भारत कोरोना की दूसरी लहर से उबरता नजर आ रहा है, तो राज्य सरकारें अब संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर रही हैं। देश में बीते कुछ सप्ताहों से ऐसी चर्चा जोरों पर है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक हो सकती है।
प्रधानमंत्री की कोविड मैनेजमेंट टीम के प्रमुख सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि बच्चे कोविड-19 की तीसरी लहर में प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि वयस्कों को बच्चों को बचाने के लिए वैक्सीन लेनी चाहिए। केंद्र सरकार ने देशभर में माता-पिता के बीच चिंता को खत्म करते हुए कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, जो यह बताए कि बच्चों को खतरा है। इससे पहले मई में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी कह चुके हैं कि अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चे अधिक प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा था कि इस महामारी की पहली और दूसरी लहर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बच्चों में इस वायरस का कोई गंभीर असर नहीं दिखा है। डॉ. पॉल का कहना है कि अगर माता-पिता को वैक्सीन लग जाती है तो वायरस बच्चों तक नहीं पहुंच सकता है और संक्रमण से बच्चों को बचाया जा सकता है।
राज्यों की तैयारी
दिल्ली में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की गई। राज्य सरकार ने कोरोना से बचाव के लिए महिला-बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली सरकार के मुताबिक कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा असर होने की आशंका है। इसको देखते हुए दिल्ली सरकार के संस्थानों में रह रहे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है। गैर लाभकारी संगठन और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से उन बच्चों को सुरक्षा के दायरे में लाना होगा।
इस काम में महिला-बाल विकास विभाग को एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करके सभी बाल गृहों, एनजीओ और ऑब्जर्वेशन होम के बीच में समन्वय स्थापित करना होगा। दिल्ली के महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभाग के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि ऐसे बच्चे जिनके दोनों या किसी एक माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है, उनका असल आंकड़ा जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग की मदद ली जानी चाहिए। महिला-बाल विकास विभाग के निदेशक ने बताया कि यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग से मांगा जा रहा है ताकि जिलेवार सर्वे करा कर ऐसे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का असल आंकड़ा पता किया जा सके।
गौतम ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे बच्चों का भी पता लगाया जाना चाहिए जिनके माता-पिता की मृत्यु रिकॉर्ड में नहीं आ पाई है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दिल्ली के सभी शवदाह गृहों से आंकड़ा लेकर उसको शामिल करें। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अस्पतालों में बच्चों के हिसाब से वेंटिलेटर, मास्क आदि तैयार किए जा रहे हैं। उनके मुताबिक अस्पतालों में बच्चों के साथ उनके माता-पिता या एक अटेंडेंट के ठहरने की व्यवस्था के प्रावधान भी किए जा रहे हैं।
दिल्ली सरकार के अधिकारी के मुताबिक बच्चों को संभावित तीसरी लहर से सुरक्षित रखने के लिए ऐसे माता-पिता का टीकाकरण अनिवार्य है जिनके बच्चे अभी छोटे हैं या टीकाकरण की आयु से कम हैं। भारत में 18 साल से कम आयु के बच्चों के लिए अभी टीका उपलब्ध नहीं है। ऐसे में संभावित तीसरी लहर के दौरान बच्चों को बचाने के लिए हर तरह की तैयारी और रोकथाम के उपाय ही कारगर साबित हो सकते हैं।