उत्तर प्रदेश में सावन माह में निकलने वाली कावड़ यात्रा के मार्ग पर दुकानदारों को अपना नाम और पता दर्ज करे के योगी सरकार के आदेश पर जहां सियासी घमासान मचा हुआ है। वहीं मध्यप्रदेश में इस तरह की मांग ने जोर पकड़ लिया है। भाजपा नेता धैर्यवर्धन ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश की तरह अब मध्य प्रदेश में भी दुकानदारों को अपना नाम और पता लिखने को अनिवार्य रूप से लागू किया जाना चाहिए।
मध्यप्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य धैर्यवर्धन ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की है कि खाद्य सामग्री विक्रेताओं की दुकान,हाथ ठेलों पर अनिवार्य रूप से नाम,आधार कार्ड पर अंकित पता और गुमास्ता कानून के अंतर्गत आवंटित पंजीयन नंबर और विक्रेता तथा दुकान मालिक का मोबाइल नंबर अनिवार्यतः लिखा जाना चाहिए । उन्होंने मांग की है कि गुमास्ता कानून के पालनार्थ भी सभी विक्रेताओं को अपना नाम और पता दुकान पर साफ, बड़े अक्षरों में लिखना ही चाहिए। भाजपा नेता धैर्यवर्धन ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश की तरह अब मध्य प्रदेश में भी इसे अनिवार्यतः लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कई बार विक्रेताओं द्वारा अमानक और अशुद्ध सामग्री बेच दी जाती है। खरीददारों को यह भी पता नहीं होता कि उसको गलत, अशुद्ध या सड़ी, गली सामग्री देने वाला दुकानदार कौन है। नगर पालिका कुछ समय पूर्व जब गली गली में मौजूद रेहड़ी, ठेले वालों से प्रतिदिन टैक्स वसूली करती थी तो उनका नाम, पता लिखने में एतराज क्यों! नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर निगम आदि संस्थाओं को इस सभी विक्रेताओं को एक विक्रेता नंबर उपलब्ध कराना चाहिए ताकि नगर पालिका में टैक्स की राशि ज्यादा पहुंचेगी । जब मध्य प्रदेश में हाथ ठेला वालों से प्रतिदिन पैसे लेने की प्रथा थी तब ठेकेदार या वसूली कर्मचारी बड़ी तादाद में दुकानदारों से सड़क पर खड़े होने के एवज में पैसे लेकर अपनी जेब में डाल लेते हैं। खान पान का सामान बेचने वाले और जिम्मेदार बने इसलिए खान पान की रेहड़ी वाले जरूर यह जानकारी स्वप्रेरणा से पठनीय आकर में यह सब लिखें ।
योगी सरकार का क्या है आदेश?-उत्तरप्रदेश में योगी सरकार ने कांवड़ यात्रियों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर ' नेमप्लेट' लगाने का आदेश दिया है। आदेश में साफ कहा गया है कि हर हाल में दुकानों पर संचालक मालिक का नाम लिखा होना चाहिए, इसके साथ ही उसे अपनी पहचान के बारे में बताना होगा। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से ये फैसला कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए लिया गया है. साथ ही हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचनेवालों पर भी कार्रवाई की जाएगी।