Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

चुनावी बिसात पर शिवराज को घेरेंगे ये पांच सियासी 'मोहरे'

हमें फॉलो करें चुनावी बिसात पर शिवराज को घेरेंगे ये पांच सियासी 'मोहरे'

विशेष प्रतिनिधि

, शनिवार, 13 अक्टूबर 2018 (12:40 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनावी बिसात बिछ चुकी है। चुनावी बिसात में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मात देने में विरोधी दल अपनी सियासी चाल चल रहे हैं। जहां एक ओर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को उनके ही गढ़ में घेरने की कोशिश हो रही है, वहीं शिवराज के लिए अब तक सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए मामलों के अहम किरदारों के जरिए अब शिवराज की घेराबंदी में कांग्रेस और विरोधी दल जुट गए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को सियासी रणभूमि में घेरने के लिए इस वक्त अगर प्रदेश में अगर सबसे अधिक किसी की चर्चा है तो वो सियासत में नई एंट्री करने वाले युवा नेताओं की है। सूबे में तेजी से उभरे ये युवा नेता आज हर मोर्चे पर शिवराज को चुनौती दे रहे हैं।
webdunia

अर्जुन आर्य : चुनाव के समय मुख्यमंत्री शिवराज को उनके ही गढ़ में सबसे बड़ी चुनौती मिलती दिखाई दे रही है। शिवराज के गृहनगर बुधनी में लंबे समय से सक्रिय युवा नेता अर्जुन आर्य चुनाव के समय अचानक से चर्चा में आ गए हैं। बुधनी में लंबे समय से आंदोलन चलाने वाले अर्जुन आर्य के आंदोलन को दबाते हुए चुनाव से ठीक पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर भोपाल की सेंट्रल जेल भेज दिया। उसके बाद अचानक से पूरे मामले को सियासी मोड़ देते हुए अर्जुन आर्य से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने सेंट्रल जेल में मुलाकात कर सूबे की सियासत गर्मा दी। इसके बाद अर्जुन आर्य ने अब कांग्रेस हाईकमान से टिकट की मांग करके मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इससे पहले अर्जुन आर्य को बुधनी से समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अर्जुन आर्य ने ये कहते हुए सपा का टिकट लौटा दिया था कि मुख्यमंत्री शिवराज को चुनौती अभी कांग्रेस ही दे सकती है इसलिए वे कांग्रेस के टिकट पर मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं।
webdunia

हीरालाल अलावा : एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज को चुनौती उनके घर में मिल रही है तो दूसरी बड़ी चुनौती शिवराज को सियासी तौर पर आदिवासी अंचल से आने वाले युवा नेता हीरालाल अलावा से मिल रही है। मध्यप्रदेश के सियासी पटल पर तेजी से आदिवासी चेहरे के रूप में उभरे हीरालाल अलावा के संगठन जयस ने आदिवासी इलाकों में पिछले दिनों अपनी गहरी पैठ बनाई है, वहीं अब हीरालाल के संगठन जयस ने आदिवासियों के लिए रिजर्व 47 सीटों समेत प्रदेश की 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

जयस जिन 47 आदिवासी सीटों पर अपना दावा ठोंक रहा है, उसमें से 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 32 सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी, वहीं पिछले दिनों जयस के सम्मेलन में कांग्रेस नेताओं के शामिल होने के बाद भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की चिंता बढ़ गई होगी। जयस आदिवासी इलाकों में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा को आदिवासी विरोधी बता रहा है।
webdunia

डॉक्टर आनंद राय : सूबे के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सामने अब तक अगर सबसे बड़े सियासी संकट की बात करें तो वह व्यापमं का संकट था। इस बार चुनाव में एक बार फिर व्यापमं का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है। व्यापमं मामले का खुलासा करने वाले आरटीआई एक्‍टीविस्‍ट डॉक्टर आनंद राय चुनावी मैदान में कूद गए हैं।

जयस ने इंदौर 5 से उनको अपना उम्मीदवार भी बना दिया है। सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि आनंद राय को कांग्रेस अपना समर्थन भी दे सकती है। ऐसे में ये तय है कि इस बार फिर व्यापमं को लेकर शिवराज विरोधी दल के निशाने पर आएंगे।
webdunia

आशीष चतुर्वेदी : व्यापमं मामले में दूसरे सबसे एक्टीविस्ट रहे आशीष चतुर्वेदी भी चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी कर रहे हैं। जयस ने आशीष चतुर्वेदी को ग्वालियर पूर्व से अपना उम्मीदवार बनाया है। ग्वालियर पूर्व से 2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार की मंत्री माया सिंह मामूली अंतर से जीती थीं। ऐसे में आशीष के चुनाव लड़ने से एक बार फिर इस सीट पर भाजपा का संकट में पड़ना तय है, वहीं आशीष के चुनाव लड़ने से ग्वालियर-चंबल में व्यापमं का मुद्दा फिर से गर्म होगा।
webdunia

देवाशीष झारिया : मध्यप्रदेश में तेजी से युवा दलित चेहरे के रूप में उभरे देवाशीष झारिया ने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल होकर भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। देवाशीष कांग्रेस में शामिल होने से पहले बसपा में यूथ आईकॉन के तौर पर पहचाने जाते थे। आशीष ने बसपा में अपनी सियासी काबिलियत का लोहा उस वक्त मनवाया था जब 6 लाख युवा बसपा से जुड़े थे। अब सूबे में बसपा से गठबंधन करने में नाकाम रहने के बाद कांग्रेस दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है, जिससे भाजपा का खेल बिगड़ सकता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारत - वेस्टइंडीज हैदराबाद टेस्ट के दूसरे दिन का ताजा हाल