पिछले महीने जब मलेशिया की एक प्रमुख मस्जिद में जाकिर नाइक दिखाई पड़े तो उनके समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, टीवी के जरिये इस्लाम धर्म का प्रचार करने वाले जाकिर नाइक के खिलाफ भारत में जांच चल रही है।
मलेशिया की जिस पुत्रा मस्जिद में जाकिर नाइक अंगरक्षकों के साथ दिखाई पड़े वह क्वालालंपुर के अतिविशिष्ट इलाके में हैं। अकसर देश के प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट के सदस्य भी वहीं नमाज पढ़ने आते हैं। जाकिर नाइक पर ब्रिटेन की सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। मलेशिया ने जाकिर नाइक को स्थायी निवास का अधिकार दिया है और वहां के शीर्ष अधिकारी उनसे मेलजोल रखते हैं। इस मस्जिद में वो शुक्रवार की नमाज के लिए पिछले एक महीने से आ रहे हैं। हाल के महीनों में वो इस इलाके की दूसरी मस्जिदों, अस्पतालों और रेस्तराओं में भी नजर आते रहे हैं।
जाकिर नाइक की मलेशिया में मौजूदगी को आलोचक देश के शीर्ष अधिकारियों का कट्टरपंथी इस्लाम को समर्थन मानते हैं। इस देश में ईसाई, हिंदू और बौद्ध अल्पसंख्यकों की एक अच्छी खासी तादाद है और मलेशिया खुद को एक उदार मुस्लिम देश के रूप में लंबे समय से दिखाता आया है। हालांकि हाल के वर्षों में राजनीतिक इस्लाम का उभार प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक के दौर में देखने को मिला, खासतौर से जब वो 2013 के चुनाव में लोकप्रिय मत हासिल करने में पिछड़ गये। सत्ताधारी गठबंधन का यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था।
इसके बाद से ही सत्ताधारी पार्टी रुढ़िवादी मलय मुस्लिमों को लुभाने में जुटी है और 2018 के चुनाव से पहले यहां धर्म युद्धभूमि बन गया है।
52 साल के नाइक पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन अपने खास अतिधर्मनिष्ठ इस्लाम को लेकर विवादों में घिरे हैं। मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि वे समलैंगिकों और इस्लाम धर्म को छोड़ने वालों के लिए मौत की सजा चाहते हैं। एक यूट्यूब वीडियो में उन्हें यह कहते देखा जा सकता है कि ओसामा बिन लादेन "आतंकवादी अमेरिका को आतंकित कर रहा है, सबसे बड़ा आतंकवादी, मैं उसके साथ हूं।"
पिछले हफ्ते भारत की आतंकवादी निरोधी एजेंसी ने जाकिर नाइक के खिलाफ चार्जशीट पेश की। इसमें कहा गया है कि वे "भारत के अलग अलग धार्मिक समूहों के बीच अपने भाषणों और उपदेशों से बैरभाव और नफरत फैला रहे हैं।" पड़ोसी देश बांग्लादेश ने भी पीस टीवी चैनल को बंद कर दिया है जिसमें नाइक के भाषणों को दिखाया जाता था।
बांग्लादेश के एक कैफे में आतंकी हमला कर 22 लोगों की जान ले ली गई थी। इस कैफे पर हमला करने वालों में एक शख्स जाकिर नाइक का प्रशंसक बताया गया। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। इसी घटना के बाद से भारत में भी उनके खिलाफ जांच शुरू हुई।
मुंबई में जाकिर नाइक के दफ्तर को भी सील कर दिया गया। इसके बाद से जाकिर नाइक भारत नहीं आये हैं। मलेशिया में जब एक महिला रिपोर्टर ने उनसे उनके खिलाफ भारत में चल रही जांच के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "माफ कीजिये महिलाओं के साथ सार्वजनिक रूप से मेरा बात करना उचित नहीं है।" पिछले साल एक टीवी चैनल से बातचीत में जाकिर नाइक ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लोकप्रियता के कारण भारत की राष्ट्रवादी सरकार उन्हें निशाना बना रही है।
सिंगापुर की एस राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से जुड़े विश्लेषक राशाद अली कहते हैं, "मलेशिया की सरकार ने जाकिर नाइक को इसलिए अपने यहां रखा क्योंकि वह मलय लोगों के बीच में अपनी लोकप्रियता बनाए रखना चाहती है। अगर सरकार को उन्हें देश से बाहर भेजना पड़ा तो लोगों की नजर में उनकी धार्मिक विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे।"
मंगलवार को मलेशिया के उप प्रधानमंत्री अहम जाहिद हमीदी ने संसद में कहा कि नाइक को पांच साल पहले यहां निवास की अनुमति मिली थी और उन्हें कोई "विशेष सुविधा" नहीं दी जा रही है। उप प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, "इस देश में रहने के दौरान उन्होने कोई कानून या नियम नहीं तोड़ा है। ऐसे में उन्हें हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने का कोई कानूनी आधार नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा, "आतंकवादी गतिविधियों में उनके शामिल होने के आरोपों" के बारे में सरकार को भारत की तरफ से कोई आधिकारिक अनुरोध नहीं मिला है।
पिछले साल जाकिर नाइक और प्रधानमंत्री दोनों ने अपनी मुलाकात की तस्वीरें फेसबुक पर डाली थीं। मलेशिया में सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने नाइक को प्रत्यर्पित करने की मांग के साथ कोर्ट में याचिका भी दायर की है। इसमें कहा गया है कि वह बहुनस्ली समाज में शांति के लिए खतरा हैं। मलेशिया की करीब 40 फीसदी से ज्यादा आबादी गैर मुस्लिम है।