शरणार्थियों की मदद की कीमत चुका रहे हैं मददगार

Webdunia
बुधवार, 21 नवंबर 2018 (11:52 IST)
जब बड़ी संख्या में शरणार्थी जर्मनी आने लगे तो मदद के लिए हजारों लोग सामने आए। अब उनसे बड़ी रकम देने को कहा जा रहा है। तो क्या उनका नेक इरादा सोचा समझा नहीं था?
 
 
पत्नी ने चेतावनी दी थी, लेकिन क्रिश्टियान ओस्टरहाउस ने सोचा क्या होगा, वे सही काम कर रहे हैं। और विदेशी मामलों के दफ्तर ने शरणार्थी सहायता सीरिया संगठन के उनके साथियों को भरोसा दिलाया था कि गारंटी देने वालों का दायित्व तभी तक होगा जब तक कि शरणार्थियों को औपचारिक शरण नहीं मिल जाती। ओस्टरहाउस ने गारंटी के दो दस्तावेजों पर दस्तखत किया, एक सीरियाई बच्चे के लिए और एक किशोर लड़की के लिए। वे बताते हैं, "हमने विमान का किराया दिया, फ्लैट खोजा और उनके खाने पीने का इंतजाम किया।"
 
 
पश्चिम जर्मनी के बॉन शहर में ही 450 लोगों ने सीरियाई शरणार्थियों के लिए गारंटी दस्तावेजों पर दस्तखत किए। देश में ऐसे 7,000 लोग हैं। अब उन्हें रोजगार दफ्तरों के अलावा नगरपालिकाओं से बुरे खत मिले हैं। या फिर जैसे कि ओस्टरहाउस कहते हैं, "ये मुंह पर तमाचे जैसा है। आप इसे पूरी तरह बकवास भी कह सकते हैं।" ओस्टरहाउस अपनी पूरी जिंदगी नागरिक मुद्दों और विकास सहायता परियोजनाओं से जुड़े रहे हैं। उन्होंने अपने सारे कागजात एक फाइल में रखे हैं। सबसे ताजा चिट्ठी बॉन के रोजगार दफ्तर की है जो उनसे 7,239.84 यूरो मांग रही है।
 
 
कानूनी स्थिति साफ नहीं
बॉन के रोजगार दफ्तर का बिल 2016 में कानून में हुए संशोधन पर आधारित है। उस समय जर्मनी की सत्ताधारी गठबंधन ने जर्मनी में आने के नियमों को सख्त बना दिया था। निवास कानून के आर्टिकल 68 के अनुसार गारंटी की घोषणा की अवधि रिहाइश के दर्जे में बदलाव के साथ खत्म नहीं होती। 6 अगस्त 2016 से पहले उठाए गए दायित्वों का अंत तीन साल बाद और उसके बाद के दायित्वों का अंत पांच साल बाद होगा। जनवरी 2017 में जर्मनी के सर्वोच्च प्रशासनिक अदालत ने इस नियम की पुष्टि कर दी थी।
 
 
हालांकि जर्मनी के श्रम मंत्रालय ने कहा है कि गारंटीक देने वालों को अदालत के अंतिम फैसले से पहले कोई भुगतान नहीं करना होगा। सरकारी कार्यालय बिल भेजना जारी रखेंगे लेकिन अगली नोटिस तक बिलों का भुगतान नहीं लिया जाएगा। तो क्या ओस्टरहाउस भविष्य में गारंटी के पेपरों पर दस्तखत नहीं करेंगे? वे कहते हैं कि वे अभी भी गारंटी पर दस्तखत करेंगे। उन्हें अपने किए पर गर्व है, "आखिरकार हमने सब समेकन के लिए किया है।" हालांकि ओस्टरहाउस ने जर्मन न्यायिक व्यवस्था में भरोसा खो दिया है, क्योंकि उन्हें लगता था कानून पिछली तारीख से लागू नहीं किए जा सकते।
 
 
अलग राज्य में अलग फैसले
उन लोगों के लिए जो ओस्टरहाउस की तरह मुश्किल में फंसे हैं, लोथर मालबैर्ग आखिरी सहारा हैं। बॉन के वकील मालबैर्ग इस समय 20 गारंटी देने वालों के केस लड़ रहे हैं और हाल ही में कोलोन के प्रशासनिक अदालत में चार केस जीते हैं। कोलोन की अदालत गारंटी देने वालों के पक्ष में फैसला लेने वाली पहली अदालत थी। मालबैर्ग कहते हैं, "इससे उम्मीद की किरण जगी है लेकिन हमें पता नहीं कि बुरा सपना सचमुच खत्म हो गया है।" कोलोन की अदालत का कहना है कि विदेशी मामलों का कार्यालय गारंटी देने वालों को पर्याप्त सलाह देने में विफल रहा है।
 
 
मालबैर्ग को उम्मीद है कि कोलोन की अदालत का फैसला दूसरी अदालतों के लिए मिसाल का काम करेगा। मालबैर्ग को यह समझना मुश्किल हो रहा है कि मुश्किल में पड़े इंसानों की मदद करने वालों की परोपकारिता की परीक्षा ली जा रही है और उन्हें इसके लिए सजा दी जा रही है। ऐसा ही एक मामला फरीद हसन का है। मूल रूप से सीरिया से आने वाले फरीद पिछले 20 साल से जर्मनी में रह रहे हैं। गारंटी देने वाले के रूप में वे अपने माता पिता और अपने भाइयों के परिवार को लेकर जर्मनी आए। शहर उनसे 85,000 यूरो मांग रहा है। वे इतनी बड़ी रकम नहीं चुका सकते। वे अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
 
 
रिपोर्ट ओलिवर पीपर
 

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