हाथरस केस के बाद जागी सरकार! भोपाल के मनुआभान टेकरी गैंगरेप और मर्डर केस की CBI करेगी जांच

डेढ़ साल से न्याय और सीबीआई जांच के लिए भटक रहा था पीड़ित परिवार

विकास सिंह
बुधवार, 7 अक्टूबर 2020 (09:41 IST)
हाथरस गैंगरेप कांड के बाद अब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में डेढ़ साल पहले हुए नाबालिक लड़की से गैंगरेप और मर्डर की जांच सीबीआई से कराने का फैसला शिवराज सरकार ने किया‌ है। राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के लिए गृह विभाग को अपनी सहमति भेज दी है।

राजधानी के मशहूर पिकनिक स्पॉट मनुआभान टेकरी में पिछले साल अप्रैल में अपनी रिश्तेदार  के साथ घूमने गई एक नाबालिक लड़की की गैंगरेप के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। आरोपियों ने पहचान छुपाने के लिए नाबालिक लड़की के चेहरे को पत्थर से बुरी तरह कुचल दिया था। 
 
पूरे मामले की जांच कर रही कोहेफिजा‌ पुलिस शुरू से ही विवादों से घिरी है। पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर पीड़िता परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की थी। वहीं सरकार की ओर से सीबीआई जांच का ऐलान होने के बाद परिवार को अब इंसाफ की उम्मीद जगी है। पीड़ित लड़की को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कमलनाथ सरकार के समय शिवराज सिंह चौहान रोशनपुरा चौराहे पर धरने पर बैठकर कैंडल मार्च भी निकला था। 
 
क्या है पूरा मामला- 30 अप्रैल 2019 को 12 साल की नाबालिक लड़की जो अपनी बुआ और उसके दोस्त के साथ मनुआभान टेकरी पर घूमने गई थी,उसकी गैंगरेप के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच सही से नहीं की और वह पहले दिन से ही पूरे मामले की लीपापोती ‌में जुटी रही जिसके दोषियों को अब तक सजा नहीं मिल पाई है।
 
पुलिस ने इस मामले में दो आरोपी अविनाश साहू और जस्टिन राज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था लेकिन अब तक इस पूरे मामले की गुत्थी नहीं सुलझ पाई है। पीड़ित परिवार ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक गुहार लगाई थी जिसके बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई से बच्ची के माता-पिता शुरू से ही संतुष्ट नहीं है।
 
पुलिस ने पूरे मामले में नाबालिग लड़की की बुआ को आरोपी नहीं बनाया जबकि वह अपनी बुआ के साथ ही घूमने मनुआभान टेकरी गई थी और मुख्य आरोपी उसकी पहचान का ही है। कोहेफिजा पुलिस इस पूरे मामले में कोर्ट में चालान पेश कर चुकी है। पुलिस की चालान रिपोर्ट भी खामियों से भरा हुआ है चालान में ना तो डीएनए रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत प्रस्तुत की गई नाही ऐसे साक्ष्य जिससे कि आरोपियों को कठोर सजा मिल सके। 
 

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