यूक्रेन को लेकर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय तनाव के बीच रूस ने भारत के रुख का स्वागत किया है। भारत ने अब तक रूस की यूक्रेन में की गई कार्रवाई पर चुप्पी साध रखी है। हालांकि इसे रूस का समर्थन माना जा रहा है।
रूस ने कहा है कि भारत का यूक्रेन के मामले में 'निष्पक्ष' रुख स्वागत योग्य है और उस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का भारत-रूस रक्षा संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत में रूस के प्रतिनिध रोमान बाबुश्का ने कहा कि उनका देश भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में बड़ी योजनाओं को आगे बढ़ाने को लेकर उत्सुक है।
रूस ने इसी हफ्ते पूर्वी यूक्रेन के दो प्रांतों डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी थी। रूस की इस कार्रवाई को मिंस्क समझौते का उल्लंघन बताते हुए तमाम देशों ने उसकी निंदा की और अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन जापान सहित कई देशों ने आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंधों का भी ऐलान कर दिया।
भारत की चुप्पी का मतलब
भारत ने अब तक इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कहा है। मंगलवार को पेरिस में एक विचार गोष्ठी में भारत के विदेश मंत्री डॉ। एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के मुद्दे पर जो कुछ हो रहा है, वह नाटो के विस्तार और सोवियत-युग के बाद रूस के पश्चिमी देशों के संबंधों से जुड़ा है। जबकि हिंद-प्रशांत यूरोपीय फोरम में शामिल अन्य विदेश मंत्रियों की तरह जापानी विदेश मंत्री योशीमासा हायाशी ने रूस की कड़ी निंदा की, भारतीय विदेश मंत्री ने अपना पूरा ध्यान चीन द्वारा पैदा किए गए कथित खतरों पर केंद्रित रखा।
इससे पहले सुरक्षा परिषद में भी भारत ने जिस तरह का बयान दिया था, उसे रूस का पक्षधर माना गया। यूक्रेन पर भारत ने कहा था कि सारे पक्षों की रक्षा संबंधी चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रूस ने भारत के इस रुख का स्वागत करते हुए कहा है कि यूक्रेन के हिस्सों को मिली मान्यता अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वैध है।
भारत में रूस का कामकाज देख रहे रोमान बाबुश्किन ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय शक्ति के रूप में सुरक्षा परिषद में अपनी भूमिका निभा रहा है और उसकी कार्रवाइयां भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को ही प्रदर्शित करती हैं।
भारत-रूस रक्षा समझौते पर उत्साह
बाबुश्किन ने कहा, 'हम भारत के स्वतंत्र और संतुलित रुख का स्वागत करते हैं, जो सुरक्षा परिषद में दिखाई दिया। यह भारत के जिम्मेदार अंतरराष्ट्रीय शक्ति होने का परिचायक है। हमारी विशेष रणनीतिक साझेदारी अतुलनीय आपसी समझ और विश्वास पर निर्भर है।'
उन्होंने भारत के साथ रक्षा संबंधों को लेकर रूस के उत्साह पर विशेष बल दिया। बाबुश्किन ने कहा, 'भारत और रूस एक दूसरे के रक्षा हित और चिंताओं को बहुत गंभीरता से लेते हैं। रक्षा क्षेत्र में हमारी बड़ी योजनाएं हैं और हम उन सबको पूरा करने की उम्मीद करते हैं।'
भारत और रूस के बीच पिछले साल ही दस वर्षीय सैन्य-तकनीक समझौता एक और कार्यकाल के लिए बढ़ाया गया था। साथ ही एस-400 मिसाइल सिस्टम को लेकर एक अहम समझौता हुआ था जिस पर अमेरिका ने आपत्ति जताई थी। रूस ने भारत को इस शक्तिशाली मिसाइल सिस्टम की सप्लाई शुरू भी कर दी है, जिसे लेकर पश्चिमी देश खुश नहीं हैं।