भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में एक बार फिर बड़े नेताओं के बीच दूरी और तालमेल में कमी दिखाई दे रही है। प्रदेश में ओला पीड़ित किसानों को मुआवजा दिलाने और किसानों की कर्जमाफी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले से एलान कर चुके थे कि वो 26 फरवरी को सीहोर में कमलनाथ सरकार को खिलाफ आंदोलन करेंगे। वहीं दूसरी ओर किसानों के इन्हीं मुद्दों को लेकर शिवराज के आंदोलन से दो दिन पहले आज बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह देवास में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतरेंगे।
आंदोलन का नेतृत्व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह खुद करेंगे और कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे। बीजेपी ने कांग्रेस पर किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने किसानों से बड़े-बड़े वादे किए लेकिन सरकार बनने के बाद कोई भी वादा पूरा नहीं किया। किसानों की कर्ज माफी को लेकर भी बीजेपी ने कांग्रेस पर सवाल उठाए है।
बीजेपी भले ही किसानों के मुद्दें पर कमलनाथ सरकार को घेर रही हो लेकिन एक ही मुद्दें पर पार्टी के दो बड़े नेताओं को अलग-अलग आंदोलन करना कहीं न कहीं पार्टी के भीतर सब कुछ सहीं न होने को दर्शाता है। एक ही मुद्दें पर इन दो अलग आंदोलन से सवाल ये खड़ा होता है कि क्या पार्टी में कार्यक्रमों को लेकर तालमेल में कमी है।
सवाल ये भी है कि पार्टी के शीर्ष दो नेता किसानों के मुद्दें पर एक साथ बड़ा आंदोलन कर सरकार को और अधिक प्रभावी तरीके से नहीं घेर सकते थे। विधानसभा चुनाव के ठीक बाद जब शिवराज पूरे प्रदेश में आभार यात्रा निकालने की तैयारी में थे तो संगठन ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।
वहीं इंदौर और खरगौन में पार्टी के स्थानीय कार्यक्रम में बैनर और पोस्टर में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का फोटो न होने पर भी कई सवाल खड़े हुए थे। ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में सब कुछ पटरी पर है।