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गेम इंडस्ट्री में कब खत्म होगा महिलाओं का यौन उत्पीड़न

हमें फॉलो करें गेम इंडस्ट्री में कब खत्म होगा महिलाओं का यौन उत्पीड़न

DW

, रविवार, 28 नवंबर 2021 (17:42 IST)
गेम इंडस्ट्री की दिग्गज कंपनी एक्टिविजन ब्लिजर्ड में महिलाओं के साथ लंबे समय से हो रहे यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। इसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि आखिर भेदभाव और दुर्व्यवहार का ये सिलसिला कब खत्म होगा। एक्टिविजन ब्लिजर्ड, वीडियो गेम की दुनिया की दिग्गज कंपनी है।

यह कंपनी इस साल गर्मियों के मौसम में काफी सुर्खियों में थी। इसके पीछे की वजह उसकी नई गेम नहीं थी, बल्कि यौन उत्पीड़न और भेदभाव का आरोप था। कैलिफॉर्निया व्यवसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशासन ने कंपनी पर आरोप लगाया था कि उसके यहां महिलाओं का यौन उत्पीड़न हो रहा है और उनके साथ भेदभाव हो रहा है।

आरोपों की सूची लंबी है। इसमें ऑफिस में सेक्स से जुड़ी टिप्पणियां और उत्पीड़न, बलात्कार के चुटकुले, पुरुषों और महिलाओं के वेतन में असमानता, महिला कर्मचारियों के लिए आगे बढ़ने के कम मौके सहित अन्य आरोप शामिल हैं। दावा किया गया कि कंपनी 'फ्रैट बॉय' संस्कृति को बढ़ावा देती है। ‘फ्रैट बॉय' का मतलब महिलाओं को नीचा दिखाना और उनके साथ भेदभाव करना है।

कैलिफॉर्निया प्रशासन ने 20 जुलाई 2021 को मुकदमा दायर किया। इससे पहले वह लगातार दो साल से कंपनी की कार्यप्रणाली की जांच कर रही थी। इसके बाद से यह कंपनी लगातार सुर्खियों में बनी रही। एक्टिविजन ब्लिजर्ड कंपनी ने ही वर्ल्ड ऑफ वॉरक्राफ्ट, डिआब्लो और ओवरवॉच जैसी गेम को डेवलप किया है। कमाई के मामले में यह दुनिया की दिग्गज कंपनियों में से एक है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, एक्टिविजन ब्लिजर्ड के सीईओ बॉबी कोटिक को कंपनी में महिलाओं के साथ होने वाले गलत व्यवहार की काफी पहले से जानकारी थी। इसके बावजूद, उन्होंने माहौल को बेहतर बनाने के लिए कुछ खास कदम नहीं उठाए।

आरोप है कि उन्होंने कंपनी में व्यवस्थित तरीके से महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को छिपाया। साथ ही, महिला कर्मचारियों के साथ हो रहे उत्पीड़न, भेदभाव, और उनकी बात को गंभीरता से न लेने में भी उनका योगदान था। अब एक याचिका दायर की गई है। इसमें 1,300 कर्मचारियों ने अपने बॉस को हटाने की मांग की है।

पुरानी समस्या' का सामना कर रही इंडस्ट्री
इंटरनेशनल गेम डेवलपर्स एसोसिएशन (आईजीडीए) की कार्यकारी निदेशक रेनी गिटेंस ने लिखित बयान में डीडब्ल्यू को बताया, इस मुकदमे में जो बातें कही गई हैं और जो आरोप लगाए गए हैं वे एक पुरानी समस्या का उदाहरण हैं। हम अपनी इंडस्ट्री में इसका सामना कर रहे हैं।

आईजीडीए अमेरिका स्थित गैर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 1994 में हुई थी। इसके बाद से ही यह संगठन कंप्यूटर गेम इंडस्ट्री के कर्मचारियों के पक्ष में काम कर रहा है। गिटेंस कहती हैं, यह देखना काफी दुखद है कि हमारी इंडस्ट्री में कितने लोगों के साथ दुर्व्यवहार हुआ है और कितने लोग चुपचाप उत्पीड़न को बर्दाश्त कर रहे हैं।

ब्लिजर्ड का मामला एक बड़ा मामला है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कई कंपनियों पर ये आरोप पहले भी लग चुके हैं। पिछले साल गेम इंडस्ट्री की ही एक अन्य प्रमुख कंपनी यूबीसॉफ्ट में यौन उत्पीड़न का मामला सुर्खियों में रहा था।

ऑफिस में मर्दाना संस्कृति
एक के बाद एक इस तरह के मामले सामने आने पर यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या ऑफिस की संरचना ही ऐसी है जिसकी वजह से इस तरह के व्यवहार को बढ़ावा मिलता है। गौरतलब है कि ज्यादातर गेम कंपनियों में महिलाओं से ज्यादा पुरुष काम करते हैं।

इसके अलावा, जिन कंपनियों पर आरोप लगा है उनमें वर्षों तक मर्दाना संस्कृति को बढ़ावा दिया गया। मर्दाना संस्कृति को 'ब्रो कल्चर' या ‘फ्रैट बॉय कल्चर' भी कहा जाता है। यहां प्रबंधन ने इस गलत व्यवहार पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की, उत्पीड़न के मामलों को दबा दिया गया, और जिन कर्मचारियों के ऊपर उत्पीड़न के आरोप लगे उन्हें कभी यह डर ही नहीं लगा कि उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई की जा सकती है।

जर्मन गेम डेवलपर कंपनी वोगा की प्रॉडक्ट मैनेजर एनेली बिरनेट कहती हैं, ज्यादातर लोगों को लगता है कि 'ब्रो कल्चर' या पुरुषों की संख्या ज्यादा होने की वजह से कर्मचारियों को परेशान किया जाता है। मैं बहुत सारे पुरुषों के साथ काम करती हूं और मुझे नहीं लगता कि यह सच है।

बिरनेट ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि कंपनी किस तरह से काम करती है। साथ ही, वहां महिला और पुरुष दोनों को अपनी बात रखने की आजादी है या नहीं। हर जगह पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए और सभी आरोपों की निष्पक्ष तरीके से जांच होनी चाहिए। उसके नतीजे सामने आने चाहिए।

बिरनेट कहती हैं, कार्यस्थल पर उत्पीड़न और भेदभाव रोकने में आचार-संहिता का काफी योगदान होता है। इसमें कर्मचारियों को यह जानकारी भी दी जाती है कि किसके साथ किस तरह का व्यवहार करना है और गलत व्यवहार होने पर उस पर किस तरह से प्रतिक्रिया देनी है। बिरनेट वोगा में बहस की खुली संस्कृति की सराहना करती हैं।

काम करने के लिए बेहतर माहौल
वोगा जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित एक छोटी गेम कंपनी है। इस कंपनी ने कहानियों पर आधारित 'जून की जर्नी', और 'स्विचक्राफ्ट' जैसे गेम डेवलप किए हैं। कंपनी अपने ऑफिस में पांच साल के भीतर विविधता लाने में सफल रही। यहां कुछ साल पहले 100 कर्मचारियों में पुरुषों और महिलाओं का अनुपात क्रमश: 80/20 था। अब यह अनुपात 60/40 है।

वोगा की सीईओ नायी चांग ने बताया, हमारा मानना है कि अगर ऑफिस में अलग-अलग तरह के लोग होते हैं, तो बेहतर माहौल बनता है। अलग-अलग टीमें बेहतर प्रॉडक्ट तैयार करती हैं जो दर्शकों के बीच अपनी जगह बनाते हैं।उनका तर्क है कि अलग-अलग तरह के लोग रहने से नए-नए आइडिया डेवलप होते हैं। जो लोग गेम इंडस्ट्री में काम करते हैं और जो लोग गेम खेलते हैं, दोनों को इससे लाभ होता है।

वह कहती हैं, आप सहानुभूति पैदा करते हैं। नए नजरिए विकसित करते हैं। इससे यह समझना आसान हो जाता है कि आखिर हमारे ऑडियंस क्या चाहते हैं। ऑडियंस की जरूरतों को जाने बिना गेम कंपनियां अच्छे प्रॉडक्ट नहीं बना सकतीं।

गेम में महिलाओं, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों और अलग-अलग रंग के लोगों का प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। इससे यह समझ में आता है कि जिन लोगों के लिए गेम बनाना है उन्हें विश्वसनीय और प्रमाणिक कहानियों को बताने के लिए गेम बनाने में शामिल होना चाहिए।

हमें इंडस्ट्री में ज्यादा महिलाओं की जरूरत है
इस तरह के गेम महिला और पुरुष खिलाड़ियों को गेम इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। रेनी गिटेंस कहती हैं, हमें अपनी इंडस्ट्री में ज्यादा महिलाओं और अल्पसंख्यकों की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी इंडस्ट्री उनके लिए सुरक्षित है।

वह कहती हैं, अलग-अलग लोगों वाली समावेशी टीम समस्याओं से अधिक प्रभावी ढंग से निपटेगी। साथ ही, ऐसा कॉन्टेंट तैयार करेगी जो हमारे ऑडियंस के बीच ज्यादा लोकप्रिय होंगे। अलग-अलग विचार, रचनात्मकता, और अनुभव टीमों को ज्यादा प्रभावी और रचनात्मक बनाते हैं।

एक्टिविजन ब्लिजर्ड का मामला इंडस्ट्री के स्याह पक्ष को उजागर करता है। हालांकि अच्छी बात ये है कि हम उस मोड़ पर पहुंच गए हैं जहां कर्मचारी बेहतर कॉर्पोरेट कल्चर की मांग कर रहे हैं, उत्पीड़न और भेदभाव की सूचना दी जा रही है, और आरोपी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है। गिटेंस ने कहा, अब हम उस जगह पर पहुंच गए हैं जहां पीड़ितों का करियर भी सुरक्षित है और वे लोग सामने आकर अपनी बात भी कह रहे हैं।

वह कहती हैं कि हकीकत यह है कि अब उत्पीड़न के बारे में बात की जा रही है। यह एक बड़ा कदम है। क्या गेम इंडस्ट्री वाकई में काम करने की परिस्थितियों को बदलने और बेहतर माहौल बनाने में सक्षम है या नहीं, यह देखा जाना बाकी है। हालांकि फिलहाल इसकी शुरुआत हो चुकी है।
रिपोर्ट : क्रिस्टीना रेमान-श्नाइडर

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