एशिया पैसिफिक फ्रॉड इनसाइट की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लोग बड़ी संख्या में ऑनलाइन होने वाली धांधलियों का शिकार हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक 48 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह से रीटेल फ्रॉड का सामना कर रहे हैं।
फ्रॉड इनसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत एशिया में शीर्ष के उन चार देशों में है जहां वित्तीय कामकाजों के लिए सबसे ज्यादा डिजिटल सुविधाओं का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय उपभोक्ता जताते हैं कि वे धोखाधड़ी से निपटने के लिए कंपनियों के प्रयासों पर बहुत संतुष्ट हैं। हालांकि, धोखाधड़ी की घटनाओं में भारत एशिया के शीर्ष चार देशों में शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़े बताता हैं कि उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में कितने कम जागरूक हैं। उन्हें उन तौर तरीकों के बारे में कितनी कम जानकारी है कि डिजिटल दुनिया में किस तरह का फ्रॉड होता है और वे असल में होने वाले उन अपराधों के बारे में कितना जानते हैं।
भारत में बड़ी संख्या में होने वाले ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों के बावजूद उपभोक्ता आमतौर पर इस तरह के मामलों के लिए सहनशील रवैया अपनाते हैं। साथ ही साथ उन्हें छोटे मोटे वित्तीय नुकसान भी स्वीकार्य होते हैं। भारत में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी पहचान पत्र चुराये जाने, ऑनलाइन खरीददारी, वित्तीय सेवाओं और दूरसंचार से जुड़े मामलों में होती है। इसमें सबसे बड़ा फ्रॉड पैन कार्ड को चुराये जाने को लेकर होता है। गलत रोजगार की जानकारी और झूठी आय के दस्तावेजों के मामले भारत में किये गये सबसे आम धोखाधड़ी के मामले हैं।
इस रिपोर्ट ने इस बात को भी देखा कि अलग अलग सरकारें आधार कार्ड या पैन कार्ड जैसे पहचान पत्रों से जुड़ी धोखाधड़ी को रोकने के लिए क्या कर रही हैं। फिलीपींस में, सरकार की मंजूरी के दो साल के भीतर एक बायोमेट्रिक-सक्षम पहचान पत्र पेश करने की उम्मीद है। सिंगापुर में, सरकार एक डिजिटल आईडी के परीक्षण का आयोजन कर रही है, जहां इसमें व्यापारियों के इंटरफेस के लिए एपीआई शामिल होंगे। ऑस्ट्रेलिया में, आंतकवाद के खतरे के चलते पहचान पत्र पर एक नयी बहस छि़ड़ी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत का आधार कार्ड एशिया में सरकार की सबसे अधिक मुखर पहल है। हालांकि, इसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें गोपनीयता के मुद्दों पर अदालती लड़ाई भी शामिल है।"