Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

BJP के घोषणापत्र को लेकर क्या बोले BKU नेता राकेश टिकैत

सरकार पर पूंजीपतियों का नियंत्रण बढ़ा है

हमें फॉलो करें BJP के घोषणापत्र को लेकर क्या बोले BKU नेता राकेश टिकैत

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 17 अप्रैल 2024 (16:38 IST)
Rakesh Tikait said farmers do not trust BJP's manifesto : किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को भाजपा (BJP) के लोकसभा चुनाव 2024 के घोषणापत्र (manifesto) पर भरोसा नहीं है और केंद्र में पार्टी की सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है। टिकैत ने नई दिल्ली में कहा कि भारत को सस्ते श्रम के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है और सरकार पर कॉर्पोरेट घरानों का नियंत्रण बढ़ गया है। उन्होंने किसान संगठनों से मुद्दों से निपटने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत होने को कहा।

 
यह पूंजीपतियों का एक गिरोह : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणापत्र के बारे में पूछे जाने पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता टिकैत ने कहा कि यह पूंजीपतियों का एक गिरोह है जिसने राजनीतिक दल पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि हमें घोषणापत्र पर भरोसा नहीं है। 2014 में भी घोषणापत्र में कहा गया था कि वे स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करेंगे। अब 10 साल हो गए हैं और सिफारिशें लागू नहीं की गई हैं।
 
टिकैत ने दावा किया कि लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की जा रही है और वे ए2+एफएल फॉर्मूले का उपयोग कर रहे हैं तथा कह रहे हैं कि सिफारिशों को लागू कर दिया गया है। फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के ए2+एफएल फॉर्मूले का मतलब है कि इसमें किसान को फसल पर आने वाली लागत और परिवार के श्रम का मूल्य शामिल है। आयोग ने सी2+50 प्रतिशत फॉर्मूला की सिफारिश की थी जिसमें उत्पादन की व्यापक लागत को ध्यान में रखा गया था।

 
स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाए एमएसपी का कोई उल्लेख नहीं : साल 2020-21 में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि भाजपा के घोषणापत्र में स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले पर एमएसपी का कोई उल्लेख नहीं है और यह किसानों तथा खेत श्रमिकों के खिलाफ खुली चुनौती है
 
टिकैत ने कहा कि न तो उन्होंने और न ही उनके संगठन ने 2014 में भाजपा का समर्थन किया था, हालांकि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर कुछ उम्मीदवारों का समर्थन किया होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है और पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है।
 
टिकैत ने कहा कि कारोबारियों के इस गिरोह ने राजनीतिक दल पर कब्जा कर लिया है। अगर यह सरकार होती तो किसानों और देश के अन्य लोगों के लिए काम करती। यह भाजपा सरकार नहीं है। इसलिए वे इसे एक व्यक्ति विशेष की सरकार कहते हैं।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) 2047 की बात करते हैं, अगर वे (भाजपा) अपने मकसद में कामयाब हो गए तो देश का 70 फीसदी हिस्सा पूंजीपतियों का हो जाएगा। जमीन उनका अगला लक्ष्य है। मोदी सरकार ने 2047 तक 'विकसित भारत' की संकल्पना की है। साल 2020-21 के किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए टिकैत ने कहा कि भूमि अधिकारों पर भी एक आंदोलन होगा।
 
महंगी जमीन को पूंजीपति खरीद लेंगे : उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण कर लीजिए, जमीन महंगी होती जा रही है। उस महंगी जमीन को पूंजीपति खरीद लेंगे। जमीन के लिए भी आंदोलन होगा। टिकैत ने आरोप लगाया कि किसानों को अपनी जमीन कॉर्पोरेट घरानों को बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

 
उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर, अगर राजमार्ग के पास जमीन है तो वे कृषि भूमि को अवरुद्ध कर देते हैं और दीवारें खड़ी कर देते हैं। फिर वे सस्ती दरों पर जमीन खरीदते हैं। किसान अपनी जमीन खो रहे हैं। आने वाले समय में देश की स्थिति खराब होने जा रही है। भाकियू नेता ने यह भी कहा कि भारत को सस्ते श्रम के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि चीन से मुकाबले के लिए उन्हें (कॉर्पोरेट घरानों को) ऐसे देश की जरूरत है जहां बड़ी आबादी हो, वे उद्योग लगा सकें और सस्ता श्रम उपलब्ध हो। यह देश मजदूरों का देश बन जाएगा, जहां उन्हें बाजार के साथ-साथ सस्ता श्रम भी मिलेगा।
 
टिकैत ने कहा कि पिछले 8-10 वर्षों को देखें, यही हो रहा है। वे लोगों को मुफ्त अनाज दे रहे हैं, लोग रोजगार के अवसरों से वंचित हैं दिल्ली इतनी महंगी हो गई है कि लोग अपने गांवों में वापस जा रहे हैं। श्रम कानूनों में संशोधन किया गया है। इस देश में सस्ता श्रम उनका (कॉर्पोरेट घरानों) लक्ष्य है।
 
किसान संगठनों को मजबूत होना होगा : उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को मजबूत होना होगा। टिकैत ने यह भी कहा कि आज हर राजनीतिक दल किसानों, गरीबों और युवाओं के बारे में बात कर रहा है। भाकियू नेता ने कहा कि किसान संगठन मजबूत होंगे तो सबकुछ होगा। अगर किसान संगठन कमजोर होंगे तो कुछ नहीं होगा। अब राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में किसानों का जिक्र करने लगे हैं। नेता ट्रैक्टरों पर प्रचार कर रहे हैं। आज हर राजनीतिक नेता गरीबों, किसानों, युवाओं और आदिवासियों के बारे में बात कर रहा है, चाहे वे उनके लिए कुछ करें या नहीं, लेकिन वे उनके बारे में बात कर रहे हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दिग्विजय समर्थक दलित नेता देवाशीष जरारिया ने छोड़ी कांग्रेस, भिंड लोकसभ सीट पर बढ़ेगी कांग्रेस की मुश्किलें