छतरपुर जिले में भीषण गर्मी के चलते जलाशयों का जल स्तर घटता जा रहा है। गर्मी की तपन बढ़ने से रहस्यमयी तीर्थस्थल भीमकुंड का जल स्तर 8 भी फुट तक नीचे चला गया है। ऐसे में अंचल में जल संकट के संकेत नजर आ रहे हैं। लंबे समय के बाद भीमकुंड का चल स्तर इतना नीचे देखने को मिल रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड का जुड़ा सीधे पाताल लोक से है। इस कुंड से जुड़े कई रहस्य भी हैं। कहा जाता है कि इसके रहस्य से पर्दा वैज्ञानिक भी नहीं उठा पाए हैं।
छतरपुर जिले के बड़ामलहरा के बकस्वाहा विकास खंड की ग्राम पंचायत बाजना में स्थित भीमकुंड बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि देश- विदेश में विख्यात है। कहा जाता है कि प्राकृतिक अनहोनी के पहले ही इस कुंड में हलचल शुरू हो जाती है।
दक्षिण भारत में 2004 में आई सुनामी के पहले ही इस कुंड ने बड़े प्रलय के संकेत दे दिए थे। इस खबर से वैज्ञानिकों ने यहां शोध भी किया। भीमकुंड में यह कैसे और किस कारण से संभव हुआ, वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा सके है। इतना ही नहीं भीमकुंड की गहराई कितनी है, इसे नापने में भी वैज्ञानिक असफल हुए है। रहस्यों से भरे भीमकुंड को लेकर अनेक कहानियां प्रचलित हैं।
आखिर क्या है इस रहस्यमय कुंड की कहानी : भीमकुंड का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ बताया जाता है। चारों ओर कई प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों और वृक्षों से आच्छादित भीमकुंड के बारे में कहा जाता है कि भीम के गदा के प्रहार से यह अस्तित्व में आया था। जनश्रुतियों के अनुसार अज्ञातवास के समय जंगल में विचरण के समय द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए भीम ने एक स्थान पर अपनी गदा से पूरी ताकत से प्रहार किया तो वहां पाताल कुंड निर्मित हुआ। वर्तमान में इसे भीमकुंड के नाम से जाना जाता है।
यहां चट्टानों के बीच निर्मित प्राकृतिक गुफाएं पांडवों के रहने का प्रमाण देती हैं। अंदर से देखने पर ऊपर चट्टानों के बीच से आसमान गोलाकार नजर आता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे यहां की चट्टानी छत को किसी ने गोल आकार के रूप में काटा है। माना जाता है कि यह गोलाकार विशाल छेद भीम की गदा के प्रहार से निर्मित हुआ है।