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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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संवाद का सेतु 'मीडिया दुनिया'

-डॉ. वर्तिका नन्दा

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इतनी भीड़, इतना शोर। मिली-जुली आवाजों की गड्‍डमड्‍ड के बीच अपने काम की बात को सुन पाना भी बड़ा मुश्किल-सा। कथावाचक भी तय नहीं कर पाता- क्या कहे, क्या न कहे। कहानियों के इस वाचन को करने में उस्ताद है- मीडिया। इस देश का मीडिया दुनिया का सबसे जीवंत मीडिया है। वह हर पल कथा कहता है, जिंदगी में दिलचस्पी घोल देता है। भागता है, हांफता है पर फिर भी कुछ न कुछ कहते ही चलता है। टीवी के पास दृश्य हैं और बंधे-बंधाए दर्शक भी पर साथ ही चिंता कि दर्शक सिर्फ उसके पास कैसे टिका रहे। रेडियो के पास आवाज है पर वह उस समय बड़ा विकल्प बनता है जब टीवी चुप हो। अखबार सुबह की चाय से निकलकर वेब मीडिया के दौर में चौबीसों घंटे साइट के जरिए भी खबरनामा देते हैं।

और जब यह सारे माध्यम मिल जाते हैं तो ब्रेकिंग न्यूज इतनी बार ब्रेक होती है कि पता नहीं चलता कि बड़ी बात क्या, छोटी क्या और बेबात क्या।

मीडिया ने संवाद की जितनी पगडंडियां खोली हैं, उतनी ही नाराजगियां भी। सबके लिए सवाल पूछने वाले मीडिया से अब जनता भी सवाल पूछने लगी है। वह उसे झकझोरती भी है और जरूरत पड़ने पर लताड़ती भी है। दुलार और लताड़ के इस खट्टे-मीठे रिश्ते के बीच इस बात की पड़ताल भी लाजिमी है कि खुद मीडिया की स्थिति क्या है और मीडिया का विस्तार हो कैसे रहा है।

आप जानते हैं कि दुनिया के पहले हिन्दी पोर्टल के रूप में शुरू होकर आज वेबदुनिया डॉट कॉम ऑनलाइन पत्रकारिता में खुद को स्थापित कर चुका है। इंटरनेट के बचपने के दिनों में ही भारतीय भाषाओं को इंटरनेट पर मजबूती से प्रस्तुत करने के अपने प्रयत्नों के तहत आज वेबदुनिया सात भारतीय भाषाओं में प्रमुखता से मौजूद है।

इस पृष्ठभूमि में वेबदुनिया अब एक नया अध्याय खोल रहा है। इस अध्याय का नाम है- 'मीडिया दुनिया'। मीडिया दुनिया एक ऐसा मंच है जहां मीडियाकर्मी, अध्यापक, छात्र, मीडिया विश्लेषक और चिंतक - सभी मिलकर संवाद की परंपरा को आगे बढ़ा सकेंगे। मीडिया दुनिया की इस छांव में हम सब मिलकर मीडिया के एक सुंदर ग्लोबल गांव को तैयार करने की कोशिश करेंगे। मन है कि इसके जरिए हम खुद अपना आईना बन सकें। देश भर के छात्रों को इसमें लिखने और रिपोर्टिंग करने के अवसर दिए जाएं। यहां विचारों को बेहिचक साझा किया जाए। मीडिया से जुड़े हर पहलू पर तर्क हों, कुछ नए पुल बनें और पुराने पुलों की मरम्मत हो। यह मंच आपका ही मंच है। नए विचारों के लिए इसकी खिड़कियां हमेशा खुली रहेंगी।

मेरे लिए यह विशेष खुशी है कि मुझे मीडिया दुनिया की पहली संपादक बनने का मौका मिला है। इसका श्रेय वेबदुनिया की उत्साही टीम को जाता है। बतौर मीडिया शिक्षक मीडिया का पठन-पाठन ऊर्जा देता है। इस ऊर्जावान मंच के जरिए स्थापित पत्रकारों की अनकही कहानियों के साझेपन के अलावा नए पत्रकारों की उंगली थामने की कोशिश होगी। मेरे लिए यह एक स्वैच्छिक लेकिन मनभावन कर्म होगा। लेकिन इस इंद्रधनुष में रंग भरने का काम हम सभी को करना होगा ताकि मीडिया की जन्मकुंडली स्थायी तौर पर अच्छे दिनों की लकीरों से भरी-पूरी रहे।
जय मीडिया, जय भारत...

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