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हुई मेडिकल क्रांति, तीन लोगों का साझा बच्चा पैदा हुआ

हमें फॉलो करें हुई मेडिकल क्रांति, तीन लोगों का साझा बच्चा पैदा हुआ
, सोमवार, 15 अप्रैल 2019 (19:07 IST)
ग्रीस और स्पेन के डॉक्टरों की एक टीम ने घोषणा की है कि तीन लोगों का डीएनए लेकर एक विवादित फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बाद बच्चा पैदा हुआ है. इस प्रक्रिया पर अच्छा खासा नैतिकता संबंधी विवाद हुआ था.
डॉक्टरों की टीम ने एक बांझ मां का अंडा, पिता का वीर्य और एक अन्य महिला का अंडा लेकर गर्भ धारण कराया जिसके बाद एक लड़का पैदा हुआ है. मेडिकल क्रांति कही जा रही इस प्रक्रिया में मां के अंडे के क्रोमोजोम के जेनेटिक तत्वों को डोनर महिला के अंडे में ट्रांसफर किया गया, जिसका अपना जेनेटिक मैटीरियल पहले ही हटा दिया गया था. इसी तरह की एक डीएनए स्विचिंग तकनीक 2016 में मेक्सिको में अपनाई गई थी ताकि मां की आनुवांशिक बीमारी को बच्चे में जाने से रोका जा सके.
 
लेकिन ग्रीस में पहला मामला है जब तीन लोगों का डीएनए लेकर बच्चा पाने में असमर्थ मां को गर्भवती बनाने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ग्रीस के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ ने एक बयान जारी कर रहा है कि बच्चा गुरुवार को पैदा हुआ और उसका वजन 2.96 किलो है. इससे पहले 32 साल की महिला ने कई बार इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की असफल कोशिश की थी.
 
साल के पहले दिन कहां कितने बच्चे जन्मे
भारत : 69,944 बच्चे, चीन 44,940 बच्चे, नाइजीरिया 25,685 बच्चे, पाकिस्तान 15,112 बच्चे, इंडोनेशिया 13,256 बच्चे, अमेरिका 11,086 बच्चे, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो 10,053 बच्चे, बांग्लादेश 8,428 बच्चे
 
 
इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ के अध्यक्ष डॉ. पनागियोटिस प्साथास ने कहा, "आज दुनिया में पहली बार अपने जेनेटिक मैटीरियल के साथ मां बनने का एक महिला का अक्षुण्ण अधिकार हकीकत बना है." उन्होंने कहा कि ग्रीक वैज्ञानिकों के रूप में उन्हें इस अंतरराष्ट्रीय खोज की घोषणा करते हुए हर्ष हो रहा है. डॉ. प्साथास ने कहा, "हम अपने डीएनए से गर्भ धारण करने की समस्या झेल रहे और जोड़ों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है."
 
मेक्सिको में हुए मामले में मां ले सिंड्रोम से ग्रसित थी. ये एक बिरली होने वाली बीमारी है जो विकसित होते नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है और घातक साबित हो सकती है. उसके मामले में इसकी वजह से उसके दो बच्चों की मौत हो गई थी. लेकिन तिहरी डीएनए तकनीक के इस्तेमाल ने नैतिकता संबंधी बहस छेड़ दी है.
 
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम चाइल्ड ने इस पर चिंता जताई है. उनका कहना है, "मैं बात से चिंतित हूं कि मरीज के अंडे के जेनेटिक मैटीरियल को हटाकर डोनर के अंडे में डालने की जरूरत साबित नहीं हुई है." उन्होंने कहा कि इस तकनीक के जोखिमों के बारे में पूरी तरह पता नहीं है। एमजे/एके (एएफपी)

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