जंगल से ज्यादा बाघ पिंजरे में

Webdunia
मंगलवार, 6 अगस्त 2019 (11:14 IST)
अवैध शिकार और घटते आवास के कारण अब महज 4000 से कम ही बाघ दुनिया के जंगलों में बचे हैं। हालांकि चिड़ियाघरों और इंसान के घर में रहने वाले पालतू बाघों की तादाद बढ़ रही है।
 
प्रशंसित, भयभीत और लुप्त होने की कगार पर
बाघ एकांतवासी और संकोची जीव हैं जिन्हें घूमने के लिए बड़ी जगह की जरूरत होती है। मलेशिया और इंडोनेशिया के हरे भरे जंगलों से लेकर भूटान के ऊंचे पहाड़ों और भारत के मैंग्रोव वनों में इनका बसेरा है। खाने की तलाश में दूर दूर तक घूमते बाघ जगंलों की कटाई और विकास में भटक जाते हैं। जंगलों का जो हिस्सा बचा है वह बिखरा बिखरा सा है साथ ही सड़कों, खेतों, गांवों और शहरों से घिरा है।
 
एशियाई जंगलों और सावन्ना से दूर पिंजरों और घरों के पिछवाड़ों में
चमकीली धारीदार फर वाली खाल, तीखी नजरें और प्यारे शावकों के कारण इन्हें पालतू बनाने वालों और चिड़ियाघरों में इनकी भारी मांग रहती है। यह बात खासतौर से अमेरिका के लिए एकदम सच है। अमेरिका के मत्स्य और वन विभाग के मुताबिक देश में बाघों की संख्या जंगल में पाए जाने वाले बाघों से बहुत जल्द आगे निकल जाएगी। माना जाता है कि केवल टेक्सस राज्य में ही 2000 से 5000 बाघ रह रहे हैं।
 
कुतिया के दूध पर जीते बाघ के बच्चे
जंगल में पैदा होने वाले शावकों में से आधे ही जिंदा बच पाते हैं। अकसर माएं अपने बच्चों को दूध पिलाने से मना कर देती हैं और अज्ञात वजहों से उन्हें त्याग देती हैं। पिंजरे में रखने वाले चिड़ियाघरों ने इसके समाधान के लिए कुतिया के दूध पर बाघ के बच्चों को पाला है। कुतिया अपने बच्चों और बाघ के बच्चों के बीच फर्क नहीं कर पाती। आमतौर पर दोनों का प्रजनन काल भी एक ही होता है।
 
बाघ की तीन उपजातियां लुप्त
बाघ की 9 उपजातियां हैं जिनमें से अब केवल छह उपजातियां बची हैं। इनमें जो फर्क दिखता है वह हजारों सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण आया है। साइबेरियन या आमूर बाग उदाहरण के लिए दूसरी उपजातियों के बाघ से बड़े और ज्यादा बाल वाले होते हैं। इसका मतलब है कि यह साइबेरियाई जंगली इलाकों में खुद को ज्यादा गर्म रख सकते हैं।
 
बाघ शेर साथ साथ!
जीवित बचे बाघ की सभी उपजातियों के जीन में ज्यादा अंतर नहीं है, इनमें से सबने खुद को अपने आवास के हिसाब से ढाल लिया है। इनका आवास अफ्रीका की बजाय एशिया है। इनमें कुछ उष्णकटिबंधीय वनों में हैं तो कुछ सूखे वनों में कुछ दलदली इलाकों में और गीली जमीनों पर जबकि कुछ 3000 मीटर की ऊंचाई पर भी रहते हैं। यही वजह है कि उनकी संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना बेहद मुश्किल है।
 
शिकार, अतिक्रमण और बढ़ता तापमान
जलवायु परिवर्तन बाघ की चुनौतियों में अकेला नहीं है लेकिन यह उनके आवास के लिए एक बड़ा खतरा है। एक रिसर्च में कुछ चीजों की भविष्यवाणी की गई है। इनमें एक यह है कि सुंदर बन में पानी का स्तर बढ़ेगा। इस इलाके में मौजूद मैंग्रोव के जंगल भारत से लेकर बांग्लादेश तक फैले हैं। हालांकि बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण बंगाल टाइगर की आबादी पर बुरा असर पड़ेगा। इस इलाके में रहने वाली यह बाघ की अकेली उपजाति है।
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