जम्मू। पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ बिगड़ते संबंधों कारण जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में मतदान करवाना चुनाव आयोग के लिए पहले से अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। चुनाव के मद्देनजर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ, आतंकी हमले या गोलीबारी की संभावना को देखते हुए जम्मू, कठुआ जिले में 198 किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा व 6 जिलों में फैली 814 किमी लंबी एलओसी पर स्थित सैंकड़ों मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध कर दिए गए हैं। यही नहीं, पिछले साल 26 नवंबर को पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर सीजफायर ने 18 साल पूरे कर लिए हैं, लेकिन इस खुशी के बावजूद उस पार से चुनाव के दौरान की जाने वाली गड़बड़ की आशंका के चलते प्रशासन ने मतदान की खातिर आपात योजनाएं अभी से तैयार करनी आरंभ कर दी हैं।
एलओसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली सेना ने चुनाव को सुरक्षित बनाने के लिए पक्की तैयारी की है। सूत्रों के अनुसार सीमा की सुरक्षा के मुद्दे पर कोर ग्रुप, उसके बाद गृह सचिव, रक्षा सचिव स्तर की बैठक के बाद जल्द सेना, सुरक्षाबल अपने स्तर पर भी चुनाव के मद्देनजर की गई सुरक्षा की समीक्षा करेंगे, वहीं चुनाव की तैयारी में व्यस्त चुनाव आयोग ने राजौरी-पुंछ जिले में 60 ऐसे मतदान केंद्र चिन्हित किए हैं, जहां पर पाकिस्तान की ओर से कोई कार्रवाई मतदान को प्रभावित कर सकती है।
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के मुताबिक आयोग ने 60 मोबाइल मतदान केंद्र बनाएं हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बीच पाकिस्तान के अंदरूनी हालात के मद्देनजर जम्मू के अखनूर, राजौरी, पुंछ, बारामुला, कुपवाड़ा व लेह के कुछ हिस्सों में एलओसी से सटे इलाकों में चुनाव की सुरक्षा को लेकर सेना, सुरक्षाबल अधिक सतर्क हैं।
जानकारी के लिए 40 लाख से अधिक लोग पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी और 198 किमी लंबे जम्मू-कश्मीर के इंटरनेशनल बॉर्डर पर रहते हैं। विभिन्न चरणों में सीमांत क्षेत्रों में मतदान होना है। प्रशासन को मतदान के लिए आपात योजनाएं इसलिए तैयार करनी पड़ रही हैं, क्योंकि पाक सेना सीमा और एलओसी पर शांति भंग करने से बाज नहीं आ रही है।
सेना प्रवक्ता के बकौल, पुंछ, राजौरी, कुपवाड़ा और बारामुल्ला में वह आतंकियों को अभी भी धकेल रही है। प्रवक्ता का कहना था कि पाक सेना अब कवरिंग फायर की नीति भी अपनाने लगी है, जो किसी भी समय भयानक साबित हो सकती है। सेना की इसी चेतावनी के मद्देनजर प्रशासन कोई खतरा मोल लेने को तैयार नहीं है। औसतन चुनाव के प्रत्येक चरण में कई सीमांत इलाकों में वोट डाले जाने हैं। इन सीमांत क्षेत्रों में मतदान को लेकर चुनाव अधिकारी भी सीमाओं पर बढ़ते तनाव को लेकर शंकित होने लगे हैं।
राज्य में पहले चरण में 11 अप्रैल को जम्मू-पुंछ तथा बारामुल्ला लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है और पुंछ की हालत यह है कि पाक सेना वहां भी घुसपैठ करवाने पर उतारू है। असल में वह बर्फ के गिरने के बावजूद वह आतंकियों को इस ओर धकेल देना चाहती है। ऐसी चिंता सिर्फ पुंछ में ही नहीं है। राजौरी, बारामुल्ला, कुपवाड़ा, करगिल, जम्मू सीमा समेत कई सीमांत इलाके हैं, जहां इस समस्या के समाधान के बतौर प्रशासन ने जो आपात योजनाएं तैयार की हैं उसके तहत मोबाइल बूथों को भी तैयार रखा गया है तथा पाक गोलीबारी से नागरिकों को बचाने के लिए सेना को तैयार रहने को कहा गया है।
पुंछ के उपायुक्त द्वारा दी जाने वाली जानकारी के मुताबिक पुंछ में 60 ऐसे मतदान केंद्रों को चिन्हित किया गया है जिन्हें पाक गोलाबारी की स्थिति में शिफ्ट करने की जरूरत महसूस हो सकती है। इसी प्रकार एलओसी से सटे अन्य सीमांत जिलों में भी बीसियों की संख्या में मतदान केंद्रों के लिए आपात योजना के तहत मोबाइल मतदान केंद्र तैयार किए गए हैं जिनका इस्तेमाल इमरजेंसी में किया जा सकता है। हालांकि नागरिक प्रशासन इसके प्रति आशा व्यक्त कर रहा था कि पाक सेना सीजफायर का पवित्रता को भंग नहीं करेगी।