उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राजधानी दिल्ली में चल रहे संस्कृत भारती विश्व सम्मेलन में कहा कि संस्कृत भारत को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा है जिसमें देश के ज्ञान-विज्ञान का खजाना समाहित है।
इस मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि संस्कृत भारत को जोड़ने वाली भाषा है। भारतीय ज्ञान-विज्ञान संस्कृत भाषा में है। हमें हमारे ऋषि-मुनियों का ज्ञान प्रयोग में लाना चाहिए। दुनिया की सारी समस्याओं का हल संस्कृत में है। दुनियाभर में संस्कृत का अध्ययन-अध्यापन होता है और इस भाषा में शोध हो रहा है। नायडू ने संस्कृत भारती के 'संभाषण आंदोलन' में सहयोग की अपील की।
उन्होंने तेलुगु और संस्कृत में निकटता का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने संस्कृत नहीं पढ़ी, फिर भी मैं संस्कृत समझ सकता हूं इसलिए संस्कृत को सरल भाषा बनाकर आम बोलचाल की भाषा बनाना है और इसे आगे बढ़ाना है। लोगों को मां, जन्मभूमि और मातृभाषा को नहीं छोड़ना चाहिए। हमें संस्कृत को फैशन बनाना है।
इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को हिमाचल प्रदेश में संस्कृत को द्वितीय भाषा बनाने के लिए संस्कृत भारती ने सम्मानित किया। ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भारत की ही नहीं, विश्व की भाषा हो सकती है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की बात भी कही।
सम्मेलन में पहुंचे जूना पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरिजी महाराज ने कहा कि विश्व में ज्ञान का पर्याय संस्कृत भाषा है। इसमें काल गणना, सुनने का बोध, शास्त्र, परम पुरुष का ज्ञान और सर्वव्यापी सत्ता इत्यादि सभी का ज्ञान है।
संस्कृत भारती के नवनियुक्त अखिल भारतीय अध्यक्ष गोपबंधु मिश्र ने कहा कि संस्कृत भाषा सारी भाषाओं के लिए प्रकाश है और संस्कृत भारती कार्यकर्ताओं के अंतस्थल में संस्कृत विद्यमान है। संस्कृत भारती द्वारा विश्व सम्मेलन में 'विश्वे संस्कृत' विषय पर आयोजित प्रदर्शनी में देश विदेश में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के कार्यों को दर्शाया गया है।