Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

दिग्गजों के दर्जनों रिश्तेदार पहुँचे लोकसभा में

हमें फॉलो करें दिग्गजों के दर्जनों रिश्तेदार पहुँचे लोकसभा में
नई दिल्ली (भाषा) , शनिवार, 23 मई 2009 (01:12 IST)
देश में राजनीतिक दिग्गजों के कम से कम 35 परिजन या रिश्तेदार इस बार संसद में पहुँच रहे हैं। इनमें दूर के रिश्तेदारों को भी शामिल कर लें तो यह संख्या अर्द्धशतक के पार पहुँचती है। इस बार पहुँचे युवा चेहरों में से अधिकतर के किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने के कारण इस बार भी संसद में वंशवाद और परिवारवाद की बेल आच्छादित होगी।

नेहरू-गाँधी परिवार के राहुल गाँधी और वरुण गाँधी के साथ इस सूची में कई मुख्यमंत्री पुत्र भी हैं। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वायएस राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगन मोहन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के बेटे बीवाय राघवेंद्र, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि के बेटे एमके अझागिरी और उनकी बेटी कानिमोझी तथा पौत्र दयानिधि मारन, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदरसिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्रसिंह हुड्डा आदि अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने वाले हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक इसे पैतृक विरासत के विस्तार की संज्ञा देते हैं तो नए सांसदों को वंशवाद से परे अच्छा प्रतिनिधि बनने में सक्षम भी मानते हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी ने कहा कि राजनेताओं ने समाज की पैतृक सत्ता की परम्परा को राजनीति में भी लागू कर दिया है। कई चुनाव क्षेत्र लोगों की लोकतांत्रिक शक्ति का प्रतीक होने के बजाय पैतृक विरासत बनकर रह गए हैं।

राजनेताओं के पुत्र-पुत्री समेत उनके नजदीकी रिश्तेदारों को भी संसद पहुँचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंतसिंह, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंतीनंदन बहुगुणा के बेटे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के भाई विजय बहुगुणा, राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव भी संसद में विराजेंगे।

राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक गोविंदाचार्य ने कहा कि राजनीतिक दलों में लोकतांत्रिक व्यवस्था तथा उसके प्रारूप का विघटन हो चुका है। रुतबे को बरकरार रखने के लिए राजनेता वंश और परिवार परम्परा को बढ़ाते जा रहे हैं।

हालाँकि राजनीतिक विश्लेषक और सी-वोटर के कर्ताधर्ता यशवंत देशमुख इसे अच्छे संकेत के तौर पर देखते हैं। उन्होंने कहा देखा जाए तो सभी युवा सांसद बड़े अंतर से विजयी हुए हैं जो क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है। इन लोगों ने अपने पिता या दादा के नाम का सहारा जरूर लिया लेकिन उनके राजनीति के तरीके से हटकर काम किया और जनता से हर समय संवाद रखा।

रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह खुद अपने पिता चौधरी चरणसिंह की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं तो अब उनके बेटे जयंत चौधरी पहली बार संसद में मथुरा की जनता का प्रतिनिधित्व करेंगे। नवीन जिंदल, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद आदि भी अगली पीढ़ी के लोकप्रिय सांसद हैं।

देशमुख ने कहा कि इन सभी युवा सांसदों की अच्छी शैक्षिक पृष्ठभूमि रही है और सभी ने क्षेत्र को समझा है। इसलिए इन्हें केवल वंशवाद से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। अंबाला से सांसद चुनी गईं कुमारी शैलजा राज्य के पूर्व मंत्री दलवीरसिंह की पुत्री हैं। मेघालय के दिग्गज नेता पीए संगमा की बेटी अगाथा संगमा दोबारा सांसद चुनी गई हैं। पेट्रोलियम मंत्री रहे मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा, पूर्व सांसद सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त, नारायण राणे के पुत्र नीलेश राणे, राज्य के उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल के बेटे समीर भुजबल भी सांसद चुने गए हैं।

इसके अलावा युवा चेहरों में ज्योति मिर्धा, मौसम नूर मुहम्मद हमदुल्ला सईद आदि भी हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाशसिंह बादल की पुत्रवधू और उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परणीत कौर भी जीत हासिल कर चुकी हैं। लुधियाना से जीतने वाले मनीष तिवारी पूर्व राज्यसभा सदस्य वीएन तिवारी के बेटे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंतसिंह के बेटे रवनीत भी संसद पहुँचने वालों में हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी, असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के भाई दीप गोगोई भी विजयी उम्मीदवार हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi