क्या आपका बच्चा भी स्कूल जाने के समय पेट दर्द या बुखार का बहाना बनाता है? ऐसा बच्चे अक्सर करते हैं और आपने भी अपने बच्चपन में ऐसा ज़रूर किया होगा। अधिकतर बच्चों को स्कूल जाना पसंद नहीं होता है। साथ ही छोटे बच्चों को स्कूल की आदत नहीं होती है। पर आपका बच्चा रोज स्कूल न जाने के बहाने करे तो? या स्कूल के बाद बच्चे के व्यवहार में चेंज देखने मिले? हो सकता है आपका बच्चा स्कूल में किसी तरह की परेशानी का सामना कर रहा हो। अधिकतर बच्चे स्कूल की परेशानी के बारे में बताना पसंद नहीं करते हैं। साथ ही उन्हें डांट का डर होता है या उन्हें क्या बताना है ये समझ नहीं आता है। इन लक्षणों की मदद से आप जान सकते हैं कि आपका बच्चा स्कूल में परेशान है या नहीं...
इन संकेतों से जाने बच्चे की परेशानी
1. स्कूल के बारे में बात न करना: अगर आपका बच्चा स्कूल में परेशान है तो वो स्कूल के बारे में बात करना पसंद नहीं करेगा। इस बात को तब नोटिस किया जा सकता है जब आपका बच्चा बहुत बातचीत करता हो और अचानक उसने बात करना बंद कर दिया हो। ऐसी स्थिति में आपको बच्चे और उसकी स्कूल की बातें जानने में समस्या हो सकती है।
2. व्यवहार में बदलाव: स्कूल जाने के बाद आप अपने बच्चे के व्यवहार में बदलाव देख सकते हैं। अगर आपके बच्चे का सकारात्मक व्यवहार है और अचानक वह चिड-चिड़ा हो गया है तो आपको इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है। ऐसी परिस्थिति में बच्चे अकेला रहना पसंद करते हैं या ज्यादा बात नहीं करते हैं।
3. फिजिकल लक्षण दिखना: आपके बच्चे में आपको फिजिकल लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। आपके बच्चे में स्ट्रेस या टेंशन बढ़ सकती है। स्ट्रेस बढ़ने के कारण बच्चे की नींद प्रभावित हो सकती है। साथ ही सिर दर्द, पेट दर्द या मन अच्छा न रहना भी फिजिकल लक्षण हो सकते हैं।
4. टीचर का नेगेटिव फीडबैक: अक्सर पेरेंट्स टीचर का नेगेटिव फीडबैक नज़रंदाज़ कर देते हैं या बच्चे को डांटे लगते हैं। अगर टीचर आपके बच्चे के बारे में कुछ बता रही है तो उसे ध्यान से समझें। साथ ही बच्चे से उस बारे में बात करें और उसे समझने की कोशिश करें।
5. गलत व्यवहार करना: बच्चों का मन चंचल होता है इसलिए कई बार बच्चे शरारत करते हैं। पर शरारत और बतामिज़ी में काफी अंतर होता है। अगर आपका बच्चा किसी चीज से परेशान है तो उसका गुस्सा टीचर या किसी स्टूडेंट पर भी निकाल सकता है।बतामिज़ी पर बच्चे को डांटना उचित है लेकिन उसके इस व्यवहार को समझना ज्यादा ज़रूरी है।