अमलनेर में मंगल ग्रह मंदिर की अनोखी पालकी शोभायात्रा

Webdunia
सोमवार, 9 जनवरी 2023 (18:24 IST)
Mangal dev mandir amalner: अमलनेर (जिला जलगांव, महाराष्ट्र): पालकी कहने पर आषाढ़ी और कार्तिक महिनों में निकलने वाली भव्य दिव्य यात्रा आंखों के सामने आती है। वहीं, स्कूल, कॉलेज, संस्थानों, मंदिरों द्वारा ढोल, ताशा टीमों के साथ जुलूस और पालकी निकाली जाती है। खानदेश के अमलनेर में संत सखाराम महाराज वाडी संस्थान द्वारा निकाली जाने वाली पालकी का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है।
हाल ही में अमलनेर स्थित मंगलग्रह सेवा संस्थान में हर मंगलवार को निकलने वाली पालकी शोभायात्रा हजारों श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। शाम करीब पांच बजे श्री मंगलग्रह मंदिर परिसर में भगवान मंगल की पालकी शोभायात्रा निकाली जाती है। प्रारंभ में विभिन्न फूलों से सजी एक पालकी को मंदिर के सामने बेहद आकर्षक रंगोली के स्थान पर रखा जाता है।
साथ ही श्री मंगल देवता के ''धरणी गर्भ सभूतं विद्युतकान्ती समप्रभम्, कुमारं शक्ती हस्तं चं मंगलम् प्रणमाम्यहम्'' यह मंत्र जाप पुजारियों द्वारा किया जाता है। हर्षोल्लास के माहौल में सेवकों का एक आर्केस्ट्रा ढोल बजाता है। उसके बाद पुजारियों द्वारा शंख और मंत्रों का जाप करते हुए भगवान मंगल की मूर्ति और पादुका को मंदिर से पालकी में रखा जाता है।
आकर्षक सजे-धजे भाले, चोपदार, श्री मंगलग्रह सेवा संस्था के अध्यक्ष, मंदिर के ट्रस्टी और हजारों भक्तों की उपस्थिति में, मेजबान द्वारा पालकी में मंगल देव की मूर्ती और पादुकाओं का मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया जाता है। मेजबान द्वारा पालकी को कंधा देने के बाद पालकी निकलती है। पालकी मार्ग पर भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, श्री मंगलग्रह की स्तुति में विभिन्न भक्ति गीत और भजन गाए जाते हैं। इस समय भक्तों की उपस्थिति और पालकी जुलूस का भक्तिमय वातावरण भक्तों को एक प्रकार की दिव्य ऊर्जा से भर देता है।

 
जब पालकी जुलूस मंगलेश्वर श्री स्वामी समर्थ मंदिर के पास पहुंचता है तो श्री स्वामी समर्थ की स्तुति में भक्ति गीत व भजन गाए जाते हैं। उसके बाद श्री स्वामी समर्थ की महाआरती की जाती है। वहां से जब पालकी जुलूस मंगलेश्वर महादेव मंदिर के पास पहुंचता है, तो भगवान महादेव की स्तुति में विभिन्न भक्ति गीत और भजन किए जाते हैं और भगवान महादेव की महाआरती की जाती है। पालकी जुलूस भगवान मंगलग्रह का नाम जपते हुए आगे बढ़ता है। 
श्री मंगलग्रह देव के मंदिर के सामने पालकी जुलूस आने के बाद, यह कुछ समय के लिए रुक जाता है और श्री मंगलग्रह देव को 'बार बार वंदना, हजार बार वंदना' गाते हुए परिक्रमा पूरी करता है, जिसके बाद यजमान फिर विधिवत पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। पालकी में श्री मंगलग्रह देव की मूर्ति और मंदिर में पादुका स्थापित की जाती है। उसके बाद नियमित संध्या महाआरती शुरू होती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Nanak Jayanti 2024: कब है गुरु नानक जयंती? जानें कैसे मनाएं प्रकाश पर्व

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

शमी के वृक्ष की पूजा करने के हैं 7 चमत्कारी फायदे, जानकर चौंक जाएंगे

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास पूर्णिमा का पुराणों में क्या है महत्व, स्नान से मिलते हैं 5 फायदे

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

सभी देखें

धर्म संसार

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Dev Diwali 2024: वाराणसी में कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व और पूजा विधि और उपाय

Surya in vrishchi 2024: सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, 4 राशियों के लिए बहुत ही शुभ

Aaj Ka Rashifal: 13 नवंबर के दिन किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा धनलाभ, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख
More