Special Report :100 दिन में कोरोना सहित अन्य चुनौतियों से निपटने में सफल शिव'राज' !

30 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरा कर रहे हैं 100 दिन का कार्यकाल

विकास सिंह
सोमवार, 29 जून 2020 (12:36 IST)
भारत का हद्रय प्रदेश कहे जाने वाला मध्यप्रदेश आज कोरोना के खिलाफ जंग में बहुत हद तक अगर सफल हैं तो इसका पूरा श्रेय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है। बतौर मुख्यमंत्री शिवराज अपने चौथे कार्यकाल का पहला 100 दिन मंगलवार को पूरा करने जा रहे है। शिवराज ने एक ऐसे समय प्रदेश की कमान संभाली थी जब कोरोना प्रदेश में दस्तक दे चुका था और आज ये कहने में कोई संकोच नहीं हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने अपने बेहतर प्रशासनिक कौशल और सूझबूझ से अपने कार्यकाल के पहले 100 दिन में कोरोना को कंट्रोल करने में एक हद तक सफल हुए है।

शपथ लेते एक्शन में आए सीएम शिवराज  -  महामारी कोरोना के संक्रमण की प्रदेश में दस्तक देने के साथ 23 मार्च की शाम को मध्यप्रदेश की बागडोर संभालने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने दीर्धर्कालिक प्रशासकीय अनुभवों के आधार पर स्थिति की गंभीरता को भांप चुके थे, इसलिए राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद वह सीधे एक्शन में आ गए और आधी रात तक मंत्रालय में अफसरों के साथ बैठक कर कोविड की पूरी स्थिति की समीक्षा की।

राज्य के आला अफसरों के साथ पहली बैठक में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बात अनुभव हो गया था कि ये लड़ाई लंबी है और वैश्विक कोरोना महामारी से मुकाबला करने के लिए प्रदेश के तैयारियां नहीं के बराबर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समाने चुनौतियां बहुत अधिक थी फिर भी 13 साल से अधिक लंबे समय तक प्रदेश की बागडोर संभाल चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाया कि वो कोरोना संकट से प्रदेश को बचा लेंगे।

लॉकडाउन का सख्ती से पालन और लोगों का उत्साहवर्धन - कोरोना संक्रमण को और फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च की रात 8 बजे देश के नाम अपने संबोधन में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी। यह वह समय था जब मध्यप्रदेश में सत्ता संभाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 24 घंटे ही हुए थे। कोरोना के खिलाफ जंग में लोगों के हौंसले को बनाए रखने की कमान खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने हाथों में संभाली, उन्होंने लोगों घरों में रहने और लॉकडाउन के नियमों का सख्ती पालन करने की अपील की और लोगों को भरोसा दिलाया कि उनके  घरों में ही सारी आवश्यक वस्तुएं पहुंचाई जाएगी।

ये वह समय था जब कोरोना को परास्त करने और लोगों की मदद के लिए सरकार को आर्थिक सहयोग की भी जरुरत थी, इसके लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे आते हुए एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने की घोषणा के साथ ही एक साल तक मुख्यमंत्री के तौर पर मिलने वाला वेतन 30 परसेंट कम लेने का एलान किया। इसके साथ उन्होंने फैसला किया कि कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए विधायक अपनी विधायक निधि का उपयोग अपने क्षेत्र में कर सकेंगे।

कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए IITT फॉर्मूला - कोरोना संक्रमण को प्रदेश में फैलने से रोकने के लिए सबसे जरूरी था कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाए। आज अगर कोरोना के खिलाफ जंग में मध्यप्रदेश रिकवरी रेट में देश में दूसरे स्थान पर है तो इसका सबसे बड़ा कारण प्रदेश में कोरोना मरीजों की सहीं समय पर पहचाना होकर उनका इलाज होना है। प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर आई.आई.टी.टी. (आईडेंटिफाई, आयसोलेट, टैस्ट एण्ड ट्रीट) रणनीति पर काम किया गया है। इस रणनीति के सहारे ही कोरोना के हॉटस्पॉट बने भोपाल और इंदौर में कोरोना पर बहुत हद तक काबू पा लिया गया है।

कोरोना से लड़ाई में फ्रंट लाइन पर तैनात सरकारी कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों का हौंसला बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद उनके बीच पहुंचे। राजधानी भोपाल के कई इलाकों का दौरा कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सफाई व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाला वालों का धन्यवाद भी दिया, इसके साथ मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिसकर्मियों, नगरीय निकाय के अमले,राजस्व अमले और स्वयं सेवी संस्थाओं का आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कोरोना के हॉटस्पॉट बने भोपाल और इंदौर के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का हौंसला बढ़ाने के लिए उनसे फोन पर बातचीत भी की। इसके साथ कोविड-19 में लगे सरकारी, प्राइवेट डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के 50 लाख का बीमा करने का फैसला भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोरोना के भय को मन से निकाल कर सही समय पर संक्रमण को पहचान लिया जाए तो यह साधारण सर्दी,जुकाम से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

कोरोना के खिलाफ जंग में सभी का सहयोग और मार्गदर्शन लेने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उमा भारती और कमलनाथ से फोन पर चर्चा कर उनके सरकार के प्रयासों से अवगत कराने के साथ सुझाव भी मांगा। कोरोना के खिलाफ जागरूकता फैलाने और उसको परास्त  करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धर्मगुरूओं की भी सहयोग लिया।

कोरोना काल में कैबिनेट का  गठन - कोरोना काल में शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 अप्रैल को अपनी कैबिनेट का गठन कर 5 मंत्रियों को अपनी टीम में शामिल किया। कोरोना काल में सबसे महत्वपूर्ण विभाग बने गृह और स्वास्थ्य की कमान उन्होंने अपने सबसे भरोसेमंद और पुराने साथी डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा के हाथों में सौंपी।  

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर जीवन अमृत योजना के तहत एक करोड़ से अधिक लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा बांटा जा रहा है, त्रिकटा चूर्ण, सौंठ, पीपल और काली मिर्च से बना ये आयुर्वेदिक काढ़ा लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने में बहुत कारगर साबित हो रहा है।

कोरोना के बढ़ते सक्रंमण के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों से कोरोना के साथ कैसे जिएं इसको सीखने की अपील की। इसले लिए उन्होंने लोगों को अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने के साथ योग और व्यायाम करने की सलाह दी। लोगों को योग के प्रति जागरूक करने के लिए योगगुरु बाबा रामदेव ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ को वीडियो कांफेंसिंग के जरिए योग के महत्वपूर्ण आसन बताए।

प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए आगे आए शिवराज - लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों में फंसे मध्यप्रदेश के प्रवासी मजूदरों को वापस लाने और उनकी मदद करने के लिए भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बड़े निर्णय लिए। बात चाहे राज्य के बाहर फंसे मजदूरों को आर्थिक मदद के लिए उनके खाते में रूपए डालने की हो या प्रदेश लौटे प्रवासी मजदूरों को संबल योजना के दायरे में लाकर उनकी हर मदद करने की शिवराज ने संकट काल में तेजी से फैसले लिए।

प्रदेश लौटे प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में रोजगार देने के लिए श्रम सिद्धी अभियान शुरू किया गया, अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे मजदूर जिनके जॉब कार्ड नहीं है उनके जॉब कार्ड बनाकर उनको काम दिलाया जा रहा है। कोरोना काल में प्रदेश लौटे प्रवासी मजदूरों का सर्वे कर मध्यप्रदेश देश के उन पहले राज्यों में शामिल हो गया जो अब मजदूरों की स्किल की पहचान कर उसके मुताबिक रोजगार देने की व्यवस्था कर रहा है, इसके लिए प्रदेश में रोजगार सेतु पोर्टल लॉन्च हो चुका है और अब तक बड़ी संख्या में रोजगार भी मिल चुका है।   

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश की जनता से संवाद कर लोगों को यह भरोसा दिलाया कि संकट में सरकार पूरी तरह उनके साथ है। मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के दौरन सभी गरीबों को पांच महीने का राशन मुफ्त देने का भी एलान किया। मध्यप्रदेश देश के उन पहले राज्यों में शामिल हो गया है जिसने वन नेशन, वन राशन कार्ड की योजना शुरु कर दी है।

जब देश के कई राज्य प्रवासी मजदूरों के पलायन की समस्या जूझ रहे थे तब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मजदूरों की मदद के लिए आगे आई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां प्रदेश के मजदूरों को उनके घर तक बसों और ट्रेनों के जरिए पहुंचाया वहीं प्रदेश से गुजरने वाले अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूरों के खाने पीने का इंतजाम करने के साथ ही उनके गृहराज्य की सीमा तक बसों के जरिए पहुंचाने के निर्देश दिए।

पांव-पांव वाले शिवराज बनें 'डिजिटल महायोद्दा' - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन के फैसले के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने हुए मुश्किल वक्त गुड गवर्नेस स्थापित करना बड़ी चुनौती थी। सुदीर्ध शासकीय अनुभव वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस चुनौती को स्वीकार कर नेशनल इनफॉर्मेटिक सेंटर और सोशल मीडिया के जरिए जिलों में तैनात अफसरों से लेकर आम जनता तक निरंतर संवाद बनाए रखा। एक बड़े संवाद सेतु के साथ कोरोना के खिलाफ युद्ध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान डिजिटल मैदान में एक महायोद्धा की तरह उभरे। 

कोरोना के खिलाफ जंग में मध्यप्रदेश में लगातार हो रहे नवाचारों की सराहना खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में कर चुके है, वहीं इंदौर और भोपाल में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेश की तारीफ की है।

शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में कोरोना से किस तरह का डटकर मुकाबला किया है इस बात की तस्दीक इस बात से हो जाती है कि आज मध्यप्रदेश में कोरोना की ग्रोथ रेट सबसे कम है, वहीं रिकवरी रेट के मामले में मध्यप्रदेश राजस्थान के बाद दूसरे नंबर है।

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