एक डीएनए रिसर्च से पता चला है कि ब्रिटेन के शाही परिवार की रगों में भारतीय खून दौड़ रहा है। प्रिंस विलियम का डीएनए भारत से है!
इंग्लैंड के युवराज, गद्दी के दावेदार और दुनिया के सबसे मशहूर प्रिंस चार्ल्स का खून भारतीय है! डीएनए रिसर्च से पता चला है कि प्रिंस विलियम का संबंध ऐंग्लो-इंडियन लोगों से है। एडिनबरा यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक ने शोध के बात इस बात की पुष्टि की है कि प्रिंस चार्ल्स का संबंध भारत से है और ऐसा उनकी मां की ओर से हो सकता है। अचानक भारतीय सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो गई है। लोग टेलिग्राफ की उस खबर को शेयर कर रहे हैं जो दरअसल 2013 में लिखी गई थी।
क्या है सच्चाई?
ब्रिटेन के अखबार टेलिग्राफ की जून 2013 की खबर के मुताबिक छह पीढ़ियां पहले विलियम की मां डायना के एक पुरखे थियोडर फोर्ब्स के संबंध एक घरेलू नौकरानी एलिजा केवार्क से रहे थे। उनके कई बच्चे हुए। 1812 में उनकी एक बेटी हुई कैथरीन। अब तक माना जाता रहा है कि एलिजा केवार्क आर्मेनियाई मूल की थीं और भारत में रह रही थीं, जहां उनकी मुलाकात ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करने वाले स्कॉट मूल के थियोडोर फोर्ब्स से हुई। लेकिन प्रिस विलियम्स के रिश्तेदारों के डीएनए सैंपल्स की जांच ने दूसरी ही कहानी पेश की है। जेनेटिसिस्ट जिम विल्सन ने विलियम के रिश्तेदारों की लार के नमूने लिए थे। एडिनबरा यूनिवर्सिटी में उन्होंने इस पर जांच की जिससे पता चला कि केवार्क आर्मेनियाई नहीं बल्कि भारतीय थीं।
वाकई भारतीय हैं विलियम?
डीएनए का R30b प्रकार बहुत दुर्लभ है। अब तक यह सिर्फ 14 लोगों में मिला है। और एक को छोड़कर ये सारे लोग भारतीय हैं। एक नेपाली है। इस खोज से पता चलता है कि प्रिंस विलियम ऐंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्य हैं। यह समुदाय अब खत्म होने के कगार पर है और दुनिया में ऐसे साढ़े तीन लाख से भी कम लोग बचे हैं। इन लोगों को ब्रिटिश राज में काफी प्रताड़ित किया गया था। ज्यादातर लोगों को भारतीय रेलवे में काम करने के लिए लगा दिया गया था। आजादी के बाद तक भी वे लोग रेलवे विभाग में काम करते रहे। हालांकि कुछ ऐंग्लो-इंडियन लोग बहुत मशहूर भी हैं, जैसे ऐक्टर बेन किंग्सले या सिंगर एंग्लेबर्ट हंपरडिंक।
कौन थे ऐंग्लो-इंडियन?
ऐंग्लो-इंडियन समुदाय के ज्यादातर लोग दरअसल अंग्रेजों और चाय बगान की मजदूर औरतों के बीच बने संबंधों की संतानें थीं। या फिर ब्रिटिश सैनिकों के स्थानीय भारतीय महिलाओं से संबंध बनने से ये लोग पैदा हुए। लेकिन इन्हें न अंग्रेजों ने अपनाया और ना ही भारतीयों ने। ऐंग्लो-इंडियन औरतों का चटनी मैरी कहकर मजाक उड़ाया जाता था।
अब नई खोज बताती है कि इन्हीं चटनी मैरी लोगों का खून ब्रिटेन के राज परिवार की रगों तक पहुंच चुका है। रिसर्चर बताते हैं कि एलिजा केवार्क की बेटी कैथरीन स्कॉटलैंड लौट आई थीं। वहां से वह अपनी मां को गुजराती में चिट्ठियां लिखा करती थीं। बाद में उन्होंने आबेरडीन में जेम्स क्रोम्बी से शादी कर ली। उनकी पोती ने बैरन फेरमॉय के मौरिस ब्रूक रोश से शादी की। उनकी पोती प्रिंसेस डायना ने प्रिंस चार्ल्स से शादी की और इस तरह खून शाही परिवार में शामिल हुआ। अब यह खून ब्रिटेन के संभावित राजा की रगों में दौड़ रहा है।