शब्दकोश

जीवन के रंगमंच से...

शैफाली शर्मा
ND
क्या आपको नहीं लगता कि हमने जीवन को एक बड़े से शब्दकोश-सा बनाकर रखा हुआ है, जिसके ढेर सारे पन्नों में कई बार छोटे-छोटे शब्द कहीं गुम हो जाते हैं, जैसे......परम आनंद, मासूम मुस्कुराहट, फुर्सत, खिलखिलाना, झूमना, संतुष्टि और भी न जाने कितने शब्द। जब इन शब्दों की ज़रूरत पड़ती है, तो हम जीवन के मोटे-से शब्दकोश में इन्हें ढूँढने लग जाते हैं। मिल गए तो खुश, नहीं मिले तो कुछ शब्द जिनको हमने सिर चढ़ा रखा है, तुरंत हमारे सामने आकर खड़े हो जाते है, जैसे.....दुख, निराशा, बैचेनी, असहजता..........

मेरी इस बात पर आप भी सहमत होंगे कि जीवन के शब्दकोश में सबसे ज्यादा ढूँढे जाने वाला शब्द है, आनंद- परेशानियों की भीड़ में सबसे साहसी शब्द, जो भीड़ को चीरकर सामने आ खड़ा होता है। जीवन के शब्दकोश में जिस पन्ने पर आनंद शब्द होगा, उसके 100वें पन्ने तक आपको एक शब्द नहीं मिलेगा और वो है, उदासी। बल्कि, उदासी शब्द तो आपको शब्दकोश में मिलेगा ही नहीं, वो तो उसमें सहेजकर रखे गुलाब के फूल की तरह होता है। जब भी कोई नया शब्द खोजने के लिए उस शब्दकोश को उठाएँगे, वह आपको नज़र आ जाता है, जिसे आप मुस्कुराते हुए फिर उन्हीं पन्नों के बीच दबाकर रख देते हैं। तभी तो उसे ढूँढने में ज्यादा मुश्किल नहीं आती। जब देखो तब हाथ आ जाता है।

सबसे ज्यादा मुश्किल जिस शब्द को ढूँढने में आती है, वो है प्रेम। जानकर आश्चर्य ज़रूर हो रहा होगा, क्योंकि अब तक यही सुना है कि प्रेम करना सबसे आसान है। जी हाँ, प्रेम करना तो सबसे आसान है, लेकिन जब हम जीवन के शब्दकोश में उसका अर्थ ढूँढने निकलते हैं, तो उलझकर रह जाते हैं, क्योंकि प्रेम, भावनाओं के घर में सबसे कोमल सदस्य होता है, जो कभी ममता की गोद में खेलता हुआ मिलता है, तो कभी कामनाओं की बाँहों में डूबा हुआ, कभी करुणा के कंधे पर सिर रखकर रो रहा होता है, तो कभी बचपन के संग खेल रहा होता है, कभी दोस्ती का हाथ पकड़कर घर के बाहर निकल जाता है, तो कभी रिश्तों की डोर से खींचा चला आता है..............मेरे लिए तो बहुत मुश्किल होता है प्रेम के सही अर्थ को जानना............
  क्या आपको नहीं लगता कि हमने जीवन को एक बड़े से शब्दकोश-सा बनाकर रखा हुआ है, जिसके ढेर सारे पन्नों में कई बार छोटे-छोटे शब्द कहीं गुम हो जाते हैं, जैसे......परम आनंद, मासूम मुस्कुराहट, फुर्सत, खिलखिलाना, झूमना, संतुष्टि और भी न जाने कितने शब्द।      


और जिन शब्दों का सही-सही अर्थ नहीं मिल पाता, हम उसे जीवन के शब्दकोश में सबसे आखरी पन्ने पर रख देते हैं.............इसलिए नहीं कि उसकी ज़रुरत सबसे कम पड़ती है, बल्कि इसलिए कि जब भी जीवन के शब्दकोश में हम ऐसा शब्द ढूँढने निकलें, जो हमें पता ही नहीं कहाँ मिलेगा, मिलेगा भी या नहीं, तो थक हार कर जब उस शब्दकोश के अंतिम पन्ने पर पहुँच जाएँ, तो उस प्रेम को हम पा लें, जिसके आगे जीवन के शब्दकोश में कोई शब्द नहीं होता ।


किसी टेलीफोन डायरेक्ट्री के येलो पेजेज़ में जैसे आपको ज़रुरत के नंबर सहजता से प्राप्त हो जाते हैं, वैसे ही अपने जीवन के शब्दकोश में हमने कुछ शब्दों को खास जगह दी होती है। कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनसे हमारा खास लगाव होता है। आप जब कलम उठाते हैं, वे शब्द पहले से ही मुँह बांये खड़े हो जाते है। विषय जो भी हो उन शब्दों को आपने सभी विषयों में हस्तक्षेप करने का अधिकार दिया होता है। आज मैं आपसे उन्हीं शब्दों को उधार माँगने आई हूँ।

जैसे मैंने आनंद और प्रेम को अपने जीवन के शब्दकोश में खास जगह दी है, वैसे ही आपके जीवन में कौन-सा शब्द आपके लिए बहुत मायने रखता है?

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