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मोल्दोवा का आरोप, तख्तापलट की साजिश रच रहा है रूस

हमें फॉलो करें मोल्दोवा का आरोप, तख्तापलट की साजिश रच रहा है रूस

DW

, गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023 (09:08 IST)
फरवरी 2022 में रूस के युद्ध शुरू करने के बाद यूक्रेन का पड़ोसी मोल्दोवा भी बहुत प्रभावित हुआ है। उसका आरोप है कि रूस वहां तख्तापलट की साजिश रच रहा है ताकि मोल्दोवा में मॉस्को के नियंत्रण वाली कठपुतली सरकार लाई जा सके। राष्ट्रपति ने इल्जाम लगाया कि ईयू-समर्थक सरकार को हटाकर रूसी प्रभाव वाली कठपुतली सरकार बनाने की योजना बनाई जा रही है।
 
मोल्दोवा की राष्ट्रपति मैया सैंडू ने आरोप लगाया है कि रूस बाहरी ताकतों का इस्तेमाल कर उनके देश में तख्तापलट की कोशिश कर रहा है। उनका कहना है कि रूस, मोल्दोवा को युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता है। राष्ट्रपति ने इल्जाम लगाया कि रूस के अलावा बेलारू, सर्बिया और मोंटेनेग्रो के नागरिक मोल्दोवा में घुसकर हिंसक तरीके से ईयू-समर्थक सरकार को हटाकर रूसी प्रभाव वाली कठपुतली सरकार बनाने की योजना बना रहे हैं।
 
स्थानीय मीडिया खबरों के मुताबिक, सर्बिया के कई फुटबॉल प्रशंसक एक अंतरराष्ट्रीय मैच देखने मोल्दोवा आए थे। मगर प्रशंसकों के बीच अंडरकवर विध्वंसक शक्तियों के मौजूद होने की आशंकाओं के चलते उन्हें सर्बिया लौटा दिया गया। साथ ही, 14 फरवरी को मोल्दोवा ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कुछ देर के लिए अपना हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिया। खबरों के मुताबिक, अमेरिका और लैटिन अमेरिका के हवाई क्षेत्रों में देखे गए संदिग्ध चीनी गुब्बारों की ही तरह मोल्दोवा में भी बलून जैसी चीज देखे जाने की रिपोर्ट थी।
 
सर्बिया और मोंटेनेग्रो की प्रतिक्रिया
 
दोनों देशों ने मोल्दोवा के आरोपों का खंडन किया है। सर्बिया ने कहा कि मोल्दोवा ने उन्हें ऐसी किसी आशंका की जानकारी नहीं दी है और अगर मोल्दोवा के पास इन आरोपों से जुड़ी कोई जानकारी है, तो वह तुरंत सर्बिया के साथ साझा करे। मोंटेनेग्रो ने भी कहा कि अगर मोल्दोवा इन आरोपों से जुड़ी और जानकारी मुहैया करा सकता है, तो वह उसकी चिंताएं जानने को तैयार है। प्रधानमंत्री ड्रिटन अबाजोविक ने कहा कि उन्होंने इन आरोपों के बारे में बस मीडिया से ही पता चला है।
 
बीते हफ्ते हुईं कई बड़ी घटनाएं
 
राष्ट्रपति के इस आरोप से पहले पिछले हफ्ते मोल्दोवा में कई बड़ी घटनाएं हुईं। 10 फरवरी को मोल्दोवा की प्रधानमंत्री नतालिया गवरिलिता ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि रूसी आक्रामकता के कारण कई सारे संकट पैदा हुए और सरकार इनका सामना नहीं कर कर सकती थी। राष्ट्रपति सैंडू ने इसी दिन रक्षा सलाहकार और पश्चिम-समर्थक अर्थशास्त्री डोरिन रिसेन को प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत किया।
 
नतालिया के इस्तीफे से कुछ ही घंटे पहले सरकार ने बताया था कि एक रूसी मिसाइल ने उनके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। इस मामले पर सरकार ने रूसी राजदूत को भी तलब किया था। इस घटना के एक रोज पहले 9 फरवरी को देश की खुफिया एजेंसी ने आरोप लगाया था कि रूस, मोल्दोवा को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का मोल्दोवा पर बयान आया था। उन्होंने बताया कि उनके देश ने रूसी खुफिया एजेंसियों की मोल्दोवा को तबाह करने की साजिश का भंडाफोड़ किया है।
 
राष्ट्रपति ने और क्या कहा?
 
अब इसी क्रम में राष्ट्रपति सैंडू ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "योजना की अगली कड़ी में आगे विध्वंसक शक्तियों को सैन्य प्रशिक्षण देना, सादे कपड़ों में उन्हें छिपाना शामिल है। योजना है कि ये लोग हिंसक गतिविधियों को अंजाम दें, कुछ सरकारी इमारतों पर हमला करें और यहां तक कि लोगों को बंधक भी बनाएं।" राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि इन गतिविधियों का मकसद संवैधानिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकना और राजधानी किशिनउ में विधिसम्मत शासन हटाकर अवैध सत्ता लाना है।
 
राष्ट्रपति ने इल्जाम लगाया कि इस योजना का लक्ष्य मोलदोवा को यूरोपीय संघ में शामिल होने की प्रक्रिया से रोकना और रूसी नियंत्रण में लाना है। राष्ट्रपति ने चेतावनी दी कि मोलदोवा में हिंसा करवाने की क्रेमलिन की कथित कोशिशें कामयाब नहीं होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि मोल्दोवा की संसद को एक विशेष कानून पारित करना चाहिए, जिसमें देश की खुफिया, सुरक्षा सेवा और प्रॉसिक्यूटर्स ऑफिस को देश की सुरक्षा पर मंडरा रहे जोखिमों का प्रभावी तरीके से सामना करने में मदद मिले।
 
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद यूक्रेनी शरणार्थियों के बाहर निकलने के लिए मोल्दोवा से जुड़ी बॉर्डर क्रॉसिंग प्रमुख रास्तों में से एक था। बड़ी संख्या में शरणार्थी मोल्दोवा पहुंचे।  फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद यूक्रेनी शरणार्थियों के बाहर निकलने के लिए मोल्दोवा से जुड़ी बॉर्डर क्रॉसिंग प्रमुख रास्तों में से एक था। बड़ी संख्या में शरणार्थी मोल्दोवा पहुंचे।
 
यूक्रेन युद्ध का असर
 
मोल्दोवा पूर्वी यूरोप का देश है। वह सोवियत संघ का पूर्व सदस्य रहा है। करीब 26 लाख की आबादी वाला मोल्दोवा, यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से पश्चिमी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के ठीक बाद ही 3 मार्च को मोल्दोवा ने यूरोपीय संघ (ईयू) में सदस्यता के लिए आवेदन दिया। 23 जून, 2022 को यूरोपियन काउंसिल ने मोल्दोवा और यूक्रेन को कैंडिडेट स्टेटस दिया। साथ ही, काउंसिल ने यूरोपियन कमीशन से सदस्यता आवेदन से जुड़ी शर्तों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी। ये शर्तें पूरी हो जाने के बाद काउंसिल आवेदन के आगामी चरणों पर फैसला करेगा।
 
मोल्दोवा नाटो का हिस्सा नहीं है। यूक्रेन-रूस युद्ध का मोल्दोवा पर भी असर पड़ा है। मोल्दोवा अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस से गैस खरीदता था। रूस ने गैस आपूर्ति घटाई, तो मोल्दोवा में ऊर्जा का गंभीर संकट खड़ा हो गया। महंगाई भी काफी बढ़ गई। हालिया महीनों में सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी बढ़ी हैं। मोल्दोवा के हवाई क्षेत्र में मिसाइलें देखी गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि 10 फरवरी को भी यूक्रेन युद्ध में दागी गई एक मिसाइल उसके इलाके में घुसी।
 
राष्ट्रपति सैंडू ने रूस पर लगाए गए इल्जामों में बेलारूस, सर्बिया और मोंटेनेग्रो का भी नाम लिया था। उन्होंने कहा कि रूस के अलावा इन तीनों देशों के नागरिक मोल्दोवा में घुसकर हिंसक तरीके से ईयू-समर्थक सरकार को हटाकर रूसी प्रभाव वाली कठपुतली सरकार बनाने की योजना बना रहे हैं।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)

-एसएम/सीके

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