कोरोना काल में करोड़ों मजदूर बिना काम के बैठे हैं या फिर उन्हें काम से निकाल दिया है। कपड़ा फैक्टरियों में काम करने वाले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं क्योंकि ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं और फैक्टरियां ठप हैं।
उत्तरी जकार्ता में कपड़ा फैक्टरी में काम करने वाले 2 बच्चों के पिता विरयोनो को अप्रैल के आखिर में नौकरी से निकाल दिया गया। कपड़ा फैक्टरी में सैंपल प्रोड्यूसर का काम करने के अलावा विरयोनो निर्माण कर्मचारियों को कॉफी डिलीवरी का भी काम करते हैं, हालांकि वह काम भी बंद हो गया, जब कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन ने निर्माण कार्य बंद करा दिया।
इस बीच विरयोनो एक छोटी-सी जगह किराए पर लेकर कपड़ा ठीक करने का काम कर रहे हैं। विरयोनो कहते हैं कि मैं जितना कपड़ा फैक्टरी से कमा लेता था, अब उतना नहीं कमा पाता हूं। लेकिन मुझे परिवार के लिए रोज खाने का इंतजाम तो करना है।
बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कंबोडिया और म्यांमार जैसे देशों में लाखों नौकरियां खत्म हो गई हैं। इन देशों में बहुत सारी फैक्टरियां हैं, जो कपड़ा बनाती हैं लेकिन बड़े फैशन ब्रांड्स अपने अरबों डॉलर के ऑर्डर रद्द कर चुके हैं। इंडोनेशिया में ही 20 लाख से ज्यादा कपड़ा उद्योग में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी जा चुकी है और फैक्टरियां 20 फीसदी की क्षमता पर ही काम कर रही हैं।
कंबोडिया भी कपड़ा, फुटवियर निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। देश के श्रम मंत्रालय के प्रवक्ता हेंग सोर का कहना है कि 130 कारखानों ने लगभग 1,00,000 लोगों को काम से निकाल दिया है। देश के 1,000 कपड़ा और जूता कारखाने लगभग 8,00,000 लोगों को काम देते हैं। पिछले साल यहां से 10 अरब मूल्य के उत्पादों का निर्यात अमेरिका और यूरोप के लिए हुआ।
हेंग सोर के मुताबिक कोविड-19 एक निर्दयी हत्यारा या आतंकवादी की तरह है, जो हजारों लोगों को मार रहा है या फिर आसपास के लोगों को संक्रमित कर रहा है। अन्य सरकारों की तरह कंबोडिया ने भी मजदूरों को इस बार रैली और विरोध प्रदर्शनों में न जाने को कहा। सरकार ने मजदूरों से घर पर ही मई दिवस मनाने को कहा है।
मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में इस वक्त रमजान का महीना चल रहा है। वहां की सरकार ने लोगों से वायरस से बचाव के लिए बड़े समूहों में इकट्ठा न होने को कहा है। दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे बड़े टेक्सटाइल बाजार जकार्ता के तनहा अबंग बाजार में ईद की खरीदारी पर भी असर दिख रहा है। लॉकडाउन की वजह से नए कपड़ों की बिक्री में भी कटौती हो गई है।
लाखों कर्मचारी बेरोजगार हुए
टेक्सटाइल एसोसिएशन के कार्यकारी सचिव रिजाल तंजील रहमान के मुताबिक बाजार को मध्य मार्च में ही बंद कर दिया गया था, साथ ही उन्होंने सरकार से उद्योग के लिए राहत पैकेज और मदद की मांग की है। वे कहते हैं कि यह सिर्फ कपड़े बनाने वालों का मामला नहीं है बल्कि उसका उत्पादन करने वाले, धागा निर्माता, डाई और प्रिटिंग ऑपरेटर से भी जुड़ा है। हालत बहुत खराब है और सरकारी मदद के बिना और अधिक खराब हो जाएगी।
म्यांमार जो कि कपड़ों को निर्यात कर औद्योगिकीकरण करना चाहता था वहां 60,000 के करीब फैक्टरी कर्मचारियों की नौकरी जा चुकी है। देश मुख्य रूप से खेती और खनन पर निर्भर रहता आया है। करीब 1 महीने बाद तक फैक्टरियां बंद रहने के बाद बांग्लादेश में 800 के करीब कपड़ा फैक्टरी खुलने की योजना बना रही हैं या कुछ खुल चुकी हैं।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बांग्लादेश ने कपड़ा फैक्टरी को बंद करा दिया था। मजदूर नेताओं का कहना है कि बीमारी फैलने की जोखिमों के बावजूद वापस खुलने वाली फैक्टरियां अधिक हैं। चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा कपड़ा निर्माता है। हर साल कपड़ा निर्यात कर बांग्लादेश 35 अरब डॉलर कमाता है। बांग्लादेश में बने कपड़े आमतौर पर यूरोप और अमेरिका भेजे जाते हैं।
बांग्लादेश गारमेंट मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष रुबाना हक कहती हैं कि महामारी के कारण 3 अरब डॉलर का नुकसान निर्माताओं को उठाना पड़ा है। बांग्लादेश में कपड़ा उद्योग में 40 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। मार्च महीने में ही काम बंद कर दिया गया था और कर्मचारियों को घर जाने को कह दिया गया था।
बांग्लादेश सेंटर फॉर वर्कर सॉलिडेरिटी की संस्थापक कल्पोना अक्तर कहती हैं कि वैश्विक ब्रांड, विशेष रूप से यूरोपीय ब्रांड्स चाहते हैं कि उनके रैक सस्ते बांग्लादेशी उत्पादों से भर जाएं। वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मालिकों से कह रहे हैं कि वे हमारे प्रतिद्वंद्वी जैसे वियतनाम, कंबोडिया या चीन के पास चले जाएंगे। वे कहती हैं कि कुछ फैक्टरी मालिक अच्छे सुरक्षा नियमों का पालन कर रहे हैं लेकिन कुछ नजरअंदाज कर रहे हैं, जो कि खतरनाक है।