उत्तर प्रदेश में विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड की खूब चर्चा होती है लेकिन इस बार उनके पेशेवर डिग्रियों से उनकी पहचान शुरू हुई है। इसके जरिये उनके निर्वाचन क्षेत्र में उनकी पेशेवर खूबियों का इस्तेमाल करने की योजना है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में 205 विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं। लेकिन इसी विधानसभा में दर्जनों विधायक ऐसे भी हैं जो उच्च शिक्षित हैं और उनमें से कई डॉक्टर, इंजीनियर, एमबीए और वकालत जैसी प्रोफेशनल डिग्रीधारी हैं।
यूपी विधानसभा के अध्यक्ष और सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक रहे सतीश महाना ने ऐसे ही प्रोफेशनल डिग्रीधारी विधायकों की उपयोगिता को जनहित में इस्तेमाल करने की कोशिश की और इन्हें इनकी डिग्री के आधार पर कई समूहों में बांट दिया। इस समूह में अलग-अलग दलों के विधायक हैं लेकिन जनहित के मुद्दों पर ये एक साथ चर्चा करते हैं और उन पर अमल कराने की कोशिश करते हैं।
18 डॉक्टर, 16 इंजीनियर, 72 वकील
यूपी की मौजूदा यानी 18वीं विधानसभा में यूं तो आधे से ज्यादा विधायकों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं लेकिन इसी विधानसभा में 18 डॉक्टर, 16 इंजीनियर, 15 एमबीए और करीब छह दर्जन विधायक कानून की डिग्री वाले हैं। विधान सभा में 47 महिलाएं और कुल 50 विधायक ऐसे हैं जिनकी उम्र चालीस साल से कम है और 126 विधायक ऐसे हैं जो पहली बार चुने गए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष महाना कहते हैं, "आम लोगों में विधायकों को लेकर अक्सर यह छवि होती है कि वो कम पढ़े-लिखे और आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं। मैं खुद तीस साल से विधायक हूं और विधायकों के बारे में लोगों की इस मनोवृत्ति को समझता हूं। पर यह सच नहीं है। इसीलिए हमने यह कोशिश की है कि विधायकों के नेतृत्व गुणों के साथ-साथ उनके पेशेवर कौशल को भी जनहित में उपयोग किया जाए और लोगों की नेताओं के प्रति धारणा को बदला जाए।”
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस बारे में नई विधानसभा के गठन के बाद से ही शुरुआत कर दी और उनके कार्यालय ने विभिन्न पेशेवरों के समूह बनाने के साथ-साथ चालीस साल से कम उम्र के सदस्यों, पांच से ज्यादा बार के वरिष्ठ विधायकों और महिला विधायकों का भी एक अलग समूह बनाया है।
सतीश महाना कहते हैं, "मैंने विभिन्न समूहों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों की बेहतरी के लिए अपने पेशेवर कौशल का उपयोग करने के लिए कहा है। जैसे, मेडिकल डिग्री वाले विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों और सरकार में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के बीच एक कड़ी के रूप में काम कर सकते हैं और प्रस्तावों को आगे बढ़ा सकते हैं। वैसे ही इंजीनियर और दूसरे पेशेवर भी।”
फर्रूखाबाद जिले की कायमगंज विधानसभा सीट से अपना दल (एस) की विधायक डॉक्टर सुरभि दांत की डॉक्टर होने के साथ-साथ भारतीय प्रबंधन संस्थान से भी पढ़ाई कर चुकी हैं। वो इनमें से चार समूहों में शामिल हैं। इन समूहों में डॉक्टरों, इंजीनियरों और प्रबंधन से जुड़े विधायकों के समूह शामिल हैं।
विधायकी के साथ अपना पेशेवर काम भी
डॉक्टर सुरभि अपने अनुभव को कुछ इस तरह बताती हैं, "पहला सत्र शुरू होते ही माननीय स्पीकर ने प्रोफेशन के आधार पर विधायकों को समूह में बांटा। अध्यक्ष जी ने पहली ही बैठक में यही कहा कि अपने प्रोफेशन को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। फिर एक-दूसरे को व्यक्तिगत तौर पर भी जानने का मौका मिलता है। वहां हम सभी विधायक होते हैं, कोई किसी पार्टी का नहीं। कोशिश हो रही है कि एक-दूसरे की विधानसभाओं में जाकर वहां हो रहे अच्छे कार्यों को देखा जाए और उन्हें अपने क्षेत्र में लागू कराने की कोशिश की जाए। इसी से प्रेरित होकर मैं अपने क्षेत्र में एक कैंप लगवा रही हूं।”
विधानसभा अध्यक्ष के साथ ऐसे ही एक सत्र में, महिला विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर बताया कि अक्सर उनके पुरुष सहयोगी ही एजेंडा तय करते हैं और महिला विधायकों को अपने मुद्दे उठाने का भी पर्याप्त समय नहीं मिलता। डॉक्टर सुरभि बताती हैं कि अध्यक्ष ने इस मुद्दे को सदन की कार्य मंत्रणा समिति के पास ले जाने का वादा किया है और कहा है विधान सभा के आगामी सत्र में महिला विधायकों के लिए एक पूरा दिन अलग रखने की योजना पर अमल किया जा सकता है।
विधायक डॉक्टर सुरभि कहती हैं, "मैंने एक सुझाव दिया कि विधायकों को प्रोफेशन के आधार पर जिले की बैठकों में विशेषज्ञ विधायकों के तौर पर बुलाया जाना चाहिए और इस संबंध में एक सरकारी आदेश होना चाहिए। माननीय अध्यक्ष ने इसे भी संज्ञान में लिया और हो सकता है कि इससे संबंधित जीओ भी आने वाले दिनों में आ जाए।”
डॉक्टर सुरभि बताती हैं कि वो राजनीति में आने से पहले भी क्लीनिक पर मरीजों को देखती थीं और अभी भी इसे जारी रखना चाहती हैं। वो कहती हैं कि मरीज आ जाते हैं तो अभी भी देखती हूं और फिर हंसते हुए कहती हैं, "दांत भी निकाल देती हूं। विधायक बनने से पहले तक तो मैं प्रैक्टिस करती थी। कोविड के दौरान क्लीनिक बंद थे तो मैंने ऑनलाइन कंसल्टेशन भी किया।”
पेशेवर अनुभव का इस्तेमाल
कानपुर के आर्यनगर से समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ वाजपेयी के पास ना सिर्फ एमबीए की डिग्री है बल्कि उन्होंने राजनीति में आने से पहले अच्छे पदों पर नौकरी भी की है। अमिताभ वाजपेयी कहते हैं कि राजनीति में आने और विधायक बनने पर अक्सर प्रोफेशनल डिग्री वाले लोग अपने पेशे से दूर हो जाते हैं लेकिन यदि इसका उपयोग किया जाए तो राजनीति में भी इसका लाभ मिलता है।
अमिताभ वाजपेयी ने खुद भी अपने विधानसभा क्षेत्र में वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए आम लोगों और अधिकारियों को जोड़ रखा है, जहां लोग अपनी समस्याएं बताते हैं, खराब सड़कों या टूटी नालियों की तस्वीर डालते हैं और फिर अधिकारियों से तत्काल उन समस्याओं के निराकरण के लिए कहा जाता है।
समाजवादी पार्टी के विधायक और विधानसभा में सबसे उम्रदराज सदस्य आलम बदी भी इंजीनियर विधायको के समूह में हैं और अपने पेशेवर अनुभवों को साझा करते हैं। इसी समूह में इलाहाबाद उत्तरी से विधायक हर्ष वाजपेयी भी हैं जिन्हों ब्रिटेन की शेफील्ड यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री ली है। कई विधायकों के पास विदेशी विश्वविद्यालयों की डिग्री भी है और कई डॉक्टर विधायक ऐसे हैं जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की है।
विधानसभा अध्यक्ष कहते हैं कि आने वाले दिनों कृषि, कानून, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों के पेशेवर विधायकों के भी समूह बनाए जाएंगे ताकि उनकी विशेषज्ञता का भी जनहित में इस्तेमाल किया जा सके। विधानसभा अध्यक्ष ने एक और नई पहल की है कि सत्र के दौरान यदि किसी भी सदस्य का जन्म दिन आता है तो वहां उसका जीवन परिचय पढ़ा जाएगा और सम्मान में ताली बजाई जाएगी। ऐसा इसलिए, ताकि विधायकों के बीच दलीय स्पर्धा से बाहर निकलकर एक साथ जनहित में काम करने की प्रवृत्ति बढ़े।