भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारा बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए गले की फांस बनता नजर आ रहा है। मंगलवार को प्रदेश में चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन भरने का काम भी शुरू हो गया है लेकिन अब तक बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल अपने उम्मीदवारों के टिकट फाइनल नहीं कर सकी है।
प्रदेश में पहले चरण में महाकौशल की 6 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होना है। चुनाव की तारीखों के एलान से पहले भले ही पार्टियां लाख दावे कर रही हो कि उनके पास चुनाव लड़ने वाले चेहरों की कमी नहीं है लेकिन अब तक टिकट तय नहीं हो पाना तस्वीर को कुछ और ही बयां कर रहा है।
बात चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस की दोनों ही पार्टियों को अब तक ऐसे उम्मीदवारों की तलाश में हैं जो जीत की गारंटी बन सके। टिकट को तय करने के लिए दोनों ही दलों में कई बार राज्य स्तर से लेकर केंद्रीय स्तर तक माथापच्ची हो चुकी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हो सकता।
मंगलवार को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में कांग्रेस के बाकी बचे 20 सीटों पर नामों को लेकर मंथन हुआ लेकिन पार्टी कोई सूची नहीं जारी कर सकी। सूत्र बताते हैं कि बैठक में ग्वालियर और इंदौर सीट पर प्रत्याशी कौन हो इसको लेकर पार्टी के बड़े नेताओं की बीच एक राय नहीं बन पाई।
दूसरी ओर बीजेपी में जो टिकट तय करने में फिलहाल कांग्रेस से आगे खड़ी हुई दिखाई दे रही है उसके सामने भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और छिंदवाड़ा में प्रत्याशी कौन हो इसको लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। भोपाल से कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह के आने के बाद पार्टी अपना गढ़ बचाने के लिए ऐसे चेहरे की तलाश में है जो जीत की गारंटी ले सके। वहीं इंदौर में वर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन का टिकट काटना भी पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
बीजेपी मुख्यमंत्री कमलनाथ को उनके घर में ही घेरने के लिए छिंदवाड़ा से किसी ऐसे चेहरों को उतारने को कोशिश कर रही है जिससे कमलनाथ को उनके गढ़ में ही बांधा जा सके। छिंदवाड़ा सीट पर मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है लेकिन अभी भी पार्टी की तरफ से आधिकारिक ऐलान बाकी है वहीं छिंदवाड़ा से बीजेपी का उम्मीदवार कौन होगा ये मतदान होने के पच्चीस दिन पहले तक न तो तय है और न ही पार्टी में किसी नाम को लेकर एकराय बन सकी।
ऐसे में अब जब उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार के लिए 25 दिन से भी कम का समय बचा है टिकट नहीं तय हो पाना दोनों ही पार्टियों के दावे पर सवालिया निशान लगा रहा है।