दिल्ली हादसे के बाद MP में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों का CM ने दिए सर्वे के निर्देश

विकास सिंह
सोमवार, 29 जुलाई 2024 (20:06 IST)
भोपाल। दिल्ली में ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे में बेसमेंट में पानी भरने से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार ने बेसमेंट में संचालित कोचिंग केंद्रों के सर्वे के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बेसमेंट में चल रहे कोचिंग के स्थानों में जल भराव होने पर जल निकासी की व्यवस्था देखने और सुरक्षित विद्युत व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा ने बताया कि 16 नगर निगम कमिश्नर्स को निर्देश जारी कर कहा गया है कि वे अपने कार्यक्षेत्र में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों और अन्य धर्मशालाओं और संस्थाओं का निरीक्षण कर प्रतिवेदन सौंपें।

वर्षा की स्थिति की समीक्षा- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में वर्षा की स्थिति की समीक्षा करते हुए कि वर्षा काल में प्रदेश में कहीं भी जन हानि न हो। इसके लिए सभी कलेक्टर्स अपने नेतृत्व में जिलों में प्रशासनिक अमले को दायित्व सौंपे। बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घंटे कार्य करें। संबंधित अमला सजग एवं सतर्क रहे और आम जनता को आगाह भी किया जाए ताकि कोई दुघर्टना हो। अतिवर्षा या बाढ़ की चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वय में कोई कमी नहीं रहना चाहिए। लोगों की जीवन रक्षा के लिए कहीं सेना की जरूरत हो तो कलेक्टर्स समय पर जानकारी में जाये।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि लोक निर्माण विभाग ऐसे पुल-पुलियों की जानकारी संकलित करें, जहां पूर्व में दुर्घटनाएं में हुई हैं, ऐसे रपटों और पुलों पर प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करे। पुलों पर पानी का भराव हो तो लोगों को न जाने दें। बांधों से पानी छोड़ें तो प्रभावित होने वाले जिलों को पहले से अलर्ट करें। तैराक दल भी ऐसे स्थानों पर उपलब्ध रहें। स्थानीय स्तर पर तालमेल रहे। जिलों और तहसीलों की परस्पर जानकारी रहे। अतिवर्षा की स्थिति और बाढ़ की चुनौती से प्रशासन को निपटना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कोई जनहानि न हो, इसके लिए सजग रहें। निरंतर मानीटरिंग होती रहे। कंट्रोल रूम की ड्यूटी वाले अधिकारी- कर्मचारी 24 घंटे सजग और सतर्क रहें। जरूरत के अनुसार स्काउट- गाइड और सेवा भावी संस्थाओं की सेवाएं अतिवर्षा की स्थिति में प्राप्त करें।

आवश्यक सेवाओं में बाधा न हो- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वर्षा के दिनों में पेयजल आपूर्ति में स्वच्छता का ध्यान रखें। आम जनता को जीवन की उपयोगी वस्तुएं बिना बाधा के मिलती रहें। आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित किया जाए। वर्षा काल में उत्पन्न समस्याओं के कारण मवेशियों की मृत्यु भी हो जाती है। कहीं मृत मवेशी न रखे रहें, उनको उठवाने का कार्य समय पर किया जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जिन पुल-पुलियों अथवा रपटों पर जल बहाव तेज हो, वहां से नागरिकों को आवागमन न करने दिया जाएं। उनकी जीवन रक्षा के लिए तैराक दल भी ऐसी जगह पर अवश्य उपलब्ध रहना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र का जिले और तहसील से संपर्क रहे। इन स्थानों पर आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाए जहां दुर्घटना की या जल भराव ज्यादा होने के आशंका है।

कटनी के परिवार के लिए मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से राशि मंजूर- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हाल ही में जबलपुर,मंडला तथा कटनी जिलों में अतिवर्षा से कुछ नागरिकों की असामयिक मृत्यु हुई है, जो पीड़ादायक है। यह सुनिश्चित किया जाए, ऐसी दुर्घटनाएं आगे न हों, जिन स्थानों पर लोग पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं, ऐसी नदियों और तालाबों पर बचाव दल की आवश्यक व्यवस्था रखी जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कुछ जिलों में अधिक वर्षा से हुई जन हानि को दुखद बताया। उन्होंने विशेष रूप से कटनी जिले में एक कुएं में गिरने से चार लोगों की मृत्यु पर भी दुख व्यक्त किया। इस प्रकरण में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रभावित परिवार के वैध वारिसों को 4-4 लाख रुपए कुल 16 लाख रुपए की राशि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से स्वीकृत की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ऐसी दुर्घटनाएं नहीं होना चाहिए। खुले बोरवेल भी तत्काल बंद कराया जा ना सुनिश्चित करें। ऐसी लापरवाही से किसी की जान जा सकती है। नागरिक स्वयं सजग रहें और प्रशासनिक अमला भी सक्रिय व सजग रहे।

प्रदेश में एक जून से 29 जुलाई तक 18.5 इंच वर्षा दर्ज हुई है। अधिक वर्षा वाले जिलों में राजगढ़, नीमच, भोपाल, सिवनी, ग्वालियर, भिंड, श्योपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, रायसेन एवं सीहोर शामिल हैं। प्रदेश के सिर्फ कटनी जिले में अधिक वर्षा से उत्पन्न स्थिति के कारण राहत शिविर का संचालन किया जा रहा है। बरगी जलाश्य का जल स्तर बढ़ने पर गेट खोलने का निर्णय लिया जा रहा है। इसके प्रवाह से प्रभावित होने वाले जिलों को अलर्ट किया गया है। अनेक बांधों में जल भराव 50 से 75 प्रतिशत के मध्य है। जिला कलेक्टर्स को निचली बस्तियों में रहने वाले निवासियों को समय पर सतर्क करने और आवश्यकतानुसार अन्य स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। आवश्यक सेवाओं के रख-रखाव और बचाव दलों की व्यवस्था के लिए भी कहा गया है। प्रजेंटेशन में बताया गया कि डिजास्टर वार्निंग रिस्पॉन्स सिस्टम लागू किया गया है। इससे जलाशयों, नदियों के स्तर एवं गेटों के खोलने की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
 

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