नई दिल्ली। महाराष्ट्र में नए राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच शिवसेना ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले का विशेष उल्लेख नहीं किया।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बारे में निर्णय को लेकर कुछ अतिरिक्त मोहलत नहीं दिए जाने के राज्यपाल के निर्णय के खिलाफ शिवसेना को बुधवार सुबह शीर्ष अदालत में मामले का विशेष उल्लेख करना था, लेकिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद पार्टी मामले का विशेष उल्लेख करने से पीछे हट गई। शिवसेना के वकील सुनील फर्नांडीस ने बताया कि मंगलवार रात राज्य में लगाए गए राष्ट्रपति शासन के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बारे में निर्णय को लेकर कुछ अतिरिक्त मोहलत नहीं दिए जाने के राज्यपाल के निर्णय के खिलाफ मंगलवार को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
शिवसेना ने मामले की त्वरित सुनवाई का भी न्यायालय से अनुरोध किया था। याचिका में महाराष्ट्र सरकार के अलावा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को भी पार्टी बनाया गया था। शिवसेना ने मांग की थी कि उन्हें राकांपा और कांग्रेस से समर्थन का पत्र लेने के लिए तीन दिन का समय दिया जाए।
याचिका में आरोप लगाया है कि राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी भाजपा के इशारों पर काम कर रहे हैं। राकांपा ने आरोप लगाया है कि उसे सरकार बनाने के लिए जरूरी वक्त नहीं दिया। राज्यपाल ने जहां भाजपा को समर्थन जुटाने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया, वहीं शिवसेना को महज 24 घंटे मिले। (वार्ता)