अरब जाने वाले लोग अब क्या लेकर आएंगे?

Webdunia
गुरुवार, 28 दिसंबर 2017 (11:34 IST)
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जाने वाले कामगार वहां से घर आते समय खूब सारा सामान लाते थे लेकिन अब यह सब बंद हो जाएगा। सरकार पेट्रोलियम की घटती कीमत से कमाई में हुई कमी को टैक्स से पूरा करना चाहती है।
 
2018 से सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की सरकारों ने लगभग सभी सामानों और सेवाओं पर पांच फीसदी कर लगाने का फैसला किया है। वैल्यू ऐडेड टैक्स यानी वैट खाना, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और गैसोलिन, फोन, पानी-बिजली बिल और होटल बुकिंग, इन सब पर लगेगा।
 
दुबई में नौकरी ढूंढ रही 23 साल की एल्डा न्गोम्बेव ने अगले साल कीमत बढ़ने से पहले खास खरीदारी करने की बात पर कहा, "मेकअप का सामान, क्योंकि मैं उसके बगैर नहीं रह सकती। मैं थोड़ा डर गई हूं क्योंकि दुबई में पहले से ही सारी चीजें काफी महंगी हैं। अब इस पर पांच फीसदी टैक्स लग रहा है ये तो पागलपन है।"
 
टैक्स से कुछ चीजों को अभी बाहर रखा गया है जैसे कि मकान का किराया, रियल इस्टेट, कुछ दवाइयां, एयरलाइन की टिकट, स्कूली ट्यूशन फी। हालांकि यूएई में उच्च शिक्षा पर टैक्स लगेगा। इसके अलावा बच्चों की यूनिफॉर्म, किताबें, स्कूल बस का किराया और लंच जैसी चीजों पर टैक्स देना होगा। इसके साथ ही रियल इस्टेट में सौदे के लिए दिए जाने वाले कमीशन पर भी टैक्स लगाया गया है। खाड़ी के दूसरे देश भी जल्दी ही वैट की योजना लागू करेंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
 
दुकानदार, जिम और दूसरे रिटेल व्यापारी सऊदी अरब और यूएई में बाकी बचे टैक्स फ्री दिनों को भुनाना चाहते हैं और खरीदारों को 1 जनवरी से पहले ज्यादा से ज्यादा स्टॉक जमा कर लेने की सलाह दे रहे हैं।
 
फ्रांस की वेरा क्लेमेंट एक रेस्टॉरेंट की असिस्टेंट मैनेजर हैं और दुबई में तीन साल से रह रही हैं। उन्होंने कहा, "अगर आप यूरोप से तुलना करें तो मुझे नहीं लगता कि यह महंगा है। केवल किराया और खाना ही महंगा है। हम कुछ भी खरीदने से पहले अब थोड़ा ज्यादा सजग रहेंगे।"
 
अबू धाबी के अखबार द नेशनल का कहना है कि यूएई में रहने का खर्च अगले साल से वैट के कारण करीब 2।5 फीसदी बढ़ जाएगा। इस बीच तनख्वाह उतनी ही रहने के आसार हैं। यूएई टैक्स से करीब 3।3 अरब अमेरिकी डॉलर की कमाई करने की योजना बना रहा है।
 
इस बीच सउदी अरब ने हाल ही में अपने इतिहास का सबसे बड़ा बजट पेश किया है। इसमें 2018 के लिए 261 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई गई है। सरकार वैट लगाकर आमदनी बढ़ाने के साथ ही सब्सिडी में कटौती भी करने जा रही है। हालांकि इसके बावजूद सऊदी अरब को कम से कम 2023 तक बजट घाटे का सामना करना पड़ेगा।
 
खाड़ी के तेल निर्यातक देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने टैक्स लगाने का सुझाव दिया है ताकि तेल के अतिरिक्त भी राजस्व हासिल हो सके। आईएमएफ ने खाड़ी के देशों से कारोबारी लाभ पर टैक्स लगाने या टैक्स बढ़ाने का सुझाव दिया है।
 
आईएमएफ के सुझावों के मुताबिक सउदी अरब और यूएई ने तंबाकू के उत्पाद और एनर्जी ड्रिंक पर 100 फीसदी और सॉफ्ट ड्रिंक पर 50 फीसदी टैक्स लगाया। हालांकि दोनों देशों में जो वैट लगाया जा रहा है उसका दायरा काफी बड़ा है। दुबई में कैटरपिलर नाम की एक कंपनी ने कारोबारियों के लिए ट्रेनिंग शुरू की है जिसमें उन्हें टैक्स और खाते बही के नियमों का पालने करने के बारे में जानकारी दी जाएगी। कैटरपिलर का कहना है कि पिछले 3 महीनों में 500 से ज्यादा लोगों ने उनके यहां दाखिला लिया है।
 
खाड़ी के देश लंबे समय से टैक्स फ्री रहे हैं लेकिन बहरीन में विदेशी कंपनियों को कॉर्पोरेट इनकम टैक्स देना पड़ता है। इसी तरह ओमान में स्थानीय कंपनियां भी टैक्स देती हैं। यहां कस्टम ड्यूटी भी लगती है हालांकि दवा, खाना और उद्योग के लिए कच्चे माल को इससे मुक्त रखा गया है।
 
सऊदी अरब में विदेशी लोगों की तादाद करीब एक तिहाई है जबकि यूएई में विदेशी लोग, स्थानीय लोगों से ज्यादा हैं। वैट से घबराए विदेशी लोगों को सरकार ने सांत्वना दी है कि फिलहाल पेरोल टैक्स लगाने का इरादा नहीं है जिसके लगने पर कुशल कामगारों के वहां से पलायन का अंदेशा है।
 
एनआर/एके (एपी)
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