अमेरिकी आतंकवादरोधी केंद्र के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस्लामिक स्टेट सीरिया से बेदखल होने और उसके नेताओं की मौत के बावजूद लगभग 20 सहयोगियों के साथ दुनियाभर में फैल रहा है।
अमेरिका के काउंटर टेररिज्म सेंटर के निदेशक क्रिस्टोफर मिलर के मुताबिक पिछले 6 सालों में चरमपंथी समूह ने यह साबित कर दिया है कि गंभीर नुकसान के बावजूद उसमें उठ खड़े होने की क्षमता है। मिलर के मुताबिक आईएस के पास मध्य स्तर के अनुभवी कमांडर और समर्पित कैडर व व्यापक गुप्त नेटवर्क है। उनके मुताबिक आतंकवादरोधी दबाव में कमी के कारण ऐसा हुआ है।
गुरुवार को क्रिस्टोफर मिलर ने यूएस हाउस होमलैंड सिक्युरिटी की समिति को बताया कि चरमपंथी समूह नए प्रमुख मुहम्मद सईद अब्दल रहमान के नेतृत्व में आतंकी हमले के लिए आतंकियों को प्रोत्साहित करने में सफल हो रहा है। साथ ही मुहम्मद सईद क्षेत्र में दूर के सहयोगी संगठनों को नए हमलों के लिए भी भड़का रहा है। अक्टूबर 2019 में आईएस प्रमुख अबु बक्र अल बगदादी और संगठन के कई नेता मारे गए थे।
48 साल का बगदादी 2014 से इस्लामिक स्टेट का नेतृत्व कर रहा था और वह दुनिया का सबसे वांटेड आतंकी था। उसने अपने नेतृत्व में एक खिलाफत की घोषणा की थी जिसने एक समय में इराक और सीरिया के एक बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया था। लेकिन अमेरिका के नेतृत्व में कई साल तक चली लड़ाई में पिछले साल आखिरकार वह मारा गया था।
गुरुवार को आईएस ने नाइजर में 6 फ्रांसीसी सहायता कर्मचारियों और उनके 2 स्थानीय गाइडों की 9 अगस्त को हुई हत्या की जिम्मेदारी ली थी। मिलर के मुताबिक आईएस सीरिया और इराक में हत्या, मोर्टार हमले और आईईडी धमाकों की स्थिर दर को बरकरार रखे हुए है।
इसमें वह हमला भी शामिल है जिसमें मई महीने में कई इराकी सैनिक मारे गए थे। मिलर का कहना है कि आतंकवादी समूह ने प्रचार के लिए हमलों में अपनी सफलताओं के वीडियो जारी किए ताकि साबित हो सके कि सीरिया और इराक में पिछले साल की भारी हार के बावजूद जिहादी अब भी सक्रिय और संगठित हैं।
कमजोर नहीं हुआ आईएस
काउंटर टेररिज्म सेंटर के निदेशक का कहना है कि आतंकी समूह अब पूर्वोत्तर सीरिया में इस्लामिक स्टेट के हजारों सदस्यों और उनके परिवारों को आजाद कराने पर ध्यान केंद्रित किए हुए है, क्योंकि उनसे निपटने के लिए किसी समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया की गैरमौजूदगी में आईएस इसको हल करना चाहता है।
मिलर के मुताबिक सीरिया और इराक के बाहर आईएस के करीब 20 शाखाएं और नेटवर्क हैं। उनकी गतिविधियों के नतीजे मिले-जुले हैं, लेकिन नाइजर हमले के सबूत के रूप में वह अफ्रीका में सबसे मजबूत है। मिलर का कहना है कि आईएस पश्चिमी ठिकानों पर हमला करने का लक्ष्य रखता है लेकिन आतंकवाद विरोधी प्रभावी उपायों के कारण वह सफल नहीं हो पाया है। उनके मुताबिक 9/11 के आतंकी हमले को अंजाम देने वाला अल कायदा अपने नेताओं और प्रमुख कमांडरों के मारे जाने के बाद कमजोर हो गया था लेकिन आईएस अब भी संभावित खतरा है।
मिलर के मुताबिक अल-कायदा से जुड़े संगठनों के पास यमन और अफ्रीका में घातक हमले करने की क्षमता है, लेकिन भारत और पाकिस्तान में इसके सहयोगी स्पष्ट रूप से कमजोर हो गए हैं जबकि अफगानिस्तान में इसके लड़ाकों की संख्या कुछ दर्जन तक ही सीमित है और वे अपने अस्तित्व की लड़ाई भी लड़ रहा है।
- एए/सीके (एएफपी)