योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। मुख्यमंत्री के रूप में यह उनकी दूसरी पारी है। जब वर्ष 2017 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब उनके पास शासन का कोई अनुभव नहीं था, परन्तु इस बार उन्हें पांच वर्ष सत्ता में बने रहने का अनुभव है।
वह पांच वर्ष की योजनाएं नहीं बना रहे हैं, अपितु वह डेढ़ दशक तक भाजपा को राज्य एवं केंद्र सत्ता स्थापित रखने की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं।
योगी-दो कैबिनेट में गुजरात मॉडल की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर यूपी के मंत्रिमंडल को आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत बनाया गया है। इसलिए भाजपा आगामी पन्द्रह वर्षों की रणनीति बनाकर चल रही है।
देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में प्राप्त हुई विजय ने भाजपा में नई ऊर्जा का संचार कर दिया है। इस विजय ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि यह भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे की विजय है। जनता ने भाजपा में विश्वास जताया है तथा भाजपा की नीतियों का समर्थन किया है।
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अब अधिक समय नहीं बचा है। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था, क्योंकि यही चुनाव आगे के लोकसभा चुनाव की दिशा निर्धारित करता है।
भाजपा ने सेमीफाइनल तो जीत लिया है, अब फाइनल जीतना शेष है। इसलिए भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
इसलिए योगी-दो के मंत्रिमंडल में सूझबूझ से काम लिया गया है। योगी के कुल 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 16 कैबिनेट, 14 स्वतंत्र प्रभार एवं 20 राज्य मंत्री हैं।
पिछली सरकार में मंत्री रहे दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना, नीलकंठ तिवारी, सिद्धार्थ नाथ सिंह, जय प्रताप सिंह पटेल, मोहसिन रजा एवं आशुतोष टंडन सहित 20 लोगों को इस बार योगी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया।
ओबीसी नेता व एमएलसी केशव मौर्य दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं, यद्यपि वह सिराथू से चुनाव हार गए थे। उनके साथ ही बृजेश पाठक को भी उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में वह कानून मंत्री थे। उन्होंने दिनेश शर्मा का स्थान लिया है। सुरेश कुमार खन्ना को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह शाहजहांपुर से नौवीं बार विजयी होकर सदन पहुंचे हैं।
पिछली कैबिनेट में वह वित्त मंत्री थे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह पिछली सरकार में कृषि मंत्री थे। प्रदेश अध्यक्ष व एमएलसी स्वतंत्र देव सिंह को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे। नंद गोपाल नंदी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे। धर्मपाल सिंह को भी कैबिनेट में स्थान मिला है। वह पिछली सरकार में सिंचाई मंत्री थे। उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है। जाट नेता लक्ष्मी नारायण चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह बहुजन समाज पार्टी से भाजपा में आए हैं।
समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी से विजयी हुए जयवीर सिंह को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है। अनिल राजभर को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे। वह सपा सरकार में भी रह चुके हैं। राकेश सचान को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद कुमार शर्मा को भी योगी कैबिनेट में स्थान दिया गया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास माने जाते हैं। वह आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे। तीसरी बार वियाधक बने योगेंद्र उपाध्याय को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है।
एमएलसी भूपेन्द्र चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह पिछली सरकार में पंचायती राज मंत्री थे। एमएलसी जितिन प्रसाद को भी कबिनेट में स्थान दिया गया है। वह कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। एमएलसी आशीष पटेल को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है। वह अपना दल एस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। एमएलसी संजय निषाद को भी कैबिनेट में स्थान मिला है। वह निषाद पार्टी के अध्यक्ष हैं।
भाजपा पिछड़ा मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप एवं पूर्व आइपीएस असीम अरुण को स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया है। एमएलसी धर्मवीर प्रजापति, संदीप सिंह लोधी, अजीत पाल, रवीन्द्र जायसवाल को भी स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया है। ये पिछली सरकार में भी मंत्री थे।
कपिलदेव अग्रवाल, गुलाब देवी, गिरीश चंद्र यादव, जयंत राठौर, दयाशंकर सिंह, अरुण कुमार सक्सेना, कांग्रेस से भाजपा में आए दया शंकर दयालु, सपा से भाजपा में आए नितिन अग्रवाल एवं एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को भी स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया है।
संजीव कुमार गौड़ को राज्य मंत्री बनाया गया है। वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे। पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष जसवंत सैनी, मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटीक, बलदेव सिंह औलख, मनोहर लाल पंथ, राकेश निषाद, संजय गंगवार, बृजेश सिंह, कृष्ण पाल मलिक, अनूप प्रधान वाल्मीकी, सोमेंद्र तोमर, सुरेश राही, राकेश राठौर, सतीश शर्मा, प्रतिभा शुक्ला, विजय लक्ष्मी गौतम एवं रजनी तिवारी को भी राज्य मंत्री बनाया गया है। एबीवीपी नेता दानिश आजाद अंसारी को भी राज्य मंत्री बनाया गया है। विशेष बात यह है कि वह न विधायक हैं और न एमएलसी। वह योगी मंत्रिमंडल का एकमात्र मुस्लिम चेहरा हैं।
इस मंत्रिमंडल की विशेष बात यह है कि योगी ने वर्ष 2024 के लोकसभा को ध्यान में रखते हुए जातीय समीकरण को साधने का प्रयास किया है। मंत्रिमंडल में सबसे अधिक 18 मंत्री ओबीसी, 10 ठाकुर, आठ ब्राह्मण, सात दलित, तीन जाट, तीन बनिया, दो पंजाबी और एक मुस्लिम चेहरा सम्मिलित है।
दानिश आजाद अंसारी ऐसे समाज से आते हैं, जिनकी यूपी में बड़ी जनसंख्या है। पूर्वांचल अंसारियों का गढ़ है। भाजपा को इस चुनाव में मुसलमानों के आठ प्रतिशत वोट मिले हैं, जो कांग्रेस और बसपा को मिले मतों से भी अधिक हैं। इतना ही नहीं, भाजपा को मुस्लिम महिलाओं का भी समर्थन मिल रहा है। पिछले चुनाव में तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा का खुलकर समर्थन किया था। इस बार हिजाब प्रकरण के पश्चात भी भाजपा को मुस्लिम महिलाओं का भारी समर्थन मिला।
आज मुस्लिम महिलाएं कुप्रथाओं की बेड़ियां तोड़कर आगे बढ़ रही हैं। वे देश की मुख्यधारा में सम्मिलित होना चाहती हैं। ऐसी स्थिति में वे उसी पार्टी का समर्थन करेंगी, जो उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करे।
योगी सरकार अपनी जनहितैषी योजनाओं पर गंभीरता से कार्य कर रही है। योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेने के अगले ही दिन कोरोना काल में आरंभ की गई नि:शुल्क राशन वितरण योजना को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है, जिससे राज्य के 15 करोड़ लोगों को लाभ होगा।