ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों का कहना है कि अब कुकिंग गैस का विकल्प खोजने का वक्त आ गया है क्योंकि लगातार ऐसे सबूत सामने आ रहे हैं कि खाना बनाने का यह तरीका सेहत के लिए ठीक नहीं है और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। वैसे तो कुकिंग गैस को लेकर चिंताएं काफी पहले से जताई जाती रही हैं लेकिन हाल ही में आए एक शोध के बाद इस बात पर बहस तेज हो गई है कि कुकिंग गैस कितनी खतरनाक हो सकती है।
ताजा अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका में बच्चों को दमे का रोग होने में कुकिंग गैस से होने वाले उत्सर्जन की बड़ी भूमिका है। इस अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका में बच्चों में दमा होने के जितने मामले हैं उनमें से 12।7 फीसदी, यानी हर आठ में से एक मामले में वजह गैस स्टोव से हुआ उत्सर्जन है।
चिंतित हैं वैज्ञानिक
इस साल की शुरुआत में ही अमेरिका के कंज्यूमर प्रॉडक्ट सेफ्टी कमीशन ने ऐलान किया था कि वह कुकिंग गैस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिकों ने कहा है कि कुकिंग गैस को लेकर चिंताएं बेवजह नहीं हैं। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में एसोसिएट प्रोफेसर डोना ग्रीन कहती हैं कि कुकिंग गैस से होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित होना जायज है।
उन्होंने कहा, "हम स्टोव पर आमतौर पर खाना बनाते हैं। इसका अर्थ है कि आपका प्रदूषकों से नियमित तौर पर वास्ता पड़ता है क्योंकि चेहरा गैस के करीब होता है। और यह अच्छा नहीं है। अब हमारे पास विकल्प हैं जो ज्यादा सुरक्षित हैं और पर्यावरण के भी अनुकूल हैं।”
प्रोफेसर ग्रीन की तरह ही पर्यावरण संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ। क्रिस्टीन कोवी भी इस चिंता से सहमत हैं और कहती हैं कि कुकिंग गैस से दूरी जरूरी है। उन्होंने कहा, "यह हमारे घरों और आसपास एक ऐसा प्रदूषक है जिसे दूर किए जाने की जरूरत है। विज्ञान दिखा रहा है कि हमें जीवाश्म ईंधनों को जलाने को रोकना चाहिए और गैस भी उनमें शामिल है।”
सेहत पर असर
कुकिंग गैस सेहत के लिए खतरनाक मानी जाती है क्योंकि इससे कई तरह के प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन होता है। प्रोफेसर ग्रीन के मुताबिक जब आप गैस जलाते हैं तो असल में आप मीथेन गैस को जला रहे होते हैं जिससे जहरीले यौगिक बनते हैं। कुकिंग गैस में मीथेन मुख्य अवयव होता है, जो जलने पर ऊष्मा यानी गर्मी पैदा करता है। इससे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर नाइट्रो ऑक्साइड बनते हैं। प्रोफेसर ग्रीन कहती हैं कि इसके सेहत के लिए कई गंभीर परिणाम होते हैं जिनमें दमा और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
डॉ कोवी बताती हैं कि जब स्टोव जलता है तो असल में आप जीवाश्म ईंधन ही जला रहे हैं जिससे कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और फारमैल्डीहाइड भी बन सकते हैं। डॉ कोवी कहती हैं कि कार्बन मोनो ऑक्साइड के उत्सर्जन से हवा में ऑक्सजीन कम होती है और खून में भी ऑक्सीजन नष्ट होती है। इससे सिर दर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पर्यावरण के लिए खतरनाक
कुकिंग गैस जलाना पर्यावरण के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। 2022 में एक अध्ययन में कहा गया था कि अमेरिका में गैस स्टोव से जितना कार्बन उत्सर्जन होता है वह पांच लाख कारों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है।
इसीलिए अब वैज्ञानिक कुकिंग गैस का विकल्प खोजने पर जोर दे रहे हैं। इंडक्शन चूल्हे और बिजली के चूल्हों को इसके विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इंडक्शन चूल्हों में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रभाव से गर्मी पैदा की जाती है और इसे कुकिंग गैस के सबसे सक्षम विकल्प के रूप में देखा जाता है। हालांकि यह एक महंगा विकल्प है
वैज्ञानिक बिजली के चूल्हों को लेकर कुछ सशंकित हैं क्योंकि ज्यादातर बिजली उत्पादन कोयले जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाकर ही किया जाता है। इसलिए अक्षय ऊर्जा से पैदा की जा रही बिजली को ही एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है।