विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी दूसरे संक्रामक रोग की तुलना में टीबी सबसे ज्यादा लोगों की मौत का कारण बनता है। पिछले साल टीबी के कारण 17 लाख लोगों की जान गयी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी दूसरे संक्रामक रोग की तुलना में टीबी सबसे ज्यादा लोगों की मौत का कारण बनता है। पिछले साल टीबी के कारण 17 लाख लोगों की जान गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को जारी बयान में कहा है कि 2016 में टीबी से 17 लाख बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की मौत हुई। विश्व संगठन के अनुसार पिछले साल फेफड़े की बीमारी के 1 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए। यह जानकारी विश्व टीबी रिपोर्ट के ताजा संस्करण में दी गयी है।
विश्व स्वस्थ्य संगठन ने कहा है कि हालांकि 2015 के मुकाबले टीबी से होने वाली मौतों में 4 प्रतिशत की कमी हुई है लेकिन योजनानुसार 2030 तक उसे पूरी तरह खत्म करने के लिए देशों को और सक्रियता से उसके खिलाफ संघर्ष करना होगा। जिन देशों में टीबी के मामले ज्यादा है उनमें मुख्य रूप से बीमारी का पता लगाने की संरचना और इलाज करने की सुविधाओं का अभाव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार लगभग दो तिहाई मामले सात देशों में होते हैं। भारत, इंडोनेशिया और चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश इससे गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
राहत संगठन डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने इस बात की आलोचना की है कि तथाकथित प्रतिरोधक टीबी के खिलाफ दो नयी दवाओं के इस्तेमाल में पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है। ये दोनों दवाइयां बेडाक्विलिन और डेलामेनिड पांच साल से बाजार में उलब्ध हैं और उनकी मदद से जिंदगियां बचायी जा सकती हैं।
इसके बावजूद जिन लोगों को इन दवाओं की जरूरत है उनमें सिर्फ पांच प्रतिशत को सचमुच ये दवाएं मिली हैं। डॉक्टरों के संगठन का कहना है कि 2016 में एक साल पहले के मुकाबले दवा की आपूर्ति की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। प्रतिरोधी टीबी के मामलों में अब तक महत्वपूर्ण समझी जाने वाली दवाएं या तो काम नहीं करती या उनका बहुत कम असर होता है।