जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर, जानिए किन 4 नामों को करते हैं सुशोभित

Webdunia
- राजश्री कासलीवाल
 
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है। उनके सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय आदि उपदेश एक खुली किताब की तरह हैं। जो सत्य परंतु आम आदमी को कठिन प्रतीत होते हैं। कहने को तो वे एक राजा के परिवार में पैदा हुए थे। उनके घर-परिवार में ऐश्वर्य, धन-संपदा की कोई कमी नहीं थी, जिसका कि वे मनचाहा उपभोग भी कर सकते थे, परंतु युवावस्था में कदम रखते ही उन्होंने संसार की माया-मोह, सुख-ऐश्वर्य और राज्य को छोड़कर दिल दहला देने वाली यातनाओं को सहन किया और सारी सुविधाओं को त्यागकर वे नंगे पैर पैदल यात्रा करते रहे।
 
 
पिता ने दिया वर्द्धमान का नाम : जन्मोत्सव के बाद ज्योतिषों द्वारा चक्रवर्ती राजा बनने की घोषणा करने के बाद उनके कई किस्से इस बात को सच साबित करते पाए गए। उनके जन्म से पूर्व ही कुंडलपुर के वैभव और संपन्नता की ख्याति दिन दूनी और रा‍त चौगुनी बढ़ती गई। अत: महाराजा सिद्धार्थ ने उनका जन्म नाम 'वर्द्धमान' रख दिया। चौबीसों घंटे लगने वाली दर्शनार्थियों की भीड़ ने राजपाट की सारी मयार्दाएं ढहा दीं। इस प्रकार वर्द्धमान ने लोगों में यह संदेश प्रेरित किया कि उनके घर के द्वार सभी के लिए हमेशा खुले रहेंगे। वर्द्धमान ने यह सिद्ध कर दिखाया। 
 
वीर नाम की प्राप्ति : जैसे-जैसे महावीर बड़े होते जा रहे थे, वैसे-वैसे उनके गुणों में बढ़ोतरी हो रही थी। एक बार जब सुमेरू पर्वत पर देवराज इन्द्र उनका जलाभिषेक कर रहे थे। तब कहीं बालक बह न जाए इस बात से भयभीत होकर इन्द्रदेव ने उनका अभिषेक रुकवा दिया। इन्द्र के मन की बात भांपकर उन्होंने अपने अंगूठे के द्वारा सुमेरू पर्वत को दबाकर कंपायमान कर दिया। यह देखकर देवराज इन्द्र ने उनकी शक्ति का अनुमान लगाकर उन्हें 'वीर' के नाम से संबोधित करना शुरू कर दिया। 
 
दो मुनियों ने दिया भेंट सन्मति का नाम : बाल्यकाल में महावीर महल के आंगन में खेल रहे थे तभी आकाश मार्ग से संजय मुनि और विजय मुनि का निकलना हुआ। दोनों इस बात की तोड़ निकालने में लगे थे कि सत्य और असत्य क्या है? उन्होंने जमीन की ओर देखा तो नीचे महल के प्रांगण में खेल रहे दिव्य शक्तियुक्त अद्‍भुत बालक को देखकर वे नीचे आए और सत्य के साक्षात दर्शन करके उनके मन की शंकाओं का समाधान हो गया है। इन दो मुनियों ने उन्हें 'सन्मति' का नाम दिया और खुद भी उन्हें उसी नाम से पुकारने लगे। 
 
पराक्रम की चर्चा ने बनाया अतिवीर : युवावस्था में लुका-छिपी के खेल के दौरान कुछ साथियों को एक बड़ा फनधारी सांप दिखाई दिया जिसे देखकर सभी साथी डर से कांपने लगे, कुछ वहां से भाग गए लेकिन वर्द्धमान महावीर वहां से हिले तक नहीं। उनकी शूरवीरता देखकर सांप उनके पास आया तो महावीर तुरंत सांप के फन पर जा बैठे। उनके वजन से घबराकर सांप बने संगमदेव ने तत्काल एक सुंदर देव का रूप धारण किया और उनके सामने उपस्थित हो गए। उन्होंने वर्द्धमान से कहा- स्वर्गलोक में आपके पराक्रम की चर्चा सुनकर ही मैं आपकी परीक्षा लेने आया था। आप मुझे क्षमा करें। आप तो वीरों के भी वीर 'अतिवीर' है। 
 
इन चारों नामों को सुशोभित करने वाले महावीर स्वामी ने संसार में बढ़ती हिंसक सोच, अमानवीयता को शांत करने के लिए अहिंसा के उपदेश प्रसा‍रित किए। उनके उपदेशों को जानने-समझने के लिए कोई विशेष प्रयास की जरूरत नहीं। उन्होंने लोक कल्याण का मार्ग अपने आचार-विचार में लाकर धर्म प्रचारक का कार्य किया। 
 
ऐसे महान चौबीस तीर्थंकरों के अंतिम तीर्थंकर महावीर के जन्मदिवस प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्मावलंबी प्रात:काल प्रभातफेरी निकालते हैं। उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालने के तत्पश्चात स्वर्ण एवं रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है। जैन समाज द्वारा दिनभर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। संपूर्ण विश्‍व में 'जियो और जीने दो' का महान संदेश फैलाने वाले ऐसे भगवान महावीर स्वामी को शत्-शत् नमन, महावीर स्वामी की जय हो!
 
 
जय महावीर...। जय जिनेन्द्र...!

सभी को महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं...।


ALSO READ: महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध, जानिए दोनों के बीच क्या है खास 12 बातें
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किए जाएंगे 10000 सफाईकर्मी

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

10 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह के दिन आजमा सकते हैं ये 12 अचूक उपाय

Dev uthani gyaras 2024 date: देवउठनी देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि

अगला लेख
More