दुनियाभर की सरकारें इस सवाल से जूझ रही हैं कि कोविड-19 बीमारी को काबू करते हुए वे अपनी अर्थव्यवस्था को कैसे शुरू करें? कोरोना के चलते दुनियाभर में जान-माल का नुकसान हो रहा है। लॉकडाउन से कामकाज भी ठप है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाई तालाबंदी से निकलने वाले देशों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने संक्रमण की दूसरी लहर की चिंताओं के बीच कहा है कि अत्यधिक सतर्कता की जरूरत है। लॉकडाउन में ढील देने के बाद जर्मनी में कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं। इसी तरह से दक्षिण कोरिया में जहां कोरोना वायरस को काबू पाने में सफलता मिल गई थी, वहां भी नाइटक्लब से कोरोना वायरस के मामले उजागर हुए हैं।
डब्ल्यूएचओ के इमर्जेंसी हेड माइक रायन के मुताबिक अब हमें कुछ उम्मीद नजर आ रही है, क्योंकि दुनिया के कई देश लॉकडाउन हटा रहे हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि ऐसे में अत्यधिक सतर्कता की जरूरत है। रायन ने कहा कि अगर बीमारी निचले स्तर पर क्लस्टरों में बिना जांच किए रहती है तो हमेशा बीमारी के दोबारा फैलने का खतरा मौजूद रहता है। दुनियाभर की सरकारें कोरोना वायरस को काबू में करते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने के सवाल से जूझ रही हैं।
रायन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जर्मनी और दक्षिण कोरिया कोरोना वायरस के नए क्लस्टर को पनपने नहीं देंगे। साथ ही उन्होंने उनकी निगरानी की तारीफ की, जो वायरस की दूसरी लहर को रोकने में अहम रही है। रायन ने कहा, यह वास्तव में अहम है कि हम उन देशों को उदाहरण के तौर पर देखें जिन्होंने अपनी आंखें खुली रखी और खुली रखना चाहते हैं। उन्होंने बिना किसी देश का नाम लिए कहा कि कुछ ऐसे भी देश हैं, जो इस बीमारी से आंख मूंदकर निकलने की कोशिश में हैं।
दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने कहा है कि पाबंदियां हटाना जटिल और कठिन है। उन्होंने पाबंदियां हटाने को लेकर कहा कि यह धीरे-धीरे और स्थिर स्तर पर होना चाहिए जिससे जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि अब पूरे विश्व में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 40 लाख को पार कर चुकी है।
लॉकडाउन के उपायों से कोरोना वायरस के प्रसार को काफी धीमा कर दिया गया है और बहुत से लोगों की जान बचाई गई है, पर लॉकडाउन से गंभीर आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी पड़ा है और इसलिए इसे हटाने का काम भी शुरू हो गया है। घेब्रेयसस ने कहा कि जर्मनी, दक्षिण कोरिया और चीन में नए क्लस्टर के सामने आने के बाद वहां निगरानी और प्रतिक्रिया प्रणाली मौजूद रहने से इन मामलों से निपटने में सहायता मिली है।