नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा में भले ही भाजपा सरकार बनाने की ओर अग्रसर नजर आ रही है, पर दोनों ही राज्यों में पार्टी को भारी नुकसान हुआ है। दूसरी ओर चुनाव से पहले तक कमजोर नजर आ रही कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। उसे दोनों ही जगहों पर गठबंधन के साथ 31 सीटों का फायदा हुआ है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था।
लोकसभा चुनाव में इन दोनों ही राज्यों में माहौल भाजपामय नजर आया था और कांग्रेस तो हाशिए पर नजर आ रही थी। लेकिन 5 माह में ही हालात बदलते नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को कुछ हद तक कमजोर किया और कांग्रेस को संजीवनी प्रदान की।
वैसे तो दोनों ही राज्यों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, परंतु हरियाणा में बहुमत से 7 कदम दूर रह गई तो महाराष्ट्र में भी उसे 17 सीटों का नुकसान हुआ। हरियाणा में भाजपा का वोट शेयर 23 प्रतिशत कम हुआ और उसे महाराष्ट्र में 2 प्रतिशत वोटों का घाटा हुआ।
भाजपा का दावा था कि उसे हरियाणा में 80 से ज्यादा सीटें मिलेगी जबकि महाराष्ट्र में अपने ही दम पर सरकार बनाने के दावा भाजपा नेता कर रहे थे। इसके उलट दोनों ही राज्यों में उसकी सीटें कम हो गईं। महाराष्ट्र में भले ही भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिल गया हो लेकिन इसके साथ ही 24 सीटों का नुकसान भी हुआ है। इसमें भी भाजपा ने अकेले ही 17 सीटें गवां दीं।
महाराष्ट्र में शिवसेना को 7 सीटों का नुकसान हुआ, पर उसकी स्थिति भाजपा के मुकाबले ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। भाजपा की यह पुरानी सहयोगी भी अब 50-50 के फॉर्मूले पर अड़ गई है।
कांग्रेस ने हरियाणा में इस चुनाव में न सिर्फ स्थानीय मुद्दों को आधार बनाया बल्कि लड़ाई को खट्टर वर्सेस हुड्डा करने में भी सफलता प्राप्त की। महाराष्ट्र में भी स्थानीय नेताओं को ही आगे रखा। इससे दोनों ही राज्यों में पार्टी को भारी फायदा हुआ। कांग्रेस यह लड़ाई हारकर भी जीत गई, तो भाजपा जीतकर भी हारती प्रतीत हो रही है।