जमीन के नीचे दुनिया बसाने की तैयारी में सिंगापुर

Webdunia
शुक्रवार, 4 जनवरी 2019 (12:21 IST)
बढ़ती आबादी और सिमटती रिहाइशी जगहों की वजह से सिंगापुर जमीन के नीचे की जगह का इस्तेमाल करने के लिए तैयारी कर रहा है। सिंगापुर की 2019 में अंडरग्राउंड मास्टर प्लान को लांच करने की योजना है।
 
 
"सुपरट्री" वर्टिकल गार्डन की मीनारों से लेकर फॉर्मूला वन के लिए रात में रेस करने तक सिंगापुर में कई आकर्षण है। लेकिन इनमें भी जमीन के नीचे का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं आता है। सिंगापुर इसे बहुत जल्दी बदलने वाला है और इसके लिए 2019 में भूमिगत मास्टर प्लान का एलान करने की तैयारी है।
 
 
सिंगापुर में करीब 56 लाख लोग रहते हैं जिनकी संख्या 2030 तक 69 लाख हो जाएगी। बढ़ती आबादी के लिए इस द्वीप पर जमीन की कमी होती जा रही है। ऐसे में सिंगापुर में कई दशकों से नई जमीन को 'रीक्लेम' किया जा रहा है। 'रीक्लेम' से आशय उस प्रक्रिया से है जिसमें पहले किसी और काम में आने वाली या बेकार पड़ी जमीन को रिहाइश के लिए इस्तेमाल किया जाए। मगर अब ऐसा करना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन की वजह से और भी मुश्किलें बढ़ चुकी हैं। इसलिये कुछ बुनियादी ढांचे जैसे रेल लाइनों, पैदल चलने के लिए रास्ते, पांच-लेन वाले राजमार्ग और एयर-कंडीशनिंग की पाइपों को जमीन के नीचे कर दिया गया है। यहां ईंधन और गोला-बारूद को भी रखा जाता है।
 
 
क्या क्या बनेगा अंडरग्राउंड
प्राचीन रोम में कैटाकॉन्ब से लेकर मध्ययुगीन भारत में और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बंकरों के रूप में भूमिगत जगहों के इस्तेमाल की परंपरा रही है।
 
 
सिंगापुर में शहरी पुनर्विकास प्राधिकरण के निदेशक लेर सेंग एन का कहना है, "क्योंकि सिंगापुर में जमीन की कमी है इसलिये हमको जमीन के ऊपर और नीचे का हिस्सा भविष्य के लिए ठीक से इस्तेमाल करना होगा।" वे आगे कहते हैं, "अभी हम कोशिश कर रहे हैं कि जो सेवाएं आम लोगों के लिए हैं जैसे परिवहन, भंडारण और औद्योगिक सुविधाएं उनको जमीन के नीचे करके ऊपर की जमीन को घरों, कार्यालयों, सामुदायिक उपयोग और हरियाली के लिए काम में लाया जाए ताकि यहां पर रहना और आसान हो सके।"
 
 
अंडरग्राउंड मास्टर प्लान में डाटा सेंटर, यूटिलिटी प्लांट, बस डिपो सहित गहरी-सुरंग वाली सीवेज प्रणाली, भंडारण और पानी के जलाशय भी होंगे। अभी घरों और दफ्तरों को जमीन के नीचे ले जाने की योजना नहीं हैं।
 
 
वरिष्ठ इंजीनियर पीटर स्टोन्स ने शहरी पुनर्विकास प्राधिकरण के लिए एक अध्ययन किया है जिसमें सिंगापुर की बाकी के शहरों से तुलना की गई है। उनका कहना है कि "सिंगापुर ने दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में अपना नाम जोड़ा है जो भूमिगत स्थान पर काम कर रहे हैं। सिंगापुर का भूमिगत रेल घनत्व अभी जापानी राजधानी टोक्यो से कम है, वहीं भूमिगत पैदल यात्री पथ के लिए घनत्व सिंगापुर में सबसे कम है। सिंगापुर का एक्सप्रेस-वे नेटवर्क लगभग 180 किलोमीटर का है और उसका 10 प्रतिशत जमीन के अंदर है।
 
 
मौसम के कारण धरती के नीचे
स्टोन्स का कहना है कि "जगह की कमी के अलावा मौसम भी एक कारण है जमीन के नीचे काम शुरु करने के लिए। गर्मी और उमस बहुत ज्यादा बढ़ रही है और उसी के साथ बारिश भी बहुत ज्यादा हो रही है। लोग इस मौसम से परेशान हैं। इस मौसम की वजह से यातायात के साधनों पर भी असर पड़ता है और वे जल्दी खराब हो जाते हैं इसलिये उनको जमीन के नीचे ले जाना अच्छा उपाय है।"
 
 
भूमिगत मास्टर प्लान में 3D तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिससे वो जगह भी ऐसी दिखेगी जैसी वो नहीं है। ये "वर्चुअल सिंगापुर" योजना का हिस्सा है। इस 3D तकनीक की मदद से बहुत से डाटा का विश्लेषण हो सकेगा, जिससे ना सिर्फ शहरी नियोजन में मदद मिलेगी बल्कि कोई आपदा भी संभाली जा सकती है। पीटर स्टोन्स का मानना है कि "जमीन के नीचे की जगह एक संपत्ति जैसी है, जिसका हमको इस्तेमाल जरुर करना चाहिए। इसके लिए विस्तृत योजना का होना बहुत महत्वपूर्ण है।"
 
 
दुनिया में और भी जगहों पर भूमिगत ढांचों पर काम चल रहा है। हाल ही में टेस्ला कंपनी के प्रमुख इलॉन मस्क की बोरिंग कंपनी ने अमेरिका में एक करोड़ डॉलर की लागत से तकरीबन दो किलोमीटर लंबी एक भूमिगत सुरंग (टनल) बनाई है। इसका मकसद है ट्रैफिक की समस्या से निजात पाना। इसमें गाड़ियां और ट्रक लिफ्ट की मदद से टनल में जाकर 150 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकते हैं।
 
 
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)
 

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