मां सिर्फ एक शब्द ही नहीं बल्कि पूरा संसार है। आपको इस जीवन में पैदा करने से लेकर, जब तक वह इस धरती पर जीवित है, उनके लिए आपकी खुशी, आपकी सेहत और आपके सपने सबसे ऊपर हैं। इसके लिए ना केवल वह बहुत त्याग करती है, बल्कि अपनी खुद की इच्छाओं को पीछे छोड़ देती है। एक औरत जब मां बनती है, तो वह मां पहले और किसी की पत्नी बाद में होती है और अपने बच्चे के लिए जरूरत पड़ने पर सारे रिश्ते भी तोड़ देती है।
फिर हम जैसे-जैसे बड़े होते हैं, वैसे-वैसे एक मां को इज्जत देना कम क्यों कर देते हैं? और खास कर ऐसी मां की इज्जत, जो इस संसार में अकेले एक बच्चे की परवरिश करती है। हम एक सिंगल मदर को इज्जत ना देकर उसे नीची नजरों से क्यों देखते है ?
ऐसी मां, बिना किसी के साथ, बिना किसी के सहारे से अपने बच्चो को पालती हैं। उन्हें किसी की ना तो दया की, ना ही हमदर्दी की जरुरत है। इस संसार में अगर कोई बहादुर है, तो वह है ऐसी मां, जो निडरता से अपने बलबूते पर अपने बच्चे को पलने की जिम्मेदारी उठाती है।
उनके पास भी विकल्प था कि वह अपने बच्चे को किसी के पास छोड़कर अपने जीवन में आगे बढ़े, परंतु उन्होंने अपने बच्चे में अपना संसार ढूंढा और उसकी परवरिश को बहादुरी से एक चुनौती समझ कर हाथ फैलाकर स्वीकार किया।
अगर एक मां इतना दर्द सहकर एक बच्चे को पैदा कर सकती है, तो सोचिए उसमें कितनी हिम्मत होगी। क्या ऐसी मां अकेले अपने बच्चे को नहीं पाल सकती? उनका जीवन आसान नहीं है, उन्हें भी बहुत सी तकलीफों का सामना करना पड़ता है, पर इतना भी मुश्किल नहीं होता, जितना हम उनके लिए बना देते हैं।
उनका जीवन एक कंधे पर लटके हुए पिठु बैग जैसा होता है, जिसमें वही डाला सकता है जो उस समय जरूरी हो। कमाने से लेकर, बच्चों की देख-रेख, उनकी शिक्षा अपनी देख-रेख, इधर-उधर का काम और अपनी खुद की इच्छाएं, इन सब में से वो उस पिठु बैग में वही डालती है जो वह उस समय संभाल सके।
सिंगल मदर बाकि दूसरी मांओ की तरह, जिनके पास घर परिवार का साथ है, उनके जैसे हर वो चीज अपने लिए नहीं कर पाती। हर कदम पर कुछ ना कुछ पीछे छूट जाता है, पर फिर भी वह पीछे मुड़कर नहीं देखती ना ही कभी हार मानती है। हम अगर उनकी मुश्किलें कम नहीं कर सकते तो बढ़ाएं नहीं ।
हम क्या कर सकते है?
- अगर आपके आस पास कोई मां अपने बच्चे की अकेली परवरिश कर रही है, तो उनके छोटे-छोटे कामो में हफ्ते में एक बार मदद करें, ताकि उन्हें अपने लिए थोड़ा समय मिल सके और आपके साथ से उनकी मुश्किलें कम हो जाएगी ।
- जिम्मेदारी बांटे ।
- उनको घर-परिवार जैसा वातावरण दें।
- उन्हें ताने ना मारें और इज्जत दें। याद रखें, वह एक जीवन की परवरिश कर रही है।
- कभी-कभी के बच्चे कुछ ऐसे सवाल पूछ लेते है जिनका जवाब उनकी मां पास नहीं होता, आप उनका साथ दें।
मां क्या करे?
- पहले तो अपने आप को शाबाशी दें, कि आपने एक बच्चे को अकेले पालने का फैसला किया।
- माना आपका सारा जीवन आपके बच्चे के इर्द-गिर्द घूमता है परंतु अपना और अपनी सेहत का ख्याल जरूर रखें, क्यूंकि आप अपना ख्याल नहीं रखेंगी तो आपके बच्चे को कौन देखेगा?
- दुनिया को खुली नजरों से देखे, हर इंसान खराब नहीं होता। विश्वास करें।
- बहुत सारी चीजें एक साथ करने की कोशिश ना करें, टाइम मैनेज करें। इसमें कोई दो राय नहीं है कि आप एक सुपर मॉम हैं, पर स्थिरता से काम करें।
- घबराएं नहीं, आप में बहुत हिम्मत और समझ है, और इससे ही आप सारी परेशानियों का हल ढूंढ सकती हैं।
- बच्चे अगर ऐसे सवाल पूछें जिनका जवाब आप उस समय नहीं दे सकती, तो अपने जज़्बातों को संभाल कर समझदारी से सही समय आने पर दे। अपने बच्चों की जिज्ञासा का सम्मान करें, उन्हें इस पर डांटें नहीं ।
- भावनात्मक होकर अपने बच्चे के सामने रोएं नहीं, उससे आप में एक कमजोर मां दिखेगी ।
- याद रखें, जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होगा, उसकी खुद की समझ होगी और वह अपने फैसले खुद लेने लगेगा। उस पर अपनी ममता का दबाव ना डालें।
सिंगल मदर हमारे समाज का वह हिस्सा हैं, जो रात-दिन खुद जल कर अपने बच्चों के जीवन में उजाला भरती हैं। वे अपने आप में ही एक मिसाल हैं। हमें मिलकर एक परिवार की तरह उनका साथ देना चाहिए । इस मातृ दिवस पर ऐसी हर मां को सलाम।