चूंकि मेरा पारिवारिक माहौल ही नृत्य और कला के इर्द-गिर्द घूमता है इसलिए मैं भी पूर्णरूपेण इसमें डूबी हुई हूं। इसका एक अलग आनंद है। मैंने शास्त्रीय नृत्य को हमेशा पूजा की तरह माना है। मैं अभिनेत्री जरूर हूं, मगर नृत्य मेरी पहचान है।
 
* किन फिल्मकारों के साथ काम करना आपके लिए एक सुखद एहसास बना और आज भी उन पलों को आप भूल नहीं पाई हैं?
- मैंने लगभग सभी दिग्गज फिल्मकारों के साथ काम किया, मसलन सत्यजीत रे, मृणाल सेन, ऋतुपर्णो घोष, बुद्धदेब दासगुप्ता, गौतम घोष आदि। सभी ने मुझे स्नेह दिया और हर पल सीखने का मौका भी मिला। इन दिग्गजों के सान्निध्य से मैंने अभिनय की बारीकियां सीखीं। शूटिंग के दौरान भी मैं हमेशा कुछ सीखने का प्रयास करती थी। मेरा ऐसा मानना है कि इंसान ताउम्र सीख सकता है। इसकी कोई उम्र नहीं होती, न कोई सीमा होती है। अपने को-आर्टिस्ट्स के साथ भी मेरे रिलेशंस अच्छे रहे। काम के दौरान भी हम लोगों ने जिन्दगी का आनंद लिया।
 
* कोई ऐसा पल जिसे आज तक भूल नहीं पाई हैं आप?
- ऐसे बहुत सारे पल हैं। सुख-दुःख तो जीवन का हिस्सा होता है, मगर मैंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी खुद को संभाला। 
 
* नृत्य के क्षेत्र में नया क्या कर रही हैं आप?
- देखिए, नृत्य के क्षेत्र में करने को बहुत कुछ है। मैंने भी बहुत सारे प्रयोग किए हैं। समय- समय पर कुछ-कुछ अलग करने की कोशिश की है। आज भी मैं अपने स्टूडेंट्स को हमेशा अलग करने की सीख देती हूं। एक कलाकार के लिए कला ही उसकी पहचान होती है इसलिए एक कलाकार को सदैव बेहतर करना चाहिए। अगर आपका परफॉर्मेंस अच्छा होगा तभी आप पहचान बना पाएंगे। मैंने अपने पिता और माता को भी कड़ी मेहनत करते हुए देखा है।
 
* आजकल ईस्टर्न के साथ वेस्टर्न मिक्स करने की परंपरा-सी चल रही है। इसे किस रूप में देखती हैं आप?
- इसमें कोई खराबी नहीं है। समय के साथ सब कुछ बदलता है। यह प्रयोग बहुत दिनों से होता आ रहा है। लेकिन इस दौरान एक बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि ईस्टर्न और वेस्टर्न के मिक्सिंग के बीच कहीं ईस्टर्न की आत्मा ही मर न जाए। मैंने भी कई बार इस तरह के प्रयोग किए हैं, मगर इस मामले में हमेशा गंभीर रही हूं। शास्त्रीय संगीत और नृत्य की अपनी एक अलग गरिमा है, इसे नाकारा नहीं जा सकता। विदेशों में भी लोग शास्त्रीय संगीत को फॉलो कर रहे हैं। मेरे बहुत सारे शिष्य विदेशों में हैं और शास्त्रीय नृत्य सीख रहे हैं।
 
* इस मुकाम तक पहुंचकर कैसा अनुभव करती हैं?
- अच्छा लगता है कि परिवार से मिली विरासत को आगे बढ़ा रही हूं और कला की सेवा कर रही हूं। जब तक सांस है, तब तक ये सब छूटेगा नहीं।
 
* फिल्म अभिनय से अब नाता तोड़ लिया है आपने?
- ऐसी बात नहीं है, लेकिन अभी पूरी तरह से नृत्य और अपने डांस इंस्टीट्यूट के प्रति समर्पित हूं। 
 
* मूलत: आप एक कलाकार हैं, लेकिन कभी अगर पॉलीटिक्स में जाने का मौका मिले तो क्या करेंगी? बहुत सारे कलाकारों ने पॉलीटिक्स ज्वॉइन किया है। 
- सही कहा अपने, मगर मैंने पॉलीटिक्स के बारे में नहीं सोचा है। कलाकार ही रहना चाहती हूं। जीवनपर्यंत कला की सेवा करने की इच्छा है। 
 
* आपको नहीं लगता कि आज के माहौल में शास्त्रीय संगीत व नृत्य खोता जा रहा है? आज के युवा वेस्टर्न म्यूजिक की तरफ भाग रहे हैं। 
- शास्त्रीय संगीत और नृत्य कभी खत्म नहीं हो सकता। ये बात ठीक है कि वेस्टर्न म्यूजिक का प्रचलन बढ़ा है, मगर ये कहना गलत है कि ये खो रहा है। आज भी युवाओं का एक वर्ग ईस्टर्न डांस और म्यूजिक के प्रति समर्पित है। 
 
* नए कलाकारों के लिए क्या संदेश देना चाहती हैं?
- मेहनत, लगन और समर्पण बहुत जरूरी है। इसके बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते हो। नए कलाकारों के लिए भी यही कहना चाहूंगी कि वे समर्पित भाव से रियाज करें और लक्ष्य की ओर सदैव दृष्टि रखें। जब तक आप टारगेट नहीं बनाएंगे, तब तक सफलता तक नहीं पहुंच सकते। 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

C-Section के बाद नहीं कम हो रही बैली, इन ट्रिक्स को अपनाने से मिलेगा फायदा

राइस वॉटर से बने इस कोरियन हेयर केयर मास्क से मिलेंगे घर पर ही सलून जैसे सॉफ्ट और सिल्की बाल

क्या बच्‍चों का माथा गर्म रहना है सामान्य बात या ये है चिंता का विषय?

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

सर्दियों में खुद को बनाए रखें फिट और तंदुरुस्त, पिएं ये प्राकृतिक हर्बल टी

सभी देखें

नवीनतम

प्रवासी कविता : कवयित्री की जिंदगी की किताब के कुछ पन्ने

Winter Special Diet : वजन घटाने के लिए इन 6 चीजों को जरूर अपने खाने में तुरंत शामिल करें, बनेगा परफेक्ट डाइट प्लान

प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो अपनी डाइट लिस्ट से आज ही बाहर करें ये चीजें

भारतीय समाजसेवक ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि, जानें विशेष जानकारी

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

अगला लेख
More