Motivational Story : क्या तुम भी चील के बच्चे की तरह मर जाओगे

अनिरुद्ध जोशी
यह कहानी बहुत तरीके से सुनाई या लिखी जाती है। कुछ लोग इसे शेर और गाय से जोड़कर सुनाते हैं तो कोई इसे चील और मुर्गी से जोड़कर बताते हैं। आप यहां चील और मुर्गी की कहानी पढ़ें।
 
 
एक बार की बात है एक चील ने एक पेड़ पर घोंसला बनाकर अंडे दे रखे थे। वहीं पेड़ के नीचे एक मुर्गी ने भी अंडे दे रखे थे। एक दिन चील की अनुपस्थिति में एक कौवा आया और चील के एक अंडे को मुंह में दबाकर उड़ा तभी उसके मुंह से अंडा गिरकर मुर्गी के घोसले में जा पड़ा। तभी कौए ने चील को देखा और वहां से फूर्र हो गया।
 
कुछ समय बाद मुर्गी ने अंडे को सेना प्रारंभ किया। सभी अंडों में से तो मुर्गी के बच्चे निकले परंतु एक में से चील का बच्चा निकला। मुर्गी सोच में पड़ गई लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। चील का वह बच्चा बाकी मुर्गी के बच्चों के साथ ही बड़ा हुआ। वह भी दाना चुगता और वह भी मुर्गी की तरह कुकड़ू कु करता रहता था। वह भी उतना ही ऊंचा उड़ पाता जितना की मुर्गी या उसके अन्य बच्चे उड़ पाते थे।
 
एक दिन उसने आकाश में चील को बड़ी ही ऊंचाई पर शानदार तरीके से उड़ते हुए देखा और देखता ही रह गया। फिर उसने अपनी मां मुर्गी से पूछा कि मां वह जो ऊंचे आसमान में उड़ रही है वह कौन है, उसका नाम क्या है? मुर्गी ने कहा- वह चील है। फिर उसने अगला सवाल पूछा, मां मैं उसके जैसा और उतना ऊंचा क्यों नहीं उड़ सकता हूं? मुर्गी बोली तू इतना ऊंचा नहीं उड़ सकता, क्योंकि तू मुर्गा है। 
 
चील के उस बच्चे ने मुर्गी की बात मान ली। उसने ऊंचा उड़ने के सपने देखना छोड़कर मुर्गे की ही जिंदगी में जीता रहा और एक दिन वह मर गया।  
 
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि लोग आपको कई तरह से रोकेंगे, भले ही आप मुर्गे के ही बच्चे क्यों ना हो। आपने जीवन में जो सपने देख रखे हैं उसे पूरा करने की आपकी हर कोशिश पर रोक लगाई जाएगी। आप यदि फाइव स्टार में भोजन करने का सोच रहे हैं तो लोग कहेंगे यह हम लोगों के काम नहीं यह तो अमीरों के काम हैं। इसी तरह आपकी भावनाओं को हर समय कुचला जाएगा यह बोलकर की यह तो बड़े लोगों का काम है हमारा नहीं। 
 
आप जो भी सोचेगे या कुछ नया करने का प्रयास करेंगे तो लोग यह कहकर ही आप को रोकेंगे कि तुम ऐसा नहीं कर सकते, ऐसा हो नहीं सकता और हम जैसे लोगों को ये नहीं करना चाहि। यह सब सुनकर आप अपना इरादा बदलकर सामान्य जिंदगी ही गुजारकर एक दिन आप भी मर जाएंगे। उसी चील के बच्चे की तरह, जिसमें उड़ने की योग्यता थी परंतु वह उसका उपयोग नहीं कर पाया।
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