कोलकाता। माकपा का गठन 1964 में हुआ था और यह पहला मौका है, जब लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में पार्टी को कोई सीट नहीं मिली। ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लोकसभा की 21 सीटों पर आगे चल रही है। भाजपा उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरी है और 19 सीटों पर उसे बढ़त मिली हुई है।
माकपा नीत वाम मोर्चा का राज्य में 1977 से 2011 तक लगातार 34 साल तक शासन रहा लेकिन इस चुनाव में उसे अब तक सिर्फ 7.8 प्रतिशत मत ही मिले हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) में विभाजन के बाद 1964 में माकपा की स्थापना हुई थी और इससे पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ, जब पार्टी का राज्य में खाता नहीं खुला।
उल्लेखनीय है कि राज्य में अपने शानदार प्रदर्शन के आधार पर माकपा ने 1989, 1996 और 2004 में केंद्र में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2004 में उसे राज्य की 42 में से 26 सीटों पर जीत मिली थी, जो अधिकतम संख्या है।
राज्य में पार्टी का पतन 2009 से तृणमूल कांग्रेस के उदय के साथ शुरू हुआ। 2014 में उसे केवल 2 सीटें मिली थीं। इस हार से हैरान प्रदेश माकपा के अधिकतर नेताओं ने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी आत्मचिंतन करेगी और जरूरी कदम उठाएगी।