एक नाटकीय भाषण में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने दुनियाभर के नेताओं से कहा है कि रूस को सजा दें। पुतिन ने अपरोक्ष रूप से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में दुनियाभर के नेताओं से रूस को सजा देने की मांग की।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक नाटकीय वीडियो संबोधन में जेलेंस्की ने 15 बार सजा शब्द का इस्तेमाल किया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी जेलेंस्की के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि रूस ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है।
वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शांति के लिए अपनी शर्तों के बारे में बात करते हुए कहा कि यूक्रेन मांग करता है कि हमारा इलाका चुराने के लिए सजा दी जाए। हजारों लोगों की हत्या के लिए सजा दी जाए। आदमियों और औरतों को यातनाएं देने के लिए सजा दी जाए। जेलेंस्की एकमात्र नेता थे जिन्हें वीडियो संबोधन की इजाजत दी गई थी। हालांकि यह वीडियो लाइव नहीं था बल्कि इसे पहले से रिकॉर्ड करके चलाया गया।
महामारी के कारण 2 साल तक महासभा की बैठक को नेताओं ने वीडियो के जरिए ही संबोधित किया था लेकिन इस बार वे व्यक्तिगत रूप से पहुंचे हैं। जेलेंस्की को वीडियो से संबोधन की इजाजत एक विशेष प्रस्ताव पारित कर दी गई। भारत ने भी इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया था, जो यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस के खिलाफ उसका पहला वोट था।
भाषण के बाद खड़े होकर लोगों ने जेलेंस्की का अभिवादन किया। जेलेंस्की ने कहा कि रूस को जवाबदेह ठहराने के लिए एक विशेष प्राधिकरण स्थापित किया जाना चाहिए ताकि सभी आक्रांताओं को संदेश मिले। उन्होंने मुआवजे की भी मांग की और कहा कि रूस को अपनी संपत्ति से इस युद्ध का खर्च चुकाना चाहिए।
जेलेंस्की ने कहा कि रूस के साथ बातचीत का अब कोई मतलब नहीं रह गया है, क्योंकि वह कूटनीति का इस्तेमाल लड़ाई के लिए समय जुटाने के वास्ते करता है। उन्होंने कहा कि रूस असली बातचीत से भयभीत है और किसी अंतरराष्ट्रीय दायित्व को पूरा नहीं करना चाहता। वह सबसे झूठ बोलता है, जो कि आक्रांताओं और आतंकवादियों का तरीका होता है।
पुतिन का रूस में संबोधन
जेलेंस्की के भाषण से कुछ ही घंटे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परोक्ष रूप से परमाणु युद्ध की धमकी दी थी और सेनाओं के आरक्षित सैनिकों को भी सक्रिय किया। पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देश रूस को ब्लैकमेल कर रहे हैं, लेकिन रूस के पास जवाब देने के लिए कई हथियार हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने लोगों की रक्षा के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे और रूस की जनता के समर्थन में उन्हें पूरा भरोसा है।
पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में रूसी नियंत्रण में रह रहे लोगों को नियो-नाजी व्यवस्था के दमन का शिकार नहीं होने देंगे। देश के नाम अपने इस संबोधन में पुतिन ने यूक्रेन में 'विशेष सैन्य अभियान' के लिए आंशिक रूप से आरक्षित सैनिकों को लामबंद करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 'आजाद क्षेत्र' के लोगों की रक्षा के लिए तत्काल फैसला लेना आवश्यक हो गया है। कई लोगों का मानना है कि पुतिन के सामने रास्ते कम होते जा रहे हैं।
इस भाषण पर यूरोप में खासी प्रतिक्रिया हुई है। बहुत से नेताओं ने एक बड़े युद्ध की आशंका जताई है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने महासभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि रूस पर सर्वाधिक दबाव डाला जाना चाहिए। यूरोपीय संघ ने भी पुतिन के भाषण पर संज्ञान लेते हुए विदेश मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई है।
बाइडेन के वादे
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने महासभा में अपने संबोधन का इस्तेमाल दुनिया के देशों को रूस के खिलाफ लामबंद करने के लिए किया। उन्होंने विकासशील और गरीब देशों के नेताओं को लुभाने के लिए कुछ ऐलान भी किए, मसलन वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका ने 2.9 अरब डॉलर देने का ऐलान किया है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से खाद्य आपूर्ति प्रभावित हुई है और दुनियाभर में अनाज के दाम आसमान पर हैं।
उन्होंने कहा कि रूस ने शर्मनाक रूप से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन किया है। आइए, साफ-साफ बात करें। सुरक्षा परिषद के एक स्थायी सदस्य ने अपने पड़ोसी पर आक्रमण किया है, एक सम्प्रभु देश को नक्शे से मिटाने की कोशिश की है।
बाइडेन ने अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों को सुरक्षा परिषद में सीट दिलाने के लिए समर्थन का भी वादा किया। इसके अलावा उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की जरूरत पर भी बात की। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुर्लभ मामलों में, असाधारण परिस्थितियों के अलावा वीटो के इस्तेलमा से परहेज करेगा ताकि परिषद भरोसेमंद और प्रभावशाली बनी रहे। हाल के सालों में वीटो शक्तियों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल रूस ने किया है लेकिन चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका भी वीटो शक्ति रखते हैं और उनका इस्तेमाल करते रहे हैं।
कई नेताओं ने बाइडेन के भाषण का स्वागत किया। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की बात करना सही दिशा में एक अहम कदम है।