Akshay Bam withdraws nomination : इंदौर में अक्षय बम का धमाका, कांग्रेस की बिगड़ी सूरत, मतदाता हैरान

नवीन रांगियाल
उसी को जीने का हक़ है इस ज़माने में 
जो इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए- वसीम बरेलवी
यह शेर वसीम बरेलवी का है। लेकिन राजनीतिक समीकरणों में सबसे मुफीद है। आज फिर इंदौर के कांग्रेस प्रत्‍याशी अक्षय कांति बम के नाम वापसी के बाद यह शेर याद आ गया। जानते हैं आखिर क्‍यों मुफीद है ये शेर....


आज मैं न्‍यूज डेस्‍क पर था। सुबह की शिफ्ट में। करीब साढे 11 बजे कैंटीन में एक कप कॉफी पीकर जब वापस न्‍यूज रूम में लौटा तो इंदौर का चुनावी गणित पूरी तरह से बदल चुका था। बिल्‍कुल अप्रत्‍याशित तरीके से मध्‍यप्रदेश की सबसे ‘हॉट’ मानी जाने वाली सीट एकदम से निस्‍तेज हो गई। न्‍यूज वेबसाइट्स से लेकर सोशल मीडिया तक एक खबर तेजी से वायरल हुई और नेशनल टेलीविजन में एयर होने लगी। खबर थी कि इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के युवा प्रत्‍याशी अक्षय कांति बम ने अपना नाम वापस ले लिया। इतना ही, देखते ही देखते उनकी एक फोटो वायरल हो गई, जिसमें एक तरफ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और दूसरी तरफ दादा दयालू यानी विधानसभा दो के विधायक और कैलाश जी के खासमखास रमेश मैंदोला नजर आ रहे हैं।

अक्षय कांति बम की नाम वापसी के इस फैसले ने भाजपा के प्रत्‍याशी शंकर लालवानी को फ्री होल्‍ड दे दिया है। यानी अब शंकर की जीत तय है। पहले से बेहद उदासीन चुनाव अब पूरी तरह से ठंडा हो गया है, हालांकि राजनीतिक गलियारों में ‘पॉलिटिकल दावपेंच’ की आंच और उसकी गर्माहट महसूस की जाने लगी है।

कल तक जो अक्षय कांति बम भाजपा और भाजपा प्रत्‍याशियों पर गुर्रा रहे थे, गरिया रहे थे, वे अगले ही दिन कैलाश विजयवर्गीय की कार में बैठे नजर आ रहे हैं। उनके चेहरे के भाव बेहद संतुलित हैं। न गम नजर आ रहा है न खुशी। सोशल मीडिया ने उन्‍हें ‘फुस्‍सी बम’ कहना शुरू कर दिया है।

अब सवाल उठता है कि आखिर ये सब कैसे हो गया। क्‍या इसकी पूरी पृष्‍ठभूमि में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को देखा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में करीब 10 दिन पहले से यह सुर्खियां थी कि बम अपना नाम वापस ले सकते हैं। सुबह इस खबर के पूष्‍ट होने से पहले अक्षय कांति बम के घर पर पुलिस का पहरा देखा गया तो तकरीबन तय माना जाने लगा कि कांग्रेस की भैंस गई पानी में...

कुछ वक्‍त के बाद कैलाश विजयवर्गीय के साथ उनकी तस्‍वीर वायरल हो गई, जिसने बगैर कुछ कहे सबकुछ बयान कर दिया। ठीक उस कहावत की तरह कि a picture has a thousand words.

बहरहाल, यह हम तो नहीं कह रहे हैं लेकिन मालवा, मध्‍यप्रदेश और इंदौर के राजनीतिक गलियारों में यह हवा है कि हो न हो लोकसभा चुनावों के बाद मध्‍यप्रदेश का मुखिया यानी मुख्‍यमंत्री का नाम भी बदल जाए। कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है, और इस झटके का पूरा श्रेय जाहिर है उन्‍हीं को जाएगा जो इस तस्‍वीर में सबसे आगे ड्राइविंग सीट पर बैठे हैं। जो इंदौर की लोकसभा सीट के दृश्‍य को बदलता दिखाती तस्‍वीर में सबसे आगे बैठे हैं, जाहिर है वे प्रदेश में भी ड्राइविंग सीट पर बैठना चाहते होंगे।

बहरहाल एक कॉफी खत्‍म करने जितने समय में इंदौर लोकसभा सीट की पिक्‍चर बदल गई तो यह कहीं न कहीं इंदौर के लोकतंत्र पर भी असर डालने वाली बात है। भई, जो लोग वोट करना चाहते हैं वो अब कहां जाएंगे। मैदान में मुकाबला देखे बगैर ही जब हार- जीत तय हो जाए तो क्‍या यह इंदौर की जनता के लिए ठगे जाना जैसा नहीं है। इंदौर की 28 लाख जनता में से जो वोटर्स हैं, क्‍या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उन्‍हें अपना नेता चुनने का अधिकार नहीं है।

क्‍या अतीत में ऐसे चुनाव भी हुए हैं, जो इतने अप्रत्‍याशित थे कि मतदाताओं को मतदान स्‍याही वाली अपनी उंगली के साथ एक सेल्‍फी तक लेने का मौका नहीं देते हों।

जहां तक मैदान छोड़कर भागने वाले अक्षय कांति बम का सवाल है तो उनके लिए यह शेर ही कहा जा सकता है, जिसका जिक्र सबसे ऊपर किया जा चुका है।

उसी को जीने का हक़ है इस ज़माने में 
जो इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए ... 

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