जबलपुर (मप्र)। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के पूर्व वित्तमंत्री राघवजी को राहत देते हुए उनके खिलाफ 2013 में दर्ज उस प्राथमिकी को निरस्त कर दिया है जिसमें उन पर उनके पूर्व पुरुष घरेलू सहायक के साथ अप्राकृतिक कृत्य में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने यह देखते हुए कि शिकायत खारिज की कि यह दुर्भावनापूर्ण इरादे से दर्ज की गई है।
राघवजी ने भोपाल के हबीबगंज पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध), 506 (जान से मारने की धमकी), 34 (सामान्य इरादा) के तहत उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने की मांग करते हुए यह याचिका दायर की थी।
पूर्व मंत्री के खिलाफ उनके घरेलू सहायक ने 7 जुलाई 2013 को शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने एक सीडी का हवाला दिया जिसमें राघवजी को कथित तौर पर आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उस समय वित्त विभाग संभालने वाले राघवजी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
अदालत ने 14 जून को पारित अपने आदेश में कहा कि राघवजी का घर छोड़ने के बाद शिकायतकर्ता ने लिखित शिकायत दी थी कि राघवजी ने उसे नौकरी में रखने के बदले अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया और यह 2010 से मई 2013 तक जारी रहा।
न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत कोई अपराध नहीं बनता क्योंकि यह सहमति का मामला है और याचिकाकर्ता (राघवजी) के खिलाफ अभियोजन दुर्भावनापूर्ण है। इसलिए मैं याचिका को अनुमति देता हूं और हबीबगंज पुलिस थाने में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त की जाती है।(भाषा)