राज्यसभा का रण : दिग्विजय को रोकने के लिए वोटिंग के दौरान भाजपा ने उछाला दलित अपमान का मुद्दा, सीएम शिवराज ने किया मतदान
दिग्विजय सिंह हमेशा रोकते हैं दलितों का रास्ता : नरोत्तम मिश्रा
भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। विधानसभा के सेंट्रल हॉल में बनाए गए पोलिंग बूथ पर विधायक अपना वोट डाल रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा सबसे पहले मतदान करने वालों में शामिल है। कोरोना काल में हो रही वोटिंग में पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है। विधायकों की थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही विधानसभा के अंदर प्रवेश दिया जा रहा है।
राज्यसभा चुनाव की वोटिंग के लिए सभी कांग्रेस विधायक एक साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बंगले से दो बसों से विधानसभा पहुंचे। विधायकों के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी बस से ही विधानसभा पहुंचे।
वहीं प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के सभी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा वोटिंग शुरु होने के साथ ही विधानसभा पहुंच गए थे।
प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस की तरफ से दो उम्मीदवारों के उतारे जाने के बाद चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और आदिवासी चेहरे सुमेर सिंह सोलंकी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया को अपना उम्मीदवार बनाया है।
भाजपा ने उछाला दलित अपमान का मुद्दा - राज्यसभा वोटिंग के दौरान भाजपा ने दलित अपमान का मुद्दा उठा कर दिग्विजय सिंह को घेरने की आखिरी कोशिश भी की। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय सिंह को कांग्रेस की तरफ से प्रथम वरीयता वाला उम्मीदवार बनाए जाने और दलित नेता फूल सिंह बरैया को दूसरी वरीयता देने पर जमकर घेरा।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस को इस तरह दलित व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। अब भी समय है पार्टी फूल सिंह बरैया को अपना प्रथम वरीयता वाला उम्मीदवार बनाए। उन्होंने दिग्विजय सिंह को घेरते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह हमेशा दलितों को आगे बढ़ने से रोक देते है।
राज्यसभा का सियासी गणित – मध्यप्रदेश विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 230 है वहीं कांग्रेस विधायकों के पाला बदलने के बाद इस्तीफे और दो विधायकों के निधन के चलते वर्तमान में 24 सीटें खाली है। राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक उम्मीदवार को 52 विधायकों के प्रथम वरीयता वाले वोट चाहिए।
ऐसे में भाजपा जिनके खुद के विधायकों की सदस्य संख्या 107 है और उसको बसपा,सपा के साथ 3 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन भी है। ऐसे में अगर कोई सियासी उलटफेर नहीं हुआ तो भाजपा के दोनों उम्मीदवारों का जीतना तय है।
वहीं कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 है और पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपना प्रथम वरीयता वाला उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने नई रणनीति के तहत दिग्विजय सिंह के पक्ष में 52 की जगह 54 विधायकों के मतदान कराने का फैसला किया है।